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जिहादियों का जमावड़ा
पिछले दिनों पाकिस्तान में पेशावर के पास, तारोजाबा में हुए अन्तरराष्ट्रीय देवबंद सम्मेलन में करीब पांच लाख प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। ज्यादातर प्रतिनिधि पाकिस्तान के मदरसों से आए थे। इसमें भारत, अफगानिस्तान और अन्य कई देशों के लोग भी थे। कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए मशहूर मौलाना फजलुर रहमान की जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था। तरह-तरह के कट्टरपंथियों के साथ, इस सम्मेलन में जो भारतीय देखे गए उनमें दारूल उलूम, देवबंद के मौलाना असद मदनी और मौलाना मरगूबुल रहमान प्रमुख थे।
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर रहमान तरह-तरह के आतंकवादी संगठनों के समर्थक माने जाते हैं। भूतपूर्व भुट्टो सरकार में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम भागीदार थी। अत: भुट्टो ने मौलाना फजलुर रहमान को नए जिहादी तैयार करने का काम सौंपा था। सरहदी सूबे और बलूचिस्तान में स्थित मदरसों पर मौलाना का नियंत्रण था। इन्हीं मदरसों से तालिबानी जुटाए जाने लगे। यह सर्वविदित है कि हरकत उल अंसार के सदस्यों का जमीयत से गहरा रिश्ता है और पाकिस्तान एवं तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान में उसके प्रशिक्षण शिविर हैं। भारतीय विमान के अपहरण और उसे कंधार ले जाने के पीछे हरकत उल मुजाहिद्दीन का ही हाथ था। हरकत के नेता मौलाना मसूद अजहर, जिनको भारतीय जेल से रिहा कर कंधार भेजा गया था, मौलाना रहमान के बड़े करीबी हैं। मौलाना रहमान चेचन्या में रूस के खिलाफ जिहाद के भी समर्थक हैं। तीन दिन तक चले देवबंद सम्मेलन की खास बात यह रही कि तालिबानी नेता मुल्ला उमर, अन्ततराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और लीबिया के कर्नल गद्दाफी के संदेशों को काफी महत्त्व दिया गया। मुल्ला उमर के संदेश को तालिबान के विदेश उपमंत्री मुल्ला अहसान ने पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि कश्मीर, चेचन्या और फिलिस्तीन में मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ मुसलमानों और मुस्लिम देशों पर अत्याचार के मामले में कुछ नहीं कर रहा।
आतंक की पदचाप
पिछले कुछ समय से हिमाचल प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियां रह-रहकर होती आ रही हैं। कुछ समय के लिए यह शान्त प्रदेश थर-थरा जाता है, परन्तु अगले ही क्षण लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं। दो वर्ष पूर्व चम्बा की पहाड़ियों में 35 हिन्दुओं के नरसंहार के बाद से जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रन्ट, लश्कर-ए-तोयबा, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट और जैश-ए-मोहम्मद जैश जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से जुड़े अनेक आतंकवादी समय-समय पर हिमाचल प्रदेश से पकड़े गए। ऐसा लगता है कि प्रदेश में अवश्य ही इनके ठिकाने हैं। अभी हाल ही में दिल्ली पुलिस ने आजाद अहमद कुरैशी नामक एक आतंकवादी को पकड़ा जिससे बड़ी मात्रा में आर.डी.एक्स, पिस्तौल, हथगोले और अन्य विस्फोटक पदार्थ बरामद किए गए हैं। कड़ी पूछताछ पर पता चला कि यह आतंकवादी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट के प्रमुख बिल्लाल अहमद का सहयोगी है जो हिमाचल प्रदेश में किसी बड़ी आतंकवादी घटना को कार्यरूप देने के लिए आया था। यहां उसने इफरान नामक एक पूर्व आतंकवादी से भी भेंट की थी। दिल्ली पुलिस ने बाद में उसे बम रखते हुए दबोचा था। पुलिस जांच से पता चला कि चण्डीगढ़ के एक दलाल ने कुरैशी का परिचय हिमाचल प्रदेश में पूर्व आतंकवादी से करवाया था। इससे पूर्व सुन्दरनगर के श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर से एक आई.एस.आई. एजेंट को भी पकड़ा गया था। यह खतरनाक आतंकवादी हिमाचल प्रदेश में हो रहीं गतिविधियों को अन्तरताने के माध्यम से पाकिस्तान भेजता था। इससे कुछ विशेष सैनिक ठिकानों के मानचित्र भी मिले। इसका कार्यक्षेत्र जालन्धर सैन्य छावनी था। हाल ही में ऊना में रह रहे एक कश्मीरी युवक को जम्मू-कश्मीर पुलिस गिरफ्तार करके ले गई। इससे पहले शिमला से कार चुराने वाले गिरोह को पकड़ा तो उससे रहस्यमय जानकारियां मिलीं। इनका सम्बंध कश्मीरी आतंकवादियों से था, जिनका श्रीनगर से उत्तर प्रदेश तक जाल फैला था। जाहिर है शिमला व आसपास भी उनके आश्रयदाता हैं। प्रशासन व पुलिस की कार्यप्रणाली सन्देह के घेरे में रहती है और शासन बदनाम होता है।
एक लम्बे समय से मांग की जा रही है कि शिमला व हिमाचल के अनेक भागों में काम कर रहे बाहरी क्षेत्रों के मजदूरों की व्यापक पहचान हो। इसमें सन्देह नहीं कि इन हजारों मजदूरों में से अनेक का सम्बंध अवश्य ही विध्वसंकारी गतिविधियों से है।
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