पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में तुलसी की माला पहनकर स्कूल आने पर रोक को लेकर विवाद खड़ा हो गया। प्रिंसिपल इंद्राणी दत्ता चक्रवर्ती ने नबापल्ली जोगेंद्रनाथ बालिका विद्या मंदिर में हिंदू छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा, “आप स्कूल में तुलसी की माला पहनकर नहीं आ सकते।”
उनके इस आदेश की ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। यहां तक कि विद्यालय के गेट के सामने खड़े होकर जांच की गई कि कहीं कोई बालिका तुलसी की माला तो नहीं पहनकर आ रही। अभिभावकों, स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स ने इंद्राणी दत्ता के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। वासुदेव नाम के यूजर ने एक्स पर लिखा, “यह क्या तुष्टिकरण है, बहुसंख्यक समुदाय को अपने ही देश में इतनी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। बंगाल में यह क्या हो रहा है।” एक अन्य यूजर ने प्रिंसिपल के इस कृत्य की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया।
बताया जा रहा है कि स्कूल की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और पार्षद को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उनके दबाव के चलते प्रिंसिपल ने अपना आदेश वापस लिया और सभी से बिना शर्त माफी भी मांगी।
शनिवार (21 जून) को मीडिया से बात करते हुए चक्रवर्ती ने कहा, “मैंने जो कहा, उसका गलत अर्थ निकाला गया है। मुझे नहीं पता था कि विवाद इस स्तर तक पहुंच जाएगा।” नबापल्ली जोगेंद्रनाथ बालिका विद्यामंदिर की प्रिंसिपल ने खुद को कृष्ण भक्त बताया और कहा कि उन्होंने पवित्र माला के अपमान के डर से छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म के ऊपर तुलसी की माला पहनने से मना किया था।
उन्होंने बिना शर्त माफी मांगते हुए आगे कहा, ”मैंने यह बात सोच-समझकर कही। मैंने पहले भी कहा है और फिर से कहती हूं, मैं कृष्ण जी की भक्त हूं। मैंने खुद स्कूल में कई तुलसी के पेड़ लगाए हैं। तुलसी की माला नहीं पहनी जाएगी, मैं ऐसा फरमान कभी भी जारी नहीं कर सकती। अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं उसके लिए खेद व्यक्त करती हूं।” इंद्राणी दत्ता चक्रवर्ती द्वारा माफी मांगने, आदेश को वापस लेने पर हिंदू छात्रों और उनके माता-पिता ने खुशी जताई।
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