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‘Operation Sindoor’ : भारत का धर्म युद्ध

नरेंद्र मोदी के लिए 'ऑपरेशन सिन्दूर' केवल एक सामरिक अभियान नहीं है। उनके लिए इसका अर्थ बहुत गहरा है। उनका संकल्प पवित्र है।

by मनोज रघुवंशी, वरिष्ठ पत्रकार
May 15, 2025, 03:39 pm IST
in भारत, विश्लेषण
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से एक “New Normal” यानी नया पैमाना तय किया है। प्रधान मंत्री ने आतंक के खिलाफ एक नयी लकीर खींच दी है। मोदी ने कहा कि “सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद अब ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ आतंक के खिलाफ भारत की नीति है”।

सोमवार और मंगलवार को नरेंद्र मोदी ने वीर रस से ओत-प्रोत अपने सम्बोधनों में नए भारत की ओर से तीन उद्घोषणाएं करीं। प्रथम, कि अगर भारत पर भविष्य में कोई आतंकी हमला हुआ तो मुंह-तोड़ जवाब दिया जाएगा। “हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर, जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाई करेंगे जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं”, मोदी ने चेतावनी दी। द्वितीय, कोई भी “nuclear blackmail” भारत नहीं सहेगा। “Nuclear blackmail की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा”। तृतीय, “हम आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे”।

‘ऑपरेशन सिन्दूर’ ने इन तीनों बातों को फलीभूत होते देखा। इक-तरफ़ा तबाही में भारत ने पाकिस्तान के अंदर आतंकवाद के 9 ठिकाने ध्वस्त कर दिए, जिनमे 100 से अधिक लोग मारे गए। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस बुरी तरह से क्षति-ग्रस्त  कर दिए। यानी आतंकवादी हो, या उसके पीछे पाकिस्तान की सैन्यशक्ति हो, या पाकिस्तान की सरकार हो, “New  Normal” के तहत भारत उनमे कोई अंतर नहीं मानेगा । इस बात को नरेंद्र मोदी ने समझा कर बताया कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान “दुनिया ने पाकिस्तान का वो घिनौना सच भी देखा है जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने पाकिस्तानी सेना के बड़े बड़े अफसर उमड़ पड़े। State sponsored terrorism का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे”।

‘ऑपरेशन सिन्दूर’ से बौखला कर पाकिस्तान ने भारत के मंदिरों, गुरुद्वारों, स्कूलों और कई और सिविलियन और सैन्य ठिकानों पर हमला किया, लेकिन भारत की सशक्त रक्षात्मक क्षमता ने पाकिस्तान की नापाक कोशिश नाकाम कर दी। वहीं, दूसरी तरफ चीन द्वारा पकिस्तान को दिए गए रक्षात्मक उपकरण दुश्मन के किसी काम नहीं आये। भारत की मिसाइलों ने दुश्मन के सीने पर, POK और पाकिस्तान में, भीषण वार किया। ‘मेड इन इंडिया’ की सफलता का live demonstration पूरी दुनिया को देखने को मिल गया।

नरेंद्र मोदी ने दृढ़ता से पाकिस्तान को अल्टीमेटम दिया कि “पाकिस्तानी फ़ौज, और पाकिस्तानी सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने terror infrastructure का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शान्ति का कोई रास्ता नहीं है”।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है। लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। Terrorism के खिलाफ zero tolerance एक बेहतर दुनिया की गारंटी है”।

नरेंद्र मोदी का ये रूप भारतवासियों के लिए बहुत राहत देने वाला साबित हो रहा है। बीते समय में राजनेता आतंकी घटना के मौके पर पहुँच कर अक्सर दो बाते बोलते थे। पहली, कि ये एक आतंकवादी घटना है। लेकिन ये बात तो लोग अपने आप ही जानते थे। दूसरी, कि वो उस घटना की कड़ी निंदा करते हैं। ये बात कुछ मज़ाक सी बन गयी थी।

लेकिन नरेंद्र मोदी ने ताल ठोंक कर दुश्मन को केवल चुनौती नहीं दी, बल्कि उसको इतनी बुरी तरह से परास्त कर दिया की 90 घंटे के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ से हार कर पाकिस्तान अपने घुटने पर आ गया। दस मई को सुबह से पाकिस्तान के DGMO भारत के DGMO से बात करना चाह रहे थे। व्यस्त होने के कारण भारत के DGMO दोपहर 3:35 पर उपलब्ध हो पाए। जब पाकिस्तान ने कहा कि वो कोई आतंकी घटना नहीं करेगा तब भारत ने उसकी बात पर विचार किया और पाकिस्तान के युद्ध रोक देने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। तब तक भारत अपने मकसद में सफल हो चुका था। आतंक के अड्डों को नष्ट कर चुका था। भारत ने पकिस्तान की अरज़ सुन तो ली, लेकिन नरेंद्र मोदी ने साफ़ कह दिया है कि ये युद्ध-विराम नहीं है, केवल एक “स्थगन” है। अगर पकिस्तान ने फिर से कोई दुस्साहस किया, तो भारत फिर से दुश्मन के “घर में घुस कर मरेगा”।

नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कुछ बातें बिलकुल साफ़-साफ़ ऐलान कर दीं। 

  • “Terror और talks एक साथ नहीं हो सकते”।
  • “Terror और trade एक साथ नहीं चल सकते”।
  • “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता”।
  • “अगर पाकिस्तान से बात होगी तो terrorism पर ही होगी”।
  • “अगर पाकिस्तान से बात होगी तो ‘Pakistan Occupied Kashmir’ (POK) पर ही होगी “।
  • और भारत और पाकिस्तान के बीच किसी third party का कोई रोल नहीं हो सकता।

२२ अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे पहला प्रतिकार यह किया था कि ‘सिंधु जल संधि’ को स्थगित कर दिया था। और भारत की सेनाओं को खुली छूट दे दी थी कि उन्हें जो कार्रवाई उचित लगे, वो उसे कर लें।

युद्ध स्थगन के चार दिन बाद, बुधवार, 14 मई को, ये बात ज़ाहिर हुई कि पाकिस्तान ने भारत से अपील की है कि ‘सिंधु जल संधि’ पर से रोक हटा ली जाय क्यूंकि भारत का ये फैसला “इकतरफा और ग़ैर कानूनी” है। अपील में ये भी कहा गया है कि भारत का ये निर्णय पाकिस्तान की जनता और अर्थव्यवस्था पर आक्रमण के बराबर है। पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार ने धमकी दी है कि अगर ‘सिंधु जल संधि’ को बहाल नहीं किया गया तो युद्ध विराम खतरे में पड़ सकता है। लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले से ही बेहद कड़ा रुख़ अपना लिया है कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता”।

नरेंद्र मोदी के लिए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ केवल एक सामरिक अभियान नहीं है। उनके लिए इसका अर्थ बहुत गहरा है। उनका संकल्प पवित्र है। सोमवार को उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ “न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है”।

प्रमुख बात ये है कि नरेंद्र मोदी के लिए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ केवल strategy नहीं है। वो मन ही मन एक ‘धर्म युद्ध’ का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके दोनों सम्बोधनों से ये बात बार-बार स्पष्ट हो रही है। पहला सम्बोधन, जो सोमवार को था वो पूरे राष्ट्र के लिए था। दूसरा सम्बोधन, जो मंगलवार को था, वो आदमपुर एयरबेस पर था जिसे तबाह करने का झूठा दावा पाकिस्तान ने किया था। वहाँ जा कर नरेंद्र मोदी ने वायु सेना, थल सेना और BSF को सम्बोधित किया, लेकिन वास्तव में वो सम्बोधन पूरे भारत, पकिस्तान और दुनिया के लिए था।

सोमवार को मोदी ने कहा कि “आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान् बुद्ध ने हमें शान्ति का रास्ता दिखाया है। शान्ति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता शान्ति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शान्ति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत ज़रूरी है। और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी ज़रूरी है”।

अपने मंगलवार के सम्बोधन में नरेंद्र मोदी ने इसी बात को और गहराई से समझाया। उन्होंने कहा कि “भारत बुद्ध की भी धरती है, और गुरु गोविन्द सिंह जी की भी धरती है। गुरु गोविन्द सिंह जी ने कहा था: ‘सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियाँ ते मैं बाज़ तुड़ाऊं, तबै गुरु गोविन्द सिंह नाम कहाऊँ’। अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए शस्त्र उठाना हमारी परम्परा है। इसलिए, जब हमारी बहनों-बेटियों का सिन्दूर छीना गया, तो हमने आतंकियों के फन को उनके घर में घुस कर कुचल दिया”।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि “आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन, जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिन्दूर हटाने का अंजाम क्या होता है”।

प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की महिमा दर्शाते हुए कहा कि ये “भारत की नीति, नीयत और निर्णायक क्षमता की त्रिवेणी है”।

नरेंद्र मोदी के सोमवार के सम्बोधन में एक महत्वपूर्ण बात ये है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की सफलता का श्रेय देने की नीयत से कहा कि “मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशत्र बलों को, हमारी खुफ़िआ एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सल्यूट करता हूँ”। अगले दिन आदमपुर एयरबेस पर प्रधान मंत्री ने कहा कि वो उन “वीरों” के “दर्शन” के लिए आये हैं।

आज से पहले भारत में सेना को सम्मान देने के लिए सबसे अग्रणी प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री माने जाते रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने शास्त्री जी से भी ज़्यादा आगे बढ़ कर भारत की सेनाओं, BSF और सशस्त्र बलों को सम्मान दिया है।

एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि पहलगाम में जब आतंकियों ने धर्म पूछ कर मारा था तो उनकी घिनौनी साज़िश ये थी कि भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाएगा। लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने घर को इतने अच्छे से संभाला कि पूरा देश एकजुट हो गया। सबसे ज़्यादा अच्छा तब लगा जब बार-बार असदुद्दीन ओवैसी को ज़ोर-ज़ोर से “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाते देखा।

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