INDI गठबंधन में आम आदमी पार्टी ने अब पूरी तरह से किनारा कर लिया है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आज विधिवत रूप से पार्टी का INDI गठबंधन से अलग होने की घोषणा की है। संजय सिंह राज्यसभा में पार्टी के नेता हैं। आप के अलग होने से संसद में INDI गठबंधन की आवाज़ कमजोर होगी और विपक्ष की स्थिति भी कमजोर होगी।
हालांकि जून में ही आम आदमी पार्टी ने खुद को INDI गठबंधन से अलग करने की घोषणा कर दी थी, मगर आज संजय सिंह का औपचारिक वक्तव्य इसकी आख़िरी कील साबित हुआ है।
आप का अलग होना अवश्यम्भावी था
आप का INDI गठबंधन से अलग होना अवश्यम्भावी था, केवल समय का इंतज़ार किया जा रहा था। आम आदमी पार्टी INDI गठबंधन से अलग होने वाली पहली पार्टी नहीं है, इससे पहले भी कई दल गठबंधन से खुद को अलग कर चुके हैं।
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INDI गठबंधन से अलग होने वाले प्रमुख दलों में उत्तर प्रदेश की राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल (यूनाइटेड), अपना दल (कमेरावादी), और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) जैसे दल शामिल हैं।
गठबंधन की एकता पर सवाल
INDI गठबंधन के दलों में टूट अवश्यम्भावी मानी जा रही है क्योंकि इन दलों के बीच वास्तविक एकता नहीं है। यह सभी दल केवल भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती राजनीतिक ताकत से स्वयं को बचाने के लिए एक मंच पर आए हैं।
यह हास्यापद स्थिति है कि ये दल एक ओर साथ होने का दावा करते हैं, और दूसरी ओर एक-दूसरे के खिलाफ जोश-खरोश से चुनाव लड़ते हैं। इसका ताज़ा उदाहरण पश्चिम बंगाल में देखने को मिला जहां INDI गठबंधन की भागीदार तृणमूल कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा।
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तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को हराया
पश्चिम बंगाल में बहरामपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को तृणमूल कांग्रेस ने शिकस्त दी। यही नहीं, ममता बनर्जी ने कांग्रेस के एकमात्र विधायक बायरन बिस्वास (जो सागरदिघी उपचुनाव में जीते थे) को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया, जिससे कांग्रेस फिर से विधानसभा में शून्य पर पहुंच गई।
दिल्ली विधानसभा चुनाव बना कारण
आप के INDI गठबंधन से अलग होने का तात्कालिक कारण इस वर्ष के शुरुआत में होने वाला दिल्ली विधानसभा चुनाव रहा है। कांग्रेस पार्टी, जो पिछले दो विधानसभा और तीन लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी, फिर भी उसने आप के साथ कोई सीट तालमेल नहीं किया और सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
अन्य राज्यों में भी नहीं हुआ तालमेल
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई गठबंधन नहीं बन सका। यहां भी कांग्रेस को पिछले दो चुनावों में भाजपा से करारी हार मिली थी और आम आदमी पार्टी का कोई विधायक या सांसद नहीं था।
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जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन के बावजूद डोडा सीट पर कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और आम आदमी पार्टी—तीनों के उम्मीदवार थे। आप ने इन सहयोगी दलों को हराकर जीत दर्ज की।
उपचुनाव में कांग्रेस को हराया
हाल में हुए उपचुनावों में भी आप ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की और कांग्रेस का जमानत जब्त हो गया। पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव में भी आप ने कांग्रेस को हराकर राज्य में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले उसकी उम्मीदों को कमजोर कर दिया।
आप की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा
आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक दृष्टि से एक दीर्घकालिक सोच के तहत गठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया है। पार्टी का अगला निशाना पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का स्थान लेना है। दिल्ली में तो आप पहले ही कांग्रेस को पूरी तरह समाप्त कर चुकी है। अब पार्टी का लक्ष्य गुजरात में कांग्रेस की जगह भाजपा की मुख्य विरोधी पार्टी बनने का है।
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2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस को उसके इतिहास की सबसे कम सीटों तक सीमित कर दिया और पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया। अब आप यही रणनीति राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में दोहराना चाहती है।
अगली बारी ममता बनर्जी की..?
आप के गठबंधन से अलग होने के साथ ही अटकलें लगाई जा रही हैं कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी जल्द ही गठबंधन से किनारा कर सकती है। जैसे-जैसे राज्यों में चुनाव होंगे, वैसे-वैसे दल INDI गठबंधन से बारी-बारी बाहर होते जाएंगे।
सपा भी दूर दिख रही है
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भी कोई ठोस राजनीतिक संबंध नजर नहीं आ रहा है। संभावना है कि 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी INDI गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ेगी।
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