Gurugram Land Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुग्राम के शिखोपुर गांव में 2008 में हुए एक जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और जाने-माने बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने 16 जुलाई 2025 को 43 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया, जिनकी कुल कीमत 37.64 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके साथ ही, 17 जुलाई 2025 को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में वाड्रा और 10 अन्य लोगों व संस्थाओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। यह पहली बार है जब किसी जांच एजेंसी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल की है।
जमीन सौदे की कहानी
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पूरा मामला 2008 का है, जब रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने गुरुग्राम के शिखोपुर गांव (सेक्टर 83) में 3.53 एकड़ जमीन को ओन्कारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। ED के अनुसार, यह खरीद “झूठे दस्तावेजों” के आधार पर की गई थी। जांच में यह भी दावा किया गया कि वाड्रा ने अपने निजी प्रभाव का इस्तेमाल करके इस जमीन के लिए कमर्शियल लाइसेंस हासिल किया, जो उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुआ। हैरानी की बात यह है कि जमीन का म्यूटेशन (नामांतरण) प्रक्रिया, जो आमतौर पर महीनों लेती है, अगले ही दिन पूरी कर ली गई।
चार साल बाद, सितंबर 2012 में, स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने इस जमीन को रियल एस्टेट कंपनी DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे वाड्रा को कथित तौर पर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का अवैध मुनाफा हुआ। इस सौदे को 2012 में तत्कालीन IAS अधिकारी अशोक खेमका ने रद्द कर दिया था, जिन्होंने इसे अवैध और नियमों का उल्लंघन करने वाला बताया था।
क्या कहती है ईडी की जांच
ED की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। जांच के मुताबिक, स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और वाड्रा की दूसरी कंपनी स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खातों में उस समय केवल 1-1 लाख रुपये थे, जब यह 7.5 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। इसके बावजूद, सौदे के लिए कोई वास्तविक भुगतान नहीं किया गया। स्काई लाइट रियल्टी ने एक चेक जारी किया, लेकिन उसे कभी बैंक में भुनाया नहीं गया। साथ ही, स्टांप ड्यूटी (45 लाख रुपये) और अन्य शुल्क ओन्कारेश्वर प्रॉपर्टीज ने ही दिए। ED ने यह भी दावा किया कि वाड्रा की कंपनी ने छह महीने बाद ओन्कारेश्वर प्रॉपर्टीज को 15.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो सौदे में बताई गई राशि से दोगुना था।
ED ने इस मामले में 11 लोगों और संस्थाओं को आरोपी बनाया है, जिनमें वाड्रा, उनकी कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी, सत्यानंद याजी, केवल सिंह विर्क और ओन्कारेश्वर प्रॉपर्टीज शामिल हैं। चार्जशीट में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई की गई है, और 43 संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश 16 जुलाई को जारी किया गया। हालांकि, राउज एवेन्यू कोर्ट ने अभी तक इस चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया है।
रॉबर्ट वाड्रा का पक्ष
रॉबर्ट वाड्रा और उनके वकीलों ने इस मामले को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दिया है। वाड्रा के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वह एक कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और जांच में पूरा सहयोग दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह कार्रवाई मौजूदा सरकार द्वारा उनके और उनके परिवार, जिसमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हैं, के खिलाफ राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। वाड्रा का दावा है कि वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे और निर्दोष साबित होंगे।
पहले भी हो चुकी है जांच
यह पहली बार नहीं है जब वाड्रा जांच के दायरे में आए हैं। ED उन्हें पहले भी इस मामले में अप्रैल 2025 में तीन दिन तक 18 घंटे से ज्यादा पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा, वाड्रा के खिलाफ राजस्थान के बीकानेर में एक और जमीन सौदे और यूके के हथियार सौदागर संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी जांच चल रही है।
यह मामला अब राउज एवेन्यू कोर्ट में है। दूसरी ओर, वाड्रा और गाधी परिवार इसे राजनीतिक प्रतिशोध कह रहा है। बहरहाल, ED की कार्रवाई और चार्जशीट ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। एजेंसी इसे मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर मामला बता रही है।
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