18 जुलाई 2025 की सुबह बेल्जियम की संसद ने एक बड़ा कदम उठाया। संसद ने ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) को आतंकवादी संगठन घोषित करने का प्रस्ताव पास किया। यह प्रस्ताव सांसद दरिया सफ़ाई की अगुवाई में लाया गया, जिसे सुबह 2:30 बजे हुए वोट में जबरदस्त समर्थन मिला। 135 सांसदों ने हां में वोट दिया, 14 ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, और किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। यह कदम ईरान के शासन को कड़ा संदेश देता है और यूरोपीय संघ (ईयू) से भी आईआरजीसी को अपनी आतंकवादी सूची में डालने की मांग करता है।
दरिया सफ़ाई का जुनून और जीत
सांसद दरिया सफ़ाई ने इस फैसले को “न्याय की जीत” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज का दिन उन लोगों के लिए खास है जो इस शासन की बर्बरता से पीड़ित हैं। यह जीत उनके हत्यारों के खिलाफ है।” दरिया लंबे समय से आईआरजीसी को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग करती रही हैं। उनका कहना है कि यह संगठन न सिर्फ ईरान में अपने लोगों पर जुल्म ढाता है, बल्कि मध्य पूर्व और दुनिया के दूसरे हिस्सों में आतंक और अशांति फैलाता है। उन्होंने आईआरजीसी पर हिज़्बुल्लाह, हमास और यमन के हूती विद्रोहियों को सपोर्ट करने, साथ ही इराक, सीरिया, लीबिया, अफगानिस्तान और यूक्रेन जैसे इलाकों में अस्थिरता पैदा करने का इल्ज़ाम लगाया।
अहमदरेज़ा जलाली के लिए उम्मीद की किरण
इस प्रस्ताव में स्वीडिश-ईरानी शिक्षाविद अहमदरेज़ा जलाली की तुरंत रिहाई की मांग भी शामिल है। जलाली को 2016 में ईरान में जासूसी के इल्ज़ाम में पकड़ा गया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। जलाली और उनके समर्थकों ने इन इल्ज़ामों को बेबुनियाद बताया है। यह मामला मानवाधिकारों के हनन का प्रतीक बन गया है। प्रस्ताव में ईरान में फांसी की सजा को रोकने की भी गुहार लगाई गई है, जो जलाली और कई अन्य लोगों के लिए एक नई उम्मीद ला सकता है।
बेल्जियम सरकार का सख्त रुख
नवंबर 2024 में बार्ट डी वेवर की अगुवाई में बनी बेल्जियम की नई सरकार ने अपने गठबंधन समझौते में साफ कहा था कि वह आईआरजीसी को ईयू की आतंकवादी सूची में शामिल करने की पैरवी करेगी। इस प्रस्ताव को बेल्जियम की विदेश मामलों की समिति और तत्कालीन विदेश मंत्री हदजा लाहबीब का समर्थन पहले ही मिल चुका था। यह कदम बेल्जियम की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव को दिखाता है और ईरान के खिलाफ सख्त रवैये को जाहिर करता है।
वैश्विक मायने और असर
आईआरजीसी को 2019 में अमेरिका और बाद में कनाडा ने आतंकवादी संगठन घोषित किया था। दोनों देशों ने ईयू से भी ऐसा करने को कहा था, लेकिन ईयू ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया था। बेल्जियम का यह फैसला बाकी यूरोपीय देशों पर दबाव डाल सकता है कि वे भी इस रास्ते पर चलें। यह प्रस्ताव न सिर्फ ईरान के शासन को जवाबदेह बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि मानवाधिकारों की हिफाजत और दुनिया में शांति के लिए भी एक अहम संदेश है।
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