चीन अपने देश में चीनी पहचान के अलावा कोई और पहचान बर्दाश्त नहीं करता है, ये बात समूचा विश्व जानता है और समझता है। अपनी इसी पहचान को विस्तार देने की कोशिशों के तहत वह तिब्बतियों की पहचान को खत्म करने तुला हुआ है। इसके लिए वह देश के औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों का इस्तेमाल अपने पॉलिटिकल एजेंडे को अंजाम देने के लिए कर रहा है। यानी कि तब्बती बच्चों के सिनिसाइजेशन (चीनीकरण) के लिए कर रहा है। इस बात का दावा अमेरिका स्थित तिब्बत एक्शन ग्रुप ने एक नई रिपोर्ट के जरिए कर रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, इन स्कूलों में शिक्षा देने के नाम पर तिब्बती बौद्धों के बच्चों को उनसे अलग करके रखा जाता है। स्कूलों में रहने के दौरान तिब्बतियों के तिब्बती भाषा बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। उन्हें केवल और केवल चीनी भाषा और संस्कृति का ही प्रयोग करने की इजाजत होती है। यहां तक कि स्कूल की छुट्टियों के दौरान भी इन बच्चों को उनकी अपनी संस्कृति और परंपराओं के पालन से रोका जाता है।
विरोध कर रहे तिब्बती
चीन की मंशा को सभी समझते हैं कि इन औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों में बच्चों के साथ क्या किया जाता है। तिब्बती लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। निर्वासित तिब्बती संसद के सांसद नामग्याल डोलकर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहते हैं कि चीन में गैर चीनियों के मानवाधिकारों के हाल को लेकर यह केवल एक रिपोर्ट है, जिसे मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे वक्त से कहते आ रहे हैं। नामग्याल कहते हैं कि हम लोग इस सत्य से अच्छे से वाकिफ हैं कि चीन ने कई सारी अंतरराष्ट्रीय संधिया की हैं और उनमें सुधार भी किए हैं। इनमें अहम ये है कि एक राष्ट्र ने तो इस पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिसमें बच्चों की सुरक्षा और उनके संरक्षण की बात है।
तिब्बतियों के दिमाग को कंट्रोल करना चाहती है चीनी सरकार
नामग्याल के अनुसार, चीनी सरकार बहुत ही व्यवस्थित तरीके से और कई वर्षों से वहां की कम्युनिस्ट पार्टी सिनिसाइजेशन के कार्य में लगी हुई है। वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि वे आने वाले कई वर्षों तक तिब्बतियों के दिमाग और मस्तिष्क को नियंत्रित करने में सक्षम हैं और हम जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कब्जे वाले तिब्बत के भीतर तिब्बतियों के युवा दिमाग को निशाना बनाना सीख लिया है।
इसको लेकर एक तिब्बती कार्यकर्ता तेनजिन त्सुंडुए ने बताया कि तिब्बत एक्शन द्वारा 62 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट तिब्बत में लगातार रिसर्च और खोज पर आधारित है। उन्होंने दावा किया कि इस वक्त तिब्बत में चीन के उन बोर्डिंग स्कूलों में करीब 100,000 बच्चे ऐसे हैं, जिनका जबरन चीनीकरण किया जा रहा है।
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