भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने जब यह कहा, ‘‘पाकिस्तानी आतंकवाद का एक नया चेहरा अब सामने आया, लगभग 5 लाख से उपर पाकिस्तानी लड़की भारत में शादी कर हिंदुस्तान में रह रही हैं, आजतक उनको भारत की नागरिकता नहीं मिली है। अंदर घुसे इन दुश्मनों से लड़ना कैसे?’’ तब कांग्रेस, सपा, भाकपा, माकपा समेत कई विपक्षी पार्टियों और अपने को सेक्युलर कहनेवाली अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा उनकी भारी आलोचना की गई। लेकिन जो दृष्य इस वक्त (भारत-पाकिस्तान) अटारी बॉर्डर पर नजर आ रहा है, वहां जब पाकिस्तानी पति अपने देश में बाघा बॉर्डर पर भारत से आने वाली पत्नियों का इंतजार करते दिखे और कई पत्नियां भारत में अटारी बॉर्डर पर इसलिए रोक ली गईं क्योंकि उनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट नहीं थे। तो दूसरी ओर भारत के अंदर कई पाकिस्तान नागरिकों की पत्नियां आराम से रह रही हैं, तब ऐसे में जरूर लगता है कि कुछ दिन पहले सांसद दुबे जिस समस्या की ओर इशारा कर रहे थे, वह वास्तव में भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर है ।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को जारी वीजा रद्द करते हुए 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा था। लोग अब सीमा पार जाने के लिए कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं, जिसमें कि यहां बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं भी पाकिस्तान लौटने के लिए बॉर्डर पहुंचीं हैं, जिनकी शादी सरहद के उस पार पाकिस्तान में हुई है। दूसरी ओर देश भर में पाकिस्तानियों को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान से सामने आ रहा है कि भारत के कई मुस्लिम परिवारों ने अपनी बेटी का निकाह किसी पाकिस्तानी के साथ किया है। जिनके कि ज्यादातर बच्चे भारत में ही पैदा हुए हैं। उनमें अब ज्यादातर के भारतीय नागरिकता के फर्जी कागजात भी बन चुके हैं। इसमें भी यह चौंका देनेवाला तथ्य सामने आया है कि किसी पाकिस्तानी से निकाह करने के बाद भी कई महिलाओं ने अब तक पाकिस्तान की नागरिकता के लिए कोई आवेदन नहीं दिया है।
केंद्र के निर्देश पर हर राज्य में ढूंढे जा रहे पाकिस्तानी नागरिक
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा से संबंधित सभी राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि वे अपने यहां रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करें । जिसके बाद से राज्यों में पाकिस्तानियों के होने का पता लगाया जा रहा है। जिसमें कि अब देश भर में ऐसी महिलाएं सामने आ रही हैं जिनका निकाह पाकिस्तान में हुआ है लेकिन वर्षों से भारत में ही रह रही हैं। राजस्थान के जयपुर की सामने आई एक खातून ने बताया कि उनका शौहर पाकिस्तान में है, वे निकाह के बाद भारत घूमने आई थी और फिर नहीं गईं। यह चार सालों से जयपुर में ही रह रही हैं। एक अफसीन जहांगीर जोधपुर की हैं, उसके दो बच्चे हैं, इन्होंने 11 वर्ष पहले पाकिस्तान के कराची में निकाह किया और भारत आकर दोनों बच्चे पैदा किए। बच्चे पाकिस्तान के नागरिक बन गए और ख्वातीन को अब तक पाकिस्तान की नागरिकता नहीं मिली है। वे अपने दोनों बच्चों के साथ अपने अब्बू के यहां रह रही थीं। जहां वे भारत की सभी सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रही थीं। पर अब बच्चों को तो बॉर्डर पार जाने दिया गया परंतु उसे रोक लिया गया है।
इसी तरह का एक प्रकरण सना खान का है, ये अपने दो बच्चों के साथ अपने मायके भारत आई थीं। सना का मायका मेरठ के सरधना में है। सना भारत की नागरिक हैं और उनका पासपोर्ट भी यहीं का है, लेकिन उनके दोनों बच्चों का पासपोर्ट पाकिस्तान का है। सना की शादी साल 2020 में उनकी पाकिस्तान में रहने वाली बुआ के बेटे के साथ हुई थी, तब से ही वह पाकिस्तान में टूरिस्ट वीजा पर रहती है। दिल्ली की अरूदा ने बताया कि उसकी शादी बीस वर्ष पहले पाकिस्तान में हुई थी और उसके अभी दो बच्चे हैं जो पाकिस्तानी नागरिक हैं। इनका भारत आना-जाना लगा रहता है। दिल्ली की ही एक शनीजा खान हैं, उनका निकाह भी पाकिस्तान के कराची शहर में 15 साल पहले हुआ था।
मध्य प्रदेश में तीन नाबालिग बच्चों की नागरिकता पर संदेह हुआ उजागर
इसी सिलसिले में जब मध्य प्रदेश में अभियान चलाना शुरू हुआ तो जबलपुर में पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान को लेकर चल रहे अभियान में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। जांच टीम ने तीन नाबालिग बच्चों को चिन्हित किया है, जिनकी नागरिकता को लेकर संदेह है। क्योंकि उन बच्चों की मां तो हिन्दुस्तानी हैं, लेकिन पिता पाकिस्तानी नागरिक है। जब इस बारे में जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना से बात की गई तो उनका कहना था कि जांच के दौरान जबलपुर जिले में ऐसे तीन बच्चों की पहचान की गई है जो वर्तमान में शहर में रह रहे हैं। इन बच्चों की माताएं भारतीय नागरिक हैं, जबकि उनके पिता पाकिस्तानी नागरिक बताए जा रहे हैं।
जिलाधीश सक्सेना ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ये बच्चे बिना स्पष्ट नागरिकता के भारत में रह रहे हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है कि इन बच्चों के भविष्य, कानूनी स्थिति और उनकी नागरिकता को लेकर क्या निर्णय लिया जाए। फिलहाल बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और उनकी पृष्ठभूमि की गहन जांच की जा रही है। दूसरी ओर इस मामले में जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय का कहना है कि जो भी पाकिस्तानी नागरिक शहर में आते हैं, नियमानुसार उनको सूचित करना होता है। उसी सूची के अनुसार ये तीन लोग पाए गये हैं और तीनों नाबालिग बच्चे हैं, जिनकी उम्र क्रमशः 11 वर्ष, 5 वर्ष और 1 वर्ष है। इसके लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है जो भी आदेश आता है उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
किसी भी शक्तिशाली देश में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं
जब इस मामले को लेकर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय एवं विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल से जानना चाहा कि वे इसे किस रूप में देखते हैं तो उनका साफ कहना था कि यदि यह वास्तविक संख्या पाकिस्तानी युवाओं से भारतीय महिलाओं के निकाह करने की पांच लाख या इससे कम भी है, जैसा कि इस वक्त चर्चाओं में है, तब भी यह भारत के लिए बेहद खतरनाक है। क्योंकि विश्व के किसी भी ताकतवर देश में नहीं होता कि कोई वहां दोहरी नागरिकता लेकर रहें। अभी इस प्रकार की ज्यादातर महिलाओं के पांच से नौ तक बच्चे होना पाया जा रहा है। निकाह पाकिस्तानी आदमी से किया, पर रह भारत में रही हैं, ऊपर से बच्चे भी यहीं रह रहे हैं। ध्यान में आया है कि कई बच्चों के बड़े होकर निकाह तक हो चुके हैं। ऐसे में हमें यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए कि आज वास्तव में यह भारत की सुरक्षा के लिए बड़ी खतरे की घंटी बज रही है।
फर्जी कागजात बनानेवालों को मिले कड़ी सजा
अश्विनी सवाल पूछते हैं, “ऐसी घटनाएं दुबई, अमेरिका, सिंगापुर, जापान या चीन जैसे देशों में क्यों नहीं होती कि किसी महिला ने भारत में आकर शादी की हो और वे वहां की भी नागरिकता लेकर रखी हों। फिर ये सब भारत में क्यों हो रहा है?” वे कहते हैं, “यह इसलिए है क्योंकि नागरिकता के स्तर पर कठोर कानून हमने नहीं बनाए, जैसा कि इन सभी देशों में हैं। हम भगवान श्रीराम-श्रीकृष्ण की पूजा तो करते हैं लेकिन राम-कृष्ण की नीति लागू नहीं करते।” अश्विनी यह भी कहते हैं कि “भारत में फर्जी कागजात बनाने की कठोरतम सजा का प्रावधान अभी नहीं है, जिसके चलते कोई भी फर्जी-सर्टिफिकेट आसानी से तैयार हो रहे हैं। यह फर्जी डॉक्यूमेंट बनाना गंभीर अपराध घोषित हो जाना चाहिए, क्योंकि ये फर्जी डॉक्यूमेंट हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं।”
जिनके पाकिस्तानी पिता हों, उनसे भारत भक्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती
दूसरी ओर इस मामले में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है, “यह जो जनसंख्या बढ़ रही है भारतीय मां और पाकिस्तान पिता के बच्चों की, वास्तव में यह भारत के विरोध में स्लीपर सेल तैयार करना है। यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि पाकिस्तानी पिता के बच्चे भारत के लिए वफादार होंगे? यह जनसंख्या असंतुलन फैलाने की दिशा में भी एक प्रयोग है। यह सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है।” बंसल कहते हैं, “भारत में कोई भी आतंकी हमला बिना स्लीपर सेल की सहायता के नहीं होता, जिन बच्चों के ब्लड में पाकिस्तानी खून बह रहा है, उनसे भारत के प्रति समर्पित हो जाने की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत-पाकिस्तान के बीच होनेवाला क्रिकेट मैच है, जिसमें भारत के कई कोनों से पाकिस्तान के लिए जिंदाबाद के नारे लगाए जाते हैं!”
अभी विरोध नहीं होगा तो कब होगा?
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रति भारत में किस तरह से प्रेम उमड़ता है, इसका एक मामला हाल ही में जयपुर जैसे महानगर में देखने में आया जब एक संत के विरुद्ध इसलिए एफआईआर दर्ज हो गई क्योंकि उन्होंने पाकिस्तानी झंडे के पोस्टर को एक मस्जिद की अंतिम सीढ़ी पर चिपका दिया था। यदि इतने बड़े पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में पाकिस्तान का विरोध नहीं होगा तो कहां होगा? वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बंसल यहां यह भी पूछते हैं, “आज पाकिस्तान का नाश हो, यह तो सभी को बोलना होगा, इसमें हिन्दू-मुसलमान कहां से आ जाता है? अपने देश के प्रति भक्ति प्रकट करना हर भारतीय का कर्तव्य है, इसलिए जो अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं, उनकी गहराई से पड़ताल होनी ही चाहिए और उन्हें चिन्हित कर वापस उनके देश (पाकिस्तान-बांग्लादेश व अन्य) में भेज देना चाहिए। यही भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए अच्छा होगा।”
भारतीय योजनाओं का ले रहे लाभ
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार की जा रही सख्ती से ही यह पता चल सका है कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की मुस्लिम महिलाओं ने पाकिस्तानियों से निकाह कर अब तक हजारों-हजार बच्चे या जिनकी संख्या इससे भी अधिक संभावित है, भारत में पैदा किये हैं और अपनी मां के साथ ही ये बच्चे भारत सरकार की योजनाओं का मुफ्त में भरपूर लाभ उठा रहे हैं। जबकि ये तमाम सुविधाएं भारतीयों द्वारा दिए जानेवाले टैक्स से भारत के नागरिकों के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकारें करती हैं। अब नए सुरक्षात्मक कारणों के कारण देश की आम जनता यह जान पा रही है कि उसके अपने भारत में कितने पाकिस्तानी रह रहे हैं और वे उनके अपने भारत के लिए आज कितना बड़ा खतरा हैं।
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