भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन (84) का शुक्रवार को निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। आरएसएस ने शोक संदेश में कहा कि भारत के राष्ट्र जीवन के एक दैदीप्यमान नक्षत्र अस्त हो गया।
के कस्तूरीरंगन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख शिल्पकार थे। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शोक संदेश में कहा कि सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉक्टर कस्तूरीरंगन जी के देहावसान से भारत के राष्ट्र जीवन के एक देदीप्यमान नक्षत्र अस्तंगत हो गया। डॉ. रंगन अब मात्र स्मृतिशेष हैं। पद्मविभूषण सम्मानित, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रंगन वैज्ञानिक क्षेत्र में वैश्विक स्तर के दिग्गज रहे ; साथ ही राज्यसभा, योजना आयोग ऐसे विविध क्षेत्रों में उन्होंने राष्ट्र की सेवा की। उनके अंतरिक्ष क्षेत्र के योगदान के ही समान कार्य वे भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण एवं क्रियान्वयन में किया जो एक एतिहासिक उपलब्धि है। वैज्ञानिक, नीति निर्माता, शिक्षाविद्, पर्यावरणविद ऐसे विभिन्न भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से निभाने वाले डॉ. कस्तूरी रंगन उदात्त मानवतावादी और संवेदनशील व्यक्ति थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से हम डा. कस्तूरीरंगन के परिवार एवं प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। ऐसे महान राष्ट्र भक्त को हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत पुण्यात्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे यही प्रार्थना करते हैं।
के कस्तूरीरंगन केवल वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक उदात्त मानवतावादी भी थे। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ. कस्तूरीरंगन का योगदान भारत की अंतरिक्ष वैज्ञानिक उपलब्धियों में बेहद अहम रहा है। वे 1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया।
डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन योजना आयोग के सदस्य रहे। उन्होंने 27 अगस्त, 2003 को अपना कार्यालय छोड़ने से पहले, अंतरिक्ष आयोग के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार ढंग से आगे बढ़ाया।
इससे पहले इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक रहे, जहां उन्होंने नई पीढ़ी के अंतरिक्ष यान, भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आई.आर.एस.-1ए और 1बी) के साथ-साथ वैज्ञानिक उपग्रहों के विकास से संबंधित गतिविधियों का पर्यवेक्षण किया।
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