|
राजस्थान के सीमान्त क्षेत्रों में गूंज रही है आवाजअब लड़ाई हो आर-पार कीद भगीरथ चौधरीरेत के टीलों से आच्छादित, सुनसान सा दिखाई देने वाला राजस्थान का सीमावर्ती क्षेत्र इन दिनों भारतीय सेना के जवानों की पदचापों से सजीव हो उठा है। भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले के पश्चात् सेना निरंतर पश्चिमी सीमा की ओर बढ़ रही है। राजस्थान का 1,040 किमी. क्षेत्र पाकिस्तानी सीमा से लगता है। उत्तर में हिन्दूमल कोट से दक्षिण में बाखासर तक चार जिले सीमावर्ती हैं- श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर। इस सम्पूर्ण क्षेत्र में सैनिक तैनात हो गए हैं। हर परिस्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूर्ण तैयारियां दिखाई दे रही हैं।सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में गजब का उत्साह है। बाड़मेर जिले के सीमा से लगते गांव गडरा रोड के लोगों ने प्रत्येक घर से धन संग्रह करके सेना के लिए चाय आदि की व्यवस्था की है। सीमा पर अन्तिम रेलवे स्टेशन मुनाबाब के आस-पास का 10 किमी. क्षेत्र खाली करवाया जा रहा है। 1971 में हमारी सेनाएं गडरा रोड सेक्टर में ही सबसे आगे बढ़ी थीं। बाड़मेर की तीन तहसीलें सीमावर्ती हैं- चौहरन, रामसर व शिव। इन तहसीलों में सीमा-जन कल्याण समिति, राजस्थान का सघन कार्य चल रहा है।जैसलमेर जिले के तनोट व लोंगेवाला क्षेत्र को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। युद्ध के समय पश्चिमी सीमा का यही क्षेत्र मुख्य रणक्षेत्र बनता है। पोकरण क्षेत्र में जो जवान पहले समान्य रूप से गश्त करते थे, अब सभी हथियारों से लैस होकर उत्साह से गश्त करते दिखाई देते हैं।बीकानेर जिले के सीमावर्ती कस्बे खाजूवाला में जनता का जोश देखने लायक है। यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक सेना की सहायता में जुट गए हैं। अभी तक स्वयंसेवक दस हजार छोटी बोरियां एकत्र करके सेना को दे चुके हैं। नहरों की रक्षा के लिए बंकर बनाने में भी स्वयंसेवक लगे हुए हैं। पूर्व सैनिक सेवा परिषद्, राजस्थान के महामंत्री कर्नल रघुराज सिंह व सीमा-जन कल्याण समिति के महामंत्री डा. जालमसिंह इस क्षेत्र में लोगों से मिलकर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।बीकानेर व गंगानगर जिले का सीमावर्ती क्षेत्र सिंचित है। लोगों की खड़ी फसलें पाट दी गईं हैं और गांव भी खाली करवाए जा रहे हैं। इस स्थिति में भी किसानों के हौंसले बुलन्द हैं। लोगों को कठिनाइयां तो काफी हो रही है लेकिन चारों तरफ से एक ही स्वर सुनाई दे रहा है कि इस बार युद्ध हो ही जाए ताकि रोज-रोज की परेशानी समाप्त हो।सम्पूर्ण सीमावर्ती क्षेत्र में सेना ही नहीं आम जनता ने भी युद्ध की पूरी तैयारियां प्रारम्भ कर दी हैं। एकदम सीमा से सटे गांवों से महिला एवं बच्चों को अन्य स्थानों पर भेजना, अपना कीमती सामान भेजना, गांवों की सुरक्षा की रचना करना, सेना व सीमा सुरक्षा बल की हर प्रकार से मदद की तैयारी गांवों में हलचल और उत्साह का वातावरण है। लोगों में ऐसा उत्साह तो कारगिल युद्ध के समय भी दिखाई नहीं दिया था।सेना व आमजनों में आर-पार की जंग करने की मन:स्थिति है। दूसरी ओर अराष्ट्रीय तत्व भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। जोधपुर के पीपाड़ कस्बे में भारतविरोधी नारे लिखकर मंदिरों की दीवारों पर चिपकाने से हिन्दू समाज के लोग सड़कों पर उतर आए। यहां अभी तनाव है। हालांकि चारों ओर उत्साह है लेकिन मुस्लिम बस्तियों में मायूसी का माहौल दिखाई देता है। सीमावर्ती क्षेत्र के 300 से अधिक मदरसों में सन्नाटा छाया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री भैंरोसिंह शेखावत अराष्ट्रीय तत्वों को उजागर करने और उनके विरुद्ध कार्रवाई करवाने हेतु सीमा क्षेत्रों का प्रवास कर चुके हैं। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत इन बातों से सहमत नहीं हैं।राजस्थान से लगती सीमा पर पाकिस्तान की तैयारियां भी दिखाई दे रहीं है। अमरकोट क्षेत्र में सभी सीमावर्ती गांव खाली करवा लिए गए हैं। रेंजरों के वेश में सैनिक अग्रिम सीमा चौकियों तक आ गए हैं। पाकिस्तान रेडियो पर भारत विरोधी दुष्प्रचार और तेज कर दिया गया है।24
टिप्पणियाँ