बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को अब जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं। इस्तीफे की खबरों के बीच यूनुस हालात से निपटने की बजाय विदेश दौरे पर निकल गए हैं।
उधर, ढाका में हालात गर्म होते जा रहे हैं। बीएनपी के नेतृत्व में लाखों लोगों की बड़ी रैली नयापल्टन में आयोजित की गई है। बीएनपी का आरोप है कि यूनुस सरकार लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुनी गई और इस कारण उसके पास बड़े फैसले लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
बीएनपी पार्टी ने सेना के साथ मिलकर इस साल के अंत तक आम चुनाव की मांग तेज कर दी है।
बता दें यूनुस सरकार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। नया कानून, जो बिना विभागीय जांच के सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ शो-कॉज नोटिस के आधार पर बर्खास्त करने की इजाजत देता है, भारी विवाद का कारण बन गया है।
इसके खिलाफ शिक्षक, सरकारी कर्मचारी और आम लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके हैं। 24 मई को बीएनपी प्रतिनिधिमंडल ने यूनुस से मिलकर जल्द चुनाव कराने की मांग दोहराई, लेकिन अभी तक इस पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है।
साफ है कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार चारों ओर से दबाव में है, लेकिन वह चुनाव कराने की बात से लगातार बच रहे हैं। जनता का गुस्सा, विपक्ष की सक्रियता और विवादास्पद नीतियां ये सब मिलकर मौजूदा अंतरिम सरकार को गहराते संकट की ओर धकेल रही हैं।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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