दिंनाक: 07 Jan 2001 00:00:00 |
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जनजातियां अपनी नींव को न भूलें, डोनी-पोलो का नाम लेकर आगे बढ़ें22 मई को इटानगर के पासीघाट शहर (जिला-पूर्वी सियांग) के सोलोंग उत्सव मैदान में दो दिवसीय आंचलिक युवा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन हुआ जिसका उद्घाटन जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री श्री जुएल उरांव ने किया। इस अवसर पर श्री उरांव ने कहा कि यहां की चंद्र-सूर्य (डोनी-पोलो) उपासना परंपरा के बारे में सुना था और इच्छा थी अरुणाचल आने की। यहां आकर आप लोगों के साहस और उत्साह को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ है। अपने मंत्रालय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में दस करोड़ जनजातीय लोग और छह सौ जनजातीय समुदाय (अनुसूचित) हैं। देश को स्वतंत्र हुए 53 वर्ष हो गए। अब तक किसी सरकार ने इस तरह से उनको समझने की कोशिश नहीं की थी जिस तरह से वर्तमान केन्द्र सरकार ने उन्हें समझा है। समाज कल्याण मंत्रालय के एक विभाग की जगह वर्तमान राजग सरकार ने अब इसे एक स्वतंत्र मंत्रालय का दर्जा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मंत्रालय जनजाति-कल्याण मंत्रालय नहीं, अपितु जनजातीय मामलों का मंत्रालय है, जिसका काम मात्र उनके विकास के लिए पुल, बांध और सड़क निर्माण जैसे कार्य करना नहीं है। पूरे देशभर में फैली जनजातियों की क्या समस्याएं हैं, क्या आवश्यकताएं हैं और किस कारण से हैं-इसका पता लगाकर उन्हें दूर करना इस मंत्रालय का काम है। द प्रतिनिधिदोईमुख में न्येडार नामलो(प्रार्थना सभागार) का उद्घाटनअरुणाचल प्रदेश की निशी जनजाति में आध्यात्मिक मूल्यबोध फिर से प्रबल करने के उद्देश्य से गत दिनों दोईमुख में न्येडार नामलो (डोनीपोलो-चंद्र-सूर्य प्रार्थना सभागार) का उद्घाटन राज्य के शहरी विकास और राजस्व मंत्री श्री टी.सी. तेली ने किया।इस प्रार्थना सभागार का उद्देश्य आमजन को डोनी-पोलो (चंद्र-सूर्य) भगवान का अनुग्रह प्राप्त करना है। राज्य में प्रार्थना गृह निर्माण का यह अभिनव प्रयास वर्तमान युग की ईसाई मिशनरियों द्वारा खड़ी की गई चुनौतियों का समुचित उत्तर देने के लिए किया गया है।सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाए गए सभागार के उद्घाटन के बाद राजस्व मंत्री ने भावविभोर होकर कहा कि वे निशी बहुल क्षेत्र में समाज को यह न्येडार नामलो समर्पित कर अभिभूत हैं। निशी समाज का प्रथम प्रार्थना गृह जनता की आध्यात्मिक आकांक्षा परिपूर्ण करने में समर्थ होगा। अपातानी समुदाय के लिए यह ऐतिहासिक दिवस है। निशी और दूसरी जनजातियां मानती हैं कि पृथ्वी पर सबसे पहले इन्हीं अपातानियों का जन्म हुआ था। यह खुशी की बात है कि लोग शांतिपूर्ण और धार्मिक जीवन यापन करने के लिए सर्वोच्च शक्ति डोनी-पोलो का अनुग्रह प्राप्त करने हेतु प्रति सप्ताह यहां एकत्र होंगे।30
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