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–डा. योगेन्द्र सिंह
के.पी. झुनझुनवाला, संभलपुर (उड़ीसा)
थ् मेरे पांव में 20-25 साल पुराना एक्जीमा है। रक्तचाप 180/120 रहता है। ·श्वांस की शिकायत रहती है। कफ भी निकलता है।
दृ आपकी कफ प्रकृति है। साथ में त्वचा रोग भी है। आप महामजिंठ्ठाछिरिष्ट या महामजिठण्श्वदि क्वाथ के चार चम्मच भोजन के बाद समान पानी मिलाकर दोनों समय सेवन करें। साथ में आरोग्यवर्धनी वटी 1-1 गोली एवं प्रबोध वटी (त्रिगुणा फार्मेसी) 2-2 गोली प्रात: व सायं सेवन करें। इससे आपका रक्तचाप भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा एवं त्वचा विकार भी कम होता जाएगा। जैसे-जैसे आपको लाभ मिलता जाए वैसे-वैसे अपनी एलोपैथिक दवाई कम करते जाएं, एकदम बन्द करना ठीक नहीं है। रक्तचाप ठीक होगा तो आपका ·श्वांस रोग भी ठीक होगा।
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एम.एम. वाजपेयी, कानपुर (उ.प्र.)
थ् चार वर्षों से दोनों पैरों के पंजों व घुटनों के निचले भाग में झनझनाहट (जैसे पैर सो जाता है) महसूस होती है।
दृ आपको वातविकार है। आप एकांगवीर रस की दो-दो गोलियां दिन में तीन बार लें। साथ में चन्द्रप्रभा वटी की 1-1 गोली दो बार तथा अ·श्वगन्धाचूर्ण की 1-1 गोली दूध से प्रात: व सायं सेवन करें। प्रसारणी तैल की मालिश करें। यह चिकित्सा एक माह तक करें, आपको लाभ मिलेगा।
सुधाकर चन्द्रा, क्योंझर (उड़ीसा)
थ् 5-6 वर्षों में तीन बार सायटिका का आक्रमण हो चुका है। इस रोग के बारे में विस्तार से बताएं कि यह रोग क्यों होता है तथा इसका उपचार क्या है?
दृ उपचार- (1) आप रास्नादि गुग्गुल की दो-दो गोलियां दिन में तीन बार पानी से लें, साथ में प्रसारणी तैल की हल्के हाथ से मालिश करें। (2) निर्मुण्डी के पत्तों का क्वाथ बनाकर दिन में दो बार पिएं। 15-20 पत्ते मसलकर आधा किलो पानी में उबालें, जब पानी एक चौथाई रह जाए तब छानकर पिएं। उससे लाभ होगा। (3) बकाइन की भीतरी छाल को पानी में पीसकर पीने से भी सायटिका रोग ठीक होता है। (4) 10-15 छिलके रहित अरण्ड बीजों को पीसकर दूध में पकाकर पीने से भी सायटिका रोग ठीक होता है।
शंका-समाधान
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सायटिका रोग एक वायुविकार है। वायु को बढ़ाने वाले सभी पदार्थ सायटिका रोग बढ़ाते हैं। अत: आपको वायुवर्धक आहार-विहार नहीं करना चाहिए। गठिया रोग व सायटिका-दोनों अलग-अलग हैं परन्तु दोनों में वायु प्रकोप प्रमुख है। एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, योगासन से लाभ मिलेगा-यदि किसी जानकार द्वारा कराया जाए। जिन्हें युवावस्था या कम उम्र में सायटिका हो तो जरूरी नहीं बुढ़ापे में भी गठिया या सायटिका हो।
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हमारे विशेषज्ञ
1. डा. हर्षवर्धन, (एम.बी.बी.एस., एम.एस.) नाक, कान एवं गले के देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। वह दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सम्प्रति वि·श्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण एशिया के सलाहकार हैं।
2. डा. इन्द्रनील बसु राय, (एम.बी.बी.एस., एम.डी.) कलकत्ता के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।
3. डा योगेन्द्र सिंह, (आयुर्वेदाचार्य) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली कार्यालय स्थित केशव चिकित्सालय एवं वि·श्व हिन्दू परिषद् के मुख्यालय रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली स्थित चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी हैं।
पाठकगण अपनी समस्याएं इस पते पर भेज सकते हैं। रोग का विवरण, अपना नाम एवं पता साफ-साफ अक्षरों में लिखें। उत्तर पाने के लिए आवश्यक है कि बगल में लिखा गया पता लिफाफे पर चिपकाया जाए।
आरोग्य चर्चा
द्वारा सम्पादक, पाञ्चजन्य
संस्कृति भवन, झण्डेवाला
देशबन्धु गुप्ता मार्ग, नई दिल्ली-110055
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