इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन प्रतिबंधिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) आए दिन देश के खिलाफ साजिशें रचता ही रहता है। इसी क्रम में देश में बड़े हत्याकांडों को अंजाम देने की साजिश रची है। इसका खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अदालत में किया है। जांच एजेंसी ने कोच्चि की अदालत को बताया है कि PFI ने केरल में 972 लोगों की एक हिट लिस्ट तैयार की थी, जिसमें एक पूर्व जिला न्यायाधीश का नाम भी शामिल था। यह जानकारी पलक्कड़ में RSS नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में चार आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई।
कौन हैं पीएफआई के टारगेट
केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि PFI ने समाज के प्रभावशाली लोगों, खासकर हिंदू समुदाय के नेताओं और अन्य समुदायों के व्यक्तियों की हत्या की योजना बनाई थी। इनमें एक पूर्व जिला जज के अलावा कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता और सामाजिक हस्तियाँ शामिल थीं।
कैसे हुआ खुलासा
इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन की साजिश का खुलासा उस वक्त हुआ, जब जांच टीम अलग-अलग आरोपियों के पास से मिले दस्तावेजों को खंगाल रही थी। उसी दौरान पता चलता है कि 972 लोगों की हिट लिस्ट बनाई गई है। इस लिस्ट को पीएफआई की रिपोर्ट्स विंग ने तैयार किया है।
पीएफआई में कुल तीन विंग हैं
रिपोर्टर्स विंग: यह इकाई खुफिया जानकारी जुटाने का काम करती थी। यह प्रमुख हस्तियों और अन्य समुदायों के लोगों की व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी एकत्र करती थी। इसका पूरा कार्य इंटेलीजेंस ब्यूरो की ही तरह होता है।
फिजिकल एंड आर्म्स ट्रेनिंग विंग: यह इकाई अपने कैडरों को हथियारों और शारीरिक प्रशिक्षण देती थी।
सर्विस विंग/हिट टीमें: यह इकाई निशाने पर रखे गए व्यक्तियों पर हमले की योजना बनाती और उन्हें अंजाम देती थी।
NIA ने बताया कि ये इकाइयाँ जिला स्तर पर डेटा संकलन करती थीं और इसे राज्य स्तर पर संगठन के नेतृत्व तक पहुँचाती थीं। यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती थी और जरूरत पड़ने पर हमले के लिए इस्तेमाल की जाती थी।
श्रीनिवासन हत्याकांड
यह सनसनीखेज खुलासा पलक्कड़ में RSS नेता श्रीनिवासन की 16 अप्रैल 2022 को हुई हत्या के मामले की जाँच के दौरान हुआ। NIA ने दावा किया कि यह हत्या PFI की व्यापक साजिश का हिस्सा थी, जिसका मकसद सामाजिक और सांप्रदायिक अस्थिरता पैदा करना था। हत्या से एक दिन पहले, 15 अप्रैल 2022 को PFI की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के कार्यकर्ता सुबैर की हत्या हुई थी, जिसे RSS कार्यकर्ताओं पर आरोपित किया गया था। NIA का कहना है कि श्रीनिवासन की हत्या इसके जवाब में की गई थी।
आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
NIA ने अदालत में सुनवाई के दौरान चारों आरोपियों—मुहम्मद बिलाल, रियासुद्दीन, अंसार के.पी., और साहिर के.वी.—की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। एजेंसीने तर्क दिया कि दस्तावेजों से साजिश की गंभीरता साफ है, और आरोपियों को जमानत देना खतरनाक हो सकता है। विशेष अदालत के जज पी.के. मोहनदास ने 11 जून 2025 को जमानत याचिकाएँ खारिज कर दीं, यह कहते हुए कि आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं।
गौरतलब है कि पीएफआई ने 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। इसी रणनीति के तहतच वह हिन्दू नेताओं को निशाना बनाने की फिराक में थी।
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