सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी पोस्ट करने वालों पर सोमवार (14 जुलाई) को सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के आपत्तिजनक कार्टून और बंगाल समेत कई राज्यों में एफआईआर का सामने कर रहे वजाहत खान की याचिका सुनवाई करते हुए कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल समाज में नफरत और विघटन को जन्म दे सकता है। इसलिए नागरिकों को चाहिए कि वे जिम्मेदारी से बोलें, संयम रखें और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें।”
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि नागरिकों को इस संवैधानिक अधिकार का महत्व पता होना चाहिए। सोशल मीडिया पर बढ़ती विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जानी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सोशल मीडिया में कुछ भी पोस्ट नहीं कर सकते। इसके लिए सेंसरशिप की बजाय लोग खुद अपनी जिम्मेदारी निभाएं और बातों में संयम रखें।
PM Modi, RSS पर विवादित काटूर्न बनाने वाले मालवीय को लगाई फटकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर आपत्तिजनक काटूर्न बनाने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनके कार्टून को अनुचित व अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग बताया और उनसे सवाल किया कि क्या ‘आप विवादित कार्टून वापस लेंगे’। साथ ही आजकल कार्टूनिस्टों और स्टैंडअप कॉमेडियनों की ओर से अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी व्यक्त करने पर चिंता जताई। इस मामले में आज फिर सुनवाई होगी।
कार्टून अनुचित था- मालवीय की वकील
मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि वह मानती हैं कि कार्टून अनुचित था। वह उसे सही नहीं ठहरा रहीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अमीश देवगन और इमरान प्रतापगढ़ी के मामले में कहा है कि ये अफेंसिव है लेकिन अफेंस नहीं है। तो क्या इसे अपराध कहा जाएगा?
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वजाहत खान की याचिका पर की अहम टिप्पणी
हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में नौ जून को वजाहत खान की गिरफ्तारी हुई थी। वजहात खान के वकील ने कोर्ट में पुराने पोस्ट के लिए माफी मांगी और कहा- मेरी शिकायत ही मेरे लिए मुश्किल बनते जा रही है। मैंने इसके लिए माफी मांग ली है, लेकिन मैं बस यही चाहता हूं कि कोर्ट देखे कि एफआईआर सच में उन्हीं के पोस्ट से जुड़ी है या नहीं। इस पर कोर्ट ने कहा कि हर बार नया एफआईआर और जेल में डालने का क्या मतलब है? इससे कोई समाधान नहीं निकलेगा। पोस्ट डिलीट करने का कोई मतलब नहीं है, एक बार जो चीजें इंटरनेट पर शेयर कर दी जाती हैं वो हमेशा के लिए रहती हैं। अभिव्यक्ति की आजादी बहुत ही अहम मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका दुरुपयोग करने से केवल अदालतों में भीड़ बढ़ती है।
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