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बूंदें मांगें हिसाब!

जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम के बैसरन में गत् 22 अप्रैल को आतंकियों ने चुन-चुनकर हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा। इस नरसंहार में मरने वाले न बंगाली थे, न गुजराती , न पंजाबी। उनकी कोई जातीय पहचान भी नहीं थी। उन्हेें सिर्फ और सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वे हिंदू थे

by Ashwani Mishra
Apr 26, 2025, 10:00 am IST
in भारत, विश्लेषण, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
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अश्वनी मिश्र, पहलगाम से

उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के शुभम द्विवेदी की बीती 12 फरवरी को ही यशोदानगर की एशान्या से शादी हुई थी। 17 अप्रैल को शुभम अपनी पत्नी, मां सीमा, पिता संजय, बहन आरती, बहनोई और ससुर राजेश पांडेय और सास के साथ कश्मीर घूमने आए थे। दोनों परिवारों के कुल 11 सदस्य यात्रा पर थे। 23 अप्रैल को वापसी थी। 22 अप्रैल की दोपहर एक बजे तक पूरा परिवार मौज-मस्ती में था, लेकिन दो बजे के बाद जो हुआ, उससे पूरा परिवार सदमे में आ गया। शुभम को आतंकवादियों ने मार डाला। उसके सिर में गोली मारी गई। अगर चारों तरफ कुछ दिखाई दे रहा था तो सिर्फ खून। एशान्या उस मंजर के बाद से सुधबुध खो चुकी है। उसकी आंखों से आंसू झर रहे हैं। वह हाथों से अपना सिर पीट रही है। बस सुबकते हुए इतना ही कहती है, ”मैं और शुभम साथ बैठे मैगी खा रहे थे, तभी एक अजनबी व्यक्ति आ पहुंचा। उसने शुभम का नाम पूछा और फिर उसे कलमा पढ़ने के लिए कहा। हम लोग समझे कि कोई मजाक कर रहा है और हंसने लगे। मैंने कहा कि भैया, हम मुसलमान नहीं हैं। मेरा इतना ही कहना था कि उसने शुभम के सिर से पिस्ताैल सटाकर उन्हें गोली मार दी। मैं हमलावर के सामने गिड़गिड़ाती रही लेकिन उसने एक न सुनी और कहने लगा कि जाओ, जाकर अपनी सरकार को बता देना। घटना के समय परिवार के पांच अन्य सदस्य घुड़सवारी कर रहे थे, जबकि बाकी छह घूम रहे थे।”

इस खबर के भी पढ़ें : ‘दोषियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी’

भारत के 5 बड़े कदम

  •  सिंधु जल समझौता निलंबित
    असर : पाकिस्तान को जलापर्ति प्रभावित होगी। पाकिस्तान पर आर्थिक एवं पर्यावरणीय दबाव पड़ेगा।
  •  पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द
    असर : भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द, 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश।
  •  अटारी-वाघा बॉर्डर बंद
    असर : भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार एवं यात्रा के लिए प्रमुख अटारी बॉर्डर बंद होने से पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान होगा।
  • पाकिस्तानी दूतावास पर प्रतिबंध
    असर : नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा सलाहकारों को ‘अवांछित’ घोषित किया। एक सप्ताह में देश छोड़ने के आदेश्क। दूतावास के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की
  • सैन्य तैयारी एवं कूटनीतिक चेतावनी
    असर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पष्ट चेतावनी। भारतीय वायुसेना और नौसेना को हाई अलर्ट पर। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित की आशंका-भारत द्वारा सीमा पार सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

आंतरिक मोर्चे पर 5 बड़े निर्णय

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में लिए गए फैसले-

  •  आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन
    केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक में कहा- सरकार आतंकियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगी। आईबी और गृह मंत्रालय ने हमले की पुनरावृत्ति रोकने के लिए नए प्रोटोकॉल बनाने की बात कही।
  •  सुरक्षा तैनाती प्रक्रिया में सुधार
    सरकार ने माना कि पर्यटकों की गतिविधियों के बारे में टूर ऑपरेटरों और होटल व्यवसायियों से बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। भविष्य में सुरक्षा बलों की तैनाती पर्यटकों की आवाजाही के सटीक विवरण पर आधारित होगी।
  •  सर्वदलीय एकजुटता की पुष्टि
    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने आतंकवाद की निंदा करते हुए सरकार को पूर्ण समर्थन दिया। किसी भी कार्रवाई के लिए सरकार को विपक्षी नेताओं का पूरा समर्थन।
  •  पाकिस्तान से जुड़े आतंकी नेटवर्क की जांच
    पाकिस्तानी आतंकियों ने पीओजेके से घुसपैठ की और स्थानीय आतंकियों की मदद से हमले को अंजाम दिया। सरकार ने इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव बनाने के संकेत दिए।
  • पर्यटन क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन
    बैसरन घाटी जैसे दूरस्थ पर्यटन स्थलों में सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने की योजना बनी, जहां हमले के समय सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं थी। भविष्य में पर्यटकों की रियल-टाइम ट्रैकिंग पर जोर दिया जाएगा।

पर्यटकों पर हमला निंदनीय व संतापजनक

दत्तात्रेय होसबाले

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ नृशंस आतंकी हमला अत्यंत निंदनीय एवं संतापजनक है। हम घटना में मृत हुए सभी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं तथा घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।
यह हमला देश की एकता व अखंडता पर प्रहार करने का दुःसाहस है। सभी राजनीतिक दलों व संस्थाओं को सारे मतभेदों से ऊपर उठकर इसकी भर्त्सना करनी चाहिए। सरकार सभी पीड़ितों व उनके परिवारों की सहायता की आवश्यक व्यवस्था करे तथा इस हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को दंडित करने हेतु शीघ्र उचित कदम उठाए।

-दत्तात्रेय होसबाले
सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

आतंकी हमले में अपने पति को खोने के बाद बिलखती हुई महिला

https://www.youtube.com/watch?v=0u3k5xsG5V8&t=29s

नई जिंदगी शुरू होने से पहले ही खत्म

करनाल के रहने वाले नेवी में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात विनय नरवाल और उनकी पत्नी दो सप्ताह पहले ही शादी के बंधन में बंधे थे। सब कुछ नया-नया था। नए सपने, नई उम्मीदें और साथ जीने की कसमें। हंसते-खेलते जीवन पथ पर आगे बढ़ने की बातें हुई होंगी। चमकती आंखों में न जाने कितने ही सपने संजोकर रखे होंगे। लेकिन किसे मालूम था कि चंद मिनटों में सब कुछ खत्म हो जाएगा। शादी, पगफेरे और प्रीतिभोज के बाद कश्मीर की यात्रा जीवन में वह घाव देकर जाएगी, जो जीवन भर रिसता रहेगा। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में वादियों के बीच विनय की नई दुलहन उनके शव के साथ पथराई बैठी दिखी। परिवार में मातम पसरा है। कश्मीर गए विनय के पिता अब उसका शव कंधों पर लेकर लौटे हैं। विनय का क्या गुनाह था? क्यों आतंकियों ने उन्हें गोलियों से भून डाला? वे हिन्दू थे, बस यही उनका कसूर था।

कलमा नहीं पढ़ पाए तो मार डाला

पुणे के व्यवसायी संतोष जगदाले भी आतंकियों की गोली का शिकार हुए। उनकी बेटी असावरी इस खौफनाक मंजर का दर्द बयां करते हुए कहती हैं, ”जब गोलीबारी शुरू हुई तब बैसरन घाटी में हम 5 लोग थे, जिनमें मेरे माता-पिता भी शामिल थे। अचानक मेरे पास के तंबू में अंधाधुंध गोलियां बरसने लगीं। पूरा परिवार डर के मारे तंबू के अंदर छिप गया। आतंकी सेना की वर्दी में थे। 6-7 अन्य पर्यटक भी छिप गए। सभी गोलीबारी से बचने के लिए जमीन पर लेट गए। लोग यही समझ रहे थे कि आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी चल रही है। तभी आतंकियों ने पापा से कहा कि बाहर आओ और कलमा पढ़ो। पापा ऐसा नहीं कर सके, तो आतंकियों ने उन्हें तीन गोली- एक सिर में, एक कान के पीछे और एक पीठ पर मारीं। पापा वहीं गिर गए। उनके सिर से खून की धार बह रही थी। आतंकी यही नहीं रुके, उन्होंने बगल में लेटे चाचा पर भी हमला किया और उनकी पीठ में भी कई गोलियां मारीं। इसके बाद जो भी सामने दिखा, आतंकियों ने उसे गोली मार दी। आतंकवादी कह रहे थे कि ‘तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है। उसकी वजह से हमारा मजहब खतरे में है।’

प्रमुख आतंकी हमले

  • 12 अक्तूबर, 2019: श्रीनगर के लाल चौक पर ग्रेनेड हमला जिसमें 8 नागरिक घायल हुए। यह हमला टीआरएफ का नाम सामने आने के बाद पहली प्रमुख घटना थी जिसकी जिम्मेदारी उसने टेलीग्राम के माध्यम से ली थी।
  •  8 जून, 2020: कश्मीरी हिन्दू सरपंच की हत्या।
  •  25 सितंबर, 2020: श्रीनगर में टीआरएफ के आतंकियों ने प्रमुख वकील बाबर कादरी की हत्या कर दी। यह हमला प्रभावशाली स्थानीय लोगों को निशाना बनाने की उनकी योजना का हिस्सा था।
  •  5 अक्तूबर, 2021: श्रीनगर में कश्मीरी हिन्दू माखन लाल बिंद्रू की गोली मारकर हत्या।
  •  7 अक्तूबर, 2021: आतंकियों ने श्रीनगर के एक स्कूल में दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों (एक हिंदू और एक सिख) की हत्या की।
  • 31 मई, 2022: कुलगाम में आतंकियों ने स्कूल शिक्षक रजनी बाला की लक्षित हत्या की। इस हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर ऑपरेटिव अरबाज अहमद मीर मुख्य आरोपी था।
  •  28 फरवरी, 2023: कश्मीरी हिन्दू संजय शर्मा की हत्या। बाद में हमलावर आतंकी अकीब मुश्ताक भट अवंतीपोरा मुठभेड़ में मारा गया।
  •  9 जून, 2024: रियासी जिले में वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमला, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और 33 घायल हुए। टीआरएफ ने पर्यटकों और हिन्दुओं पर और हमलों की धमकी दी।

जान गंवाने वाले

जान गंवाने वाले : नाैसेना अधिकारी विनय नरवाल (हरियाणा), दिनेश अग्रवाल (चंडीगढ़), नीरज उधवानी (उत्तराखंड), शुभम द्विवेदी (उत्तर प्रदेश), मनीष रंजन (उप आबकारी निरीक्षक, बिहार), एन रामचंद्र (केरल), सुशील नथ्याल (मध्य प्रदेश), सैयद आदिल हुसैन (जम्मू-कश्मीर), हेमंत सुहास जोशी,अतुल श्रीकांत मोनी, संजय लक्ष्मण लाली, दिलीप दसाली, कस्तुबा गनवोटे व संतोष जघड़ा (महाराष्ट्र), मधुसूदन सोमिसेट्टी, मंजुनाथ राव व भरत भूषण (कर्नाटक), पिता-पुत्र सुमित परमार, यतेश परमार व शैलेशभाई हिम्मतभाई (गुजरात), बितन अधिकारी व समीर गुहा (प. बंगाल), ताजेहलिंग (वायुसेना कर्मचारी, अरुणाचल प्रदेश), प्रशांत कुमार सतपथी (ओडिशा), जे. सचंद्र माैलि (विशाखापत्तनम) और सुदीप न्यौपाने (नेपाल)
ये घायल : विनय भाई, डोभी विनोभा (गुजरात), मानिक पटेल, एस बालचंद्रू, हर्षा जैन, निकिता जैन व सोबेदे पाटिल (महाराष्ट्र), डॉ. ए. परमेश्वरम व सांतानो (तमिलनाडु), अभिजया एम राव (कर्नाटक), आकांक्षा व जेनिफर (मध्यप्रदेश), लक्षिता दास (छत्तीसगढ़), जया मिश्रा (हैदराबाद), शबारिगुहा (प. बंगाल), शशि कुमारी (ओडिशा) और रेनू पांडे (नेपाल)

आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते और प्रकोष्ठ में एक पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते गृहमंत्री अमित शाह।

स्वयंसेवक थे रामचंद्र

केरल के वरिष्ठ स्वयंसेवक एन रामचंद्रन को भी आतंकियों ने मार डाला। कोच्चि के एडापल्ली के रामचंद्रन की हत्या उनकी बेटी के सामने की गई, ठीक उसी तरह जैसे कर्नाटक में मंजूनाथ की हत्या उनकी पत्नी के सामने की गई थी। जिस समय बैसरन घाटी में आतंकियों ने हमला किया, उस समय उनकी पत्नी कार में बैठी हुई थीं। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। रामचंद्रन कोच्चि महानगर जिले के एडापल्ली शाखा के पूर्व मुख्य शिक्षक थे। आतंकियों ने उनका धर्म जानने के पहले उनका नाम पूछा, फिर कलमा पढ़ने को कहा। आतंकियों ने उनकी पहचान जानने के लिए उनसे कपड़े भी उतारने को कहा।

भारत विरोध के लिए कांग्रेस नेता राहुल बने मिसाल

पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार ‘द डान’ ने 24 अप्रैल को ‘पहलगाम हमला’ शीर्षक से संपादकीय लिखा है। इसमें अन्य बातों के अलावा, अखबार लिखता है, ‘भारत को भी अपने भीतर झांकना चाहिए और कश्मीर में अपने क्रूर शासन की समीक्षा करनी चाहिए, जिसने भारी असंतोष को जन्म दिया है।’ अखबार ने जिहादियों को ‘अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए बंदूक उठाने वाले’ बताया है। संपादकीय में आगे लिखा है, ”अगस्त 2019 में विवादित क्षेत्र की सीमित स्वायत्तता को खत्म करने के बाद से, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने दिखावा किया है कि भारत के कब्जे वाले कश्मीर में ‘सब ठीक है’। ऐसा नहीं है। यहां तक कि भारत के भीतर भी आवाजें सरकार के शांति स्थापित करने के दावों पर सवाल उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, भारत के विपक्षी नेता राहुल गांधी ने सत्ता चलाने वालों से कहा है कि वे कब्जे वाले कश्मीर में शांति के “खोखले दावों” से आगे बढ़ें।”

उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी अभी अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने अपने पिछले दौरे की तरह, भारत सरकार और लोकतंत्र के लिए अपमानजनक बातें कीं। उनकी बातें इस हद तक भारत विरोधी होती हैं कि भारत के प्रति शत्रुभाव रखने वाले पाकिस्तान के अखबार उन्हें उद्धृत करके अपने झूठे विमर्श को पुख्ता करने की कोशिश करते हैं।

‘मोदी को बता देना’

ऐसे ही कर्नाटक के कारोबारी मंजूनाथ की पत्नी पल्लवी भी आतंकियों की क्रूरता को बयां करती हैं। वे बताती हैं कि उनके सामने ही आतंकियों ने उनके पति को मार डाला। मैंने आतंकियों से कहा, मेरे पति को मार दिया, मुझे भी मार दो। इस पर एक आतंकी बोला, तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो। हम तीन लोग- मैं, मेरे पति और हमारा बेटा कश्मीर गए थे। लेकिन अब उनकी अर्थी वापस ले जा रही हूं। मंजूनाथ कर्नाटक के शिवमोगा के रहने वाले थे। कर्नाटक के इस दंपती का आखिरी वीडियो भी सामने आया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। हमले में बचकर निकली पल्लवी के मुताबिक आतंकी हिंदुओं को निशाना बना रहे थे। यह रक्तरंजित आपबीती देश के विभिन्न्न हिस्सों से आए शुभम, विनय, सुदीप, प्रशांत, संजय लक्ष्मण, सुशील, हेमंत, अतुल श्रीकांत मोनी सहित 28 लोगों की है, जिन्हें जम्मू-कश्मीर स्थित अनंतनाग जिले के पहलगाम में बीती 22 अप्रैल को इस्लामिक आतंकियों ने हिन्दू पहचान के आधार पर चुन-चुनकर बेरहमी से मार डाला। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो आतंकियों ने लोगों के सिर पर पास से गोलियां मारीं। उनकी पहचान जानने के लिए कपड़े तक उतरवाकर देखे गए।

हमले के विराेध में श्रीनगर में लाल लौक पर प्रदर्शन करते स्थानीय लोग
पाकिस्तानी आतंकी (बाएं से) अबु ताल्हा और सुलेमान शाह (दाएं से पहला) एवं तीसरे स्थान पर स्थानीय आतंकी जुनैद जो एक मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुका है

लोग अपने-अपने घरों से दो, चार, छह, आठ की संख्या में कश्मीर घूमने आए थे। लेकिन जब वापस लौटे तो अपनों की लाश लेकर। श्रीनगर के पुलिस कंट्रोल रूम में एक लाइन से ताबूतों में हिन्दुओं की लाशें रखी हुई थीं। मंजर बहुत हृदयविदारक था।

आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए घायलों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर लगाया गया। तो एक दर्जन घायलों को खच्चरों पर लादकर पहलगाम के अस्पताल लाया गया। इसके बाद उन्हें अनंतनाग के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां कइयों का इलाज अभी भी चल रहा है। हाल के वर्षों में जम्मू -कश्मीर में हिन्दुओं को लक्षित करके मारने की यह सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है।

सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस अधिकािरयों से जानकारी लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह

4 आतंकियों ने दिया हमले को अंजाम, 2 की हुई पहचान

पुलिस सूत्रों की मानें तो 4 आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया। इनमें से दो आतंकियों की पहचान हो गई है। एक आतंकी आदिल गुरी है जिसकी फोटो भी सामने आई है। आदिल गुरी 2018 में पाकिस्तान से वापस आया था। वहीं दूसरे आतंकी की पहचान आसिफ शेख के रूप में हुई है। इन दोनों के साथ दो और आतंकी हमले में शामिल थे। ये दोनों पाकिस्तानी हैं।

न्यूयार्क टाइम्स का दोगला चेहरा बेनकाब

अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स किस तरह खुद को सेकुलर साबित करने के चक्कर में पत्रकारीय मूल्यों की धज्जियां उड़ा रहा है उसे किसी और ने नहीं, अमेरिका की ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी मेजॉरिटी’ ने अपने एक्स हैंडल पर बेनकाब किया है। 23 अप्रैल को उसने एक्स पर पहलगाम जिहादी हमले पर न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के शीर्षक पर आपत्ति जताते हुए अखबार को याद दिलाया कि घटना चाहे इस्राएल की हो या भारत की, आतंकवाद पर न्यूयार्क टाइम्स असलियत से दूर रहता है। दरअसल रिपोर्ट के शीर्षक में अखबार ने ‘टेरेरिस्ट्स’ यानी आतंकवादी की बजाय ‘मिलिटेंट्स’ यानी उग्रवादी लिखा है, मतलब हमला करने वाले ‘मिलिटेंट्स’ थे। अपनी पोस्ट में ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी मेजॉरिटी’ ने शीर्षक में ‘मिलिटेंट्स’ की जगह ‘टेरेरिस्ट’ लिखकर अखबार को जानबूझकर की गई उसकी सेकुलर भूल याद दिलाई।

लाल चौक पर हो रहा विरोध

जिस लाल चौक पर 2014 के पहले तक आतंकियों के समर्थन में जुलूस निकलते थे, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते थे, आतंक समर्थित कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जम्मू-कश्मीर आने वाले पर्यटक लाल चौक जाने से कतराते थे। इस नरसंहार के बाद उस लाल चौक का नजारा एकदम बदला हुआ था। हजारों लोगों ने वहां एकत्रित होकर इस हत्याकांड के विरोध में प्रदर्शन किया।

सामाजिक कार्यकर्ता नगमा कहती हैं, ”आतंकी नहीं चाहते कि कश्मीर में अमन—चैन रहे। इसलिए उन्होंने चुन—चुनकर हिन्दुओं को मारा। जिन लोगों ने पहलागाम में पर्यटकों को मारा है, वे दरिंदे हैं। हम कश्मीरी उनके खिलाफ हैं।” श्रीनगर में दुकान चलाने वाले तौफीक कहते हैं, ”नरेंद्र मोदी सरकार में कश्मीर में शांति आनी शुरू हुई है। कश्मीरी कुछ साल से अब चैन से रह पा रहे हैं। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है। वे हमारे और घाटी के लिए जो बन पा रहा है, वह सब कर रहे हैं। लेकिन जो दरिंदों ने किया, उसे कोई माफी नहीं दी जा सकती।”

कश्मीर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अशफाक हुसैन कहते हैं, ”हम सब भाई हैं। एक भाई का खून बहेगा तो अब हम शांत नहीं रहेंगे। आतंकियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। हमें अब कोई डरा नहीं सकता। मजलूमों का कत्लेआम कश्मीरी सहन नहीं करेगा।”

इसी तरह ट्रेवल एजेंट यासिर कहते हैं, ”पूरा कश्मीर रो रहा है। सारे बाजार बंद हैं। यह किसी पार्टी की कॉल पर नहीं है। हम लोगों का दिल रो रहा है। आतंकियों ने जिन निर्दोष लोगों को मारा है, खुदा उन्हें माफ नहीं करेगा। ऐसे लोग जहन्नुम में जाएंगे। बडगाम के मौलवी निजाम भी प्रदर्शन के दौरान काफी आक्रोश में नजर आए। उन्होंने बोलने से पहले मृतकों के लिए दुआ की, फिर कहा, ”हम सब इन आतंकियों के खिलाफ हैं। यह इंसानियत पर हमला है और हम सब शर्मसार हैं कि कश्मीर में ऐसा कत्लेआम हुआ है। पूरे भारत से आने वाले लोग हमारी शान और जान हैं। हमारी सरकार से मांग है कि जो भी इस हमले में शामिल हो, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। ऐसे लोगों को जहन्नुम भेजना चाहिए। वही उनकी सही जगह है।” डीडीसी काउंसिल से आई शबाना ने कहा,”आतंकियों ने हिन्दुओं को इसलिए टारगेट किया क्योंकि वे हिन्दू-मुसलमान को आपस में लड़ाना चाहते हैं। हम कश्मीरी उन्हें इसमें सफल नहीं होने देंगे। हमारी प्रशासन से यही मांग है कि ऐसे दहशतगर्दों को सिर्फ और सिर्फ फांसी दी जाए।” बारामूला के रिजवान कहते हैं, ”कश्मीर को बदनाम करने के लिए आतंकी हमला किया गया है। जिन आतंकियों ने मजलूमों को मारा है, अल्लाह उन्हें नेस्तनाबूद करेगा। आतंक को पालने वाले हुक्कमरान नहीं चाहते कि कश्मीर के लोग शांत रहे, कश्मीर फले-फूले। इसलिए ऐसे आतंकी हमले करके यहां की फिजां में जहर घोलते हैं। मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि इस हमले के पीछे जो भी लोग हों, उन्हें मार गिराया जाए।”

प्रदर्शन में कुछ स्थानीय कश्मीरी हिन्दू और सिख समाज के लोग भी थे। मानिक चंद उन्हीं में से एक हैं। वे कहते हैं कि हिन्दू—मुस्लिम भाईचारे की बातें की जा रही हैं। 2014 के पहले ऐसा सोचना भी मुश्किल था। ये सब देखकर अच्छा लग रहा है। लेकिन प्रदर्शन करने वाले लोग हिन्दुस्थान जिंदाबाद के नारे क्यों नहीं लगा रहे, क्यों पाकिस्तान मुर्दाबाद नहीं बोल रहे। क्यों उन आतंकियों के मजहब को नहीं बता रहे जिन्होंने हिन्दू पहचान के आधार पर 28 लोगों को मार डाला। निश्चित ही इस्लाम आतंकियों का मजहब था। कलमा पढ़ने के लिए कहने वाले मुसलमान थे।

इस बात को भी समझना होगा। खैर, ये लोग कुछ कदम साथ चल रहे हैं, ये भी अच्छा संदेश है। लेकिन जो दिख रहा है, वैसा है नहीं। इस बात को समझना होगा। इतना कहकर मानिक चंद शांत हो जाते हैं। श्रीनगर के ही रहने वाले किशन चंद बेदी कहते हैं, ”हिन्दू समुदाय के 28 लोगों को मार डालने की घटना खून खौलाने वाली है। यह सीधा पैगाम है कि अल्पसंख्यकों का कश्मीर से खात्मा। ये कौन सा इस्लाम है? किस तालीम में ऐसा कहा गया कि मजलूम को मारो? लेकिन पहलगाम में तो नाम पूछ कर मारा। कलमा पढ़ने के लिए कहा। यानी मुसलमान नहीं बनोगे, मुसलमान नहीं होगे तो मार डालेंगे! यह जिहाद है। वे कर रहे हैं जो वे मालदा से लेकर मुर्शिदाबाद तक यही तो कर रहे हैं।

इंसानियत की बातें करने वाले ढोंगी हैं। जितनी जल्दी हमारा समाज ये समझ जाएगा, उसके लिए अच्छा होगा।” ऐसे ही जवाहरनगर की रहने वाली नीलम भी एक तरफ खड़ी होकर प्रदर्शन को देख रही थीं। वे बोलीं, ” कुछ लोग हैं जो रोजी-रोटी के चक्कर में भारत-भारत करते हैं लेकिन असलियत कुछ और ही होती है। 1990 में क्या था। हम सब भगाए गए घाटी से। इसलिए ऐसे प्रदर्शन खूब देखे हैं। और इंसानियत की बातें करने वाले भी खूब देखे हैं। आंखों को साफ करो, सब साफ-साफ दिखेगा। मुझे साफ दिखता है।”

इस खबर के भी पढ़ें :- इस्लामी जिहाद बनाम लोकतंत्र की संकल्पशक्ति

क्या है टीआरएफ

टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह तेजी से उभरा। इसने सुरक्षाबलों, स्थानीय नागरिकों, विशेषकर हिन्दुओं, सरकारी कर्मचारियों और पर्यटकों पर लगातार हमले किए हैं। इसका मकसद कश्मीर में आतंक फैलाना है।

‘दोषियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी’

 

Topics: कारगिल से कन्याकुमारीलश्कर-ए-तैयबाविनय नरवालजम्मू-कश्मीरकब्जे वाले कश्मीरकश्मीर में आतंकमोदी को बता देनाअनुच्छेद 370हिन्दुओं को मौतपहलगामकश्मीर में आतंक फैलानापाञ्चजन्य विशेषपहलगाम हमलाभारत की आत्मा पर हमलापहलगाम में पर्यटकआतंकवाद से भारत की आत्मा कभी नहीं टूटेगी
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