वरिष्ठ पूर्व कांग्रेसी नेता अरविंद नेताम का कहना है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिशनरियों और नक्सलियों के बीच हमेशा से ही मौन तालमेल रहा है। उन्होनें पांचजन्य के साथ अपने विशेष साक्षात्कार में कहा कि वह पिछले 25-30 सालों से बस्तर में कन्वर्जन को देख रहे हैं। अरविंद नेताम आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेता हैं। उन्होंने पिछले दिनों पांचजन्य संपादक हितेश शंकर के साथ जनजातीय समाज में कन्वर्जन, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के साथ निकटता के अनुभव और कांग्रेस इत्यादि विभिन्न विषयों पर बातचीत की।
संघ ही ऐसा संगठन जो कन्वर्जन रोकने में कर सकता है मदद
अरविंद नेताम ने हाल ही में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग (द्वितीय) के समापन सत्र में भाग लिया था। इसके लिए वह नागपुर गये थे। वहां उनका उद्बोधन हुआ था। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा, मैं हमेशा से दिल से बस्तर और जनजातीय अंचलों में किए जा रहे कन्वर्जन के मामलों को गंभीरता से लेता रहा हूं। कन्वर्जन के मामलों में बस्तर की स्थिति को पिछले 25-30 वर्षों से निकटता से देखता आया हूं। मुझे लगता है कि संघ ही ऐसा संगठन है जो कन्वर्जन को रोकने में मदद कर सकता है।
अरविंद नेताम ने कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि भारत की एकता और सामाजिक समरसता के लिए सबसे संगठित और प्रभावी संस्था आज संघ ही है। मेरा मानना है कि राष्ट्र के लिए, सामाजिक समरसता के लिए जिस तरह संघ काम करता है, वैसा कोई और संगठन नहीं कर सकता। देश की एकता और अखंडता के लिए संघ ही काम कर सकता है।
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आदिवासी क्षेत्रों में कन्वर्जन में मिशनरियों-नक्सलियों में मौन तालमेल
अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरियों और नक्सलियों के बीच एक प्रकार का मौन तालमेल हमेशा रहा है। नक्सलियों ने कभी किसी पादरी या मिशन स्कूल को नुकसान नहीं पहुंचाया। इसका तो अर्थ यही हुआ न कि उनके बीच कुछ न कुछ गठजोड़ जरूर है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का अवैध कन्वर्जन मेडिकल सुविधा, दवा, शिक्षा, कपड़ा—ऐसी सब चीजों का लालच देकर किया जाता है। कोई बीमार हुआ, उसे एक गोली पानी में मिलाकर दे दी। वह ठीक हो गया, तो उसे कहा गया कि यह प्रभु का प्रसाद था। पैसा और नाैकरी दिलाने जैसे प्रलोभन देकर भी कन्वर्जन कराया जाता है।
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