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हिन्दू राष्ट्र के लिए पहला संगठित प्रयास रा.स्व. संघ ने किया
– स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती
शंकराचार्य, बद्रिकाश्रम पीठ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पद से निवृत्त होने के बाद श्री रज्जू भैया एवं सरसंघचालक का दायित्व संभालने के बाद श्री कुप्.सी. सुदर्शन गत 26 मार्च को पहली बार प्रयाग आए। इस अवसर पर श्री सुदर्शन का स्थानीय नागरिकों एवं विभिन्न संगठनों की ओर से अभिनन्दन किया गया। यह समारोह गत 27 मार्च को प्रयाग संगीत समिति सभागार में हुआ। इस अवसर पर श्री सुदर्शन ने कहा कि स्वयंसेवकों ने अपने कार्य एवं व्यवहार से समाज का वि·श्वास अर्जित किया है, यही उनकी पूंजी है। इसी कारण तमाम दुष्प्रचार के बाद भी संघ का कार्य निरन्तर प्रगति पर है।
इस अवसर पर बद्रिकाश्रम पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने श्री सुदर्शन को सरसंघचालक बनने एवं उनकी सफलता के लिए आशीर्वाद दिया। अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की कल्पना तो आदिकाल से है, इसे साकार करने के लिए पूर्व में अनेक राजनीतिक प्रयास भी हुए लेकिन पहला संगठनात्मक प्रयास संघ ने किया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए हर भारतवासी को हिन्दुत्व की धारा में लाने की आवश्यकता है। रज्जू भैया व सुदर्शन जी राष्ट्र व धर्म को एक नई दिशा दें, छोटी-छोटी बाधाओं से बचाकर संघ का विस्तार करें, यही हमारी कामना है।
इससे पूर्व श्री रज्जू भैया ने भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। काशी प्रांत के संघचालक श्री आर.पी. अग्रवाल ने श्री सुदर्शन को प्रतीक चिह्न व शाल देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति नन्दलाल गांगुली (सेवानिवृत्त) ने की। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सिख संगत, भारत विकास परिषद्, चिन्मय मिशन, संत निरंकारी मण्डल, प्रयाग संगीत समिति व प्रयाग के नागरिकों की ओर से आयोजित किया गया था। द हरिमंगल
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