सनातन हिंदू धर्म और संस्कृति पर प्रहार के उदाहरण आए दिन सामने आते हैं, किंतु जिस तरह से उत्तराखंड सरकार ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू किया है, उसने कुछ ही दिन में यह सच्चाई सभी के सामने ला दी है कि सनातन को बदनाम करने के एक षड्यंत्र में छद्म साधु का वेष धारण करना भी है। एक आस्थावन सनातनी साधु को देखकर अपनी क्या प्रतिक्रिया देगा, यह सभी को पता है। किंतु बदले में उसे क्या मिलेगा, यह अहम है।
‘कालनेमि’ रामायण काल का एक राक्षस था, जिसने छद्मवेश धारण कर “संजीवनी” लेने जा रहे हनुमानजी का रास्ता रोकने की कोशिश की थी। रामायण की सुप्रसिद्ध मायावी राक्षसनी ताड़का उसकी दादी थी व मारीच उसका पिता । ‘कालनेमि’ अपनी माया से किसी का भी रूप धारण कर सकता था, इसलिये रावण ने उसे यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा कि वह किसी भी हाल में हनुमानजी को हिमालय से “संजीवनी” न लाने दे, ताकि लक्ष्मणजी की बेहोशी मृत्यु में बदली जा सके। लेकिन जैसे ही हनुमानजी को ‘कालनेमि’ के एक साधु वेश में होने का पता चला, उन्होंने अत्यंत क्रोधित होकर उसे दंड दिया।
वर्तमान दौर में कई ‘कालनेमि’
वर्तमान दौर में भी कई ‘कालनेमि’ तरह-तरह के षड्यंत्र कर रहे हैं। हरिद्वार से पकड़े गए इन सभी मजहबी कालनेमियों को देखिए, जो हिन्दू साधू के वेश में सनातनधर्मियों को ठग रहे थे।
- मोहम्मद अहमद पुत्र रहु निवासी ग्राम बोडिंग हाउस जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश
- रशीद पुत्र बपाती निवासी वार्ड नंबर 7 फूलबाग थाना नरसिंह गढ़ जिला राजगढ़
- मोहम्मद इमरान पुत्र मो. इस्लाम निवासी 11 बी तिलजला थाना कड़ाया कोलकता पश्चिम बंगाल
- मोहम्मद जैनउद्दीन पुत्र शेख अब्बास निवासी बेलवारी वार्ड न0 13 अंचल पलासी पखरी बिहार
- मोहम्मद सलीम (पिरान कलियर, हरिद्वार)
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रुकन राकम उर्फ शाह आलम- बांग्लादेशी नागरिक, जिसने तिलक और जटा धारण कर रखे थे; वह खुद को “शिव योगी” बता रहा था। इसी तरह से अन्य अपराधी और ठग पकड़े गए हैं, जोकि साधु वेश धारण किए हुए थे।
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धार्मिक भावनाओं को आहत करने की साजिश
इस संदर्भ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि वर्तमान समय में बहुत सारे ‘कालनेमि’ छद्म वेष बनाकर अनेक स्थानों पर अपनी पहचान छुपाकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम कर रहे हैं। यह कृत्य सनातन को नुकसान पहुंचाता है और जो सच्चे धर्म की खोज में, पुण्य की खोज में और अपनी आत्मा के प्रकाश को प्राप्त करने के लिए भगवान की शरण में जाते हैं। देवभूमि या अन्य स्थानों पर जाते हैं। उनका किसी न किसी रूप में मार्ग भटकाने का काम ये छद्म वेषधारी ठग करते हैं। ऐसे सभी लोगों की पहचान कर उन्हें रोकने और उनकी सच्चाई उजागर करने के लिए ही ये “ऑपरेशन कालनेमि” चलाया है। हमारी सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाये रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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छांगुर का भी मकसद वही
हाल ही में उत्तर प्रदेश से छांगुर उर्फ मोहम्मद जलालुद्दीन का प्रकरण सामने आया है। उसके पास से एक किताब ‘शिजर-ए-तैयबा’ बरामद हुई है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस किताब का इस्तेमाल लव जिहाद और इस्लामिक कन्वर्जन के लिए किया जा रहा था। किताब का मकसद कोई मजहबी प्रचार नहीं, बल्कि विशेष एजेंडे के तहत ब्रेनवॉश करना था। पुस्तक में मुस्लिम युवकों और हिंदू युवतियों को इस्लाम के नाम पर जोड़ने और ब्रेनवॉश करने की बातें की गई हैं। यहां तक कि किताब में ‘धर्मी लोगों की सेना’ तक का जिक्र किया गया है, यानी ऐसे लोग जो इस्लाम के लिए अपनी जान देने को तैयार हों।
क्या लिखा है ‘शिजर-ए-तैयबा’ किताब में
इस किताब में विस्तार से बताया गया है कि लोगों को इस्लाम के प्रति कैसे आकर्षित किया जाए और किस तरह कन्वर्जन की मुहिम चलाई जाए। यह किताब सोशल नेटवर्किंग और मजहबी कार्यक्रमों के जरिए युवाओं तक पहुंचाई जाती थी, जिससे वे धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित होते जाएं। ‘शिजर-ए-तैयबा’ की तरह ही आज यह सामने आया है कि देश भर में अनेक नामों से इसी प्रकार की किताबें चलन में हैं, जोकि ब्रेनवॉश का काम करती हैं। दीने-तालीम के नाम पर मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, किसी भी राज्य सरकार को इसके बारे में पता नहीं है।
छांगुर ने हजारों गैर मुस्लिमों का ब्रेनवॉश किया
आप सोचिए; एक छांगुर बाबा उर्फ मोहम्मद जलालुद्दीन ने क्या कर दिया! उसने हजारों गैर मुसलमानों का ब्रेनवॉश, 1500 से अधिक हिन्दू महिलाओं के साथ लव जिहाद कर इस्लाम कबूल करवाया। हर हिन्दू युवतियों को लव जिहाद में फंसाने के लिए 10 से 20 लाख रुपए तक मुस्लिम युवक को देने की व्यवस्था, कई सौ करोड़ का साम्राज्य, दो हजार से अधिक स्लीपर सेल की टीम, वह भी किसलिए सिर्फ इस्लाम के लिए। भारत को गजवा-ए-हिंद बनाने के लिए। आप यह भी विचार कर सकते हैं कि यह कोई अचानक नहीं हो गया है, पिछले कई सालों से यह सब चल रहा है। छांगुर, मोहम्मद जलालुद्दीन पिछले 15 वर्षों से अवैध कन्वर्जन गिरोह चला रहा था।
गजवा ए हिंद की गंदी सोच
गजवा-ए-हिंद की गंदी सोच सिर्फ इस छांगुर की नहीं है, हाल ही में एनआईए राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आईएसआईएस पुणे स्लीपर मॉड्यूल के 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें कि रिजवान अली (अबु सलमा / मोला) की अहम गिरफ्तारी है। ऐसे ही मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी पकड़ा गया। मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में एचयूटी के आतंकवादी पकड़े गए। जिसमे मुह्सिन खान (प्रमुख योजनाकार, वित्तपोषक) की गिरफ्तारी बहुत अहम है। गजवा‑ए‑हिंद के लिए एक पीएफआई मॉड्यूल का खुलासा भी हुआ है। एनआईए द्वारा बिहार, यूपी, गुजरात व केरल में कई स्थानों पर रेड की गई और कई आरोपितों के साथ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। कर्नाटक से तीन लश्कर ए तैयबा (एलईटी) सहयोगी पकड़े गए हैं। कुछ कश्मीरी युवक भी पकड़े गए हैं। सोचने वाली बात यह है कि देश भर में न जानें इस तरह के कितने षड्यंत्र सनातन के विरोध में चल रहे हैं!
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ऑपरेशन कालनेमि एक राज्य तक सीमित न हो
सवाल यह है कि क्या ऑपरेशन कालनेमि उत्तराखंड तक ही सीमित रहना चाहिए अथवा भारत के हर राज्य में इसी तरह से एक ऑपरेशन चलाया जाना चाहिए? वास्तव में आज इस अभियान में जैसी कार्रवाई फर्जी साधुओं और ठगी करने वालों के खिलाफ हो रही है, वह एक राज्य तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। सनातन धर्म या किसी भी मत, पंथ, संप्रदाय के खिलाफ देश भर में कहीं भी कुछ अपराध घट रहा है तो उस पर तुरंत अंकुश लगाना आवश्यक है। भारतीय संविधान भी सभी की सुरक्षा, मौलिकता और धर्म स्वातंत्र्य की गारंटी देता है।
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