जहां एक तरफ पूरी दुनिया महिलाओं को सम्मान के साथ जीने की आजादी देने की वकालत कर रही है तो वहीं इस्लामिक देश ईरान महिलाओं को बुर्के और हिजाब में कैद करने की कोशिशों मे लगा हुआ है। वहां के कट्टरपंथी लगातार न केवल महिलाओं की आजादी को कुचलने वाले कानून बना रहे हैं, बल्कि उसे पूरी बेरहमी के साथ महिलाओं पर थोप भी रहे हैं। इसी क्रम में एक बार फिर से ईरान में स्थगित किए गए नए हिजाब कानून को लागू करने की कवायद तेज हो गई है।
ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, देश की संसदीय सांस्कृतिक समिति के प्रवक्ता ने इस ओर इशारा करते हुए कहा है कि ईऱान के नए हिजाब कानून को लागू करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रवक्ता अहमद रस्तिनेह ने इसको लेकर बीते गुरुवार को एक बयान में इस ओर कदम उठाए जाने की ओर इशारा किया। रस्तिनेह के अनुसार, रुढ़िवादी दबाव के कारण ऐसा होगा। अपने दीन के प्रति निष्ठा रखने वाले नागरिकों के समूहों की उचित मांग है कि देश में नया हिजाब कानून लागू किया जाना चाहिए।
इस्लामी शासन के लिए है महत्वपूर्ण
अहमद रस्तिनेह ने हिजाब की अनिवार्यता की तरफ अपना झुकाव दिखाते हुए कहा कि नए हिजाब कानून को देश में लागू किया जाएगा। क्योंकि ये देश के इस्लामी शासन और शरिया के मूल्यों को बचाए रखने के लिए आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि ईरान के नए हिजाब कानून को ईरानी संसद में सितंबर 2023 में पारित किया गया था। इसके बाद पिछले साल इसे लागू करने की कोशिश की गई।
क्या कहता है नया हिजाब कानून
मौजूदा हिजाब कानून के अंतर्गत महिलाओं को मॉरल पुलिस मारती-पीटती थी। लेकिन अब नए कानून के तहत एक और अध्याय जोड़ दिया गया है, वो है जुर्माना। ये जुर्माना छोटा नहीं, बल्कि इतना भारी है कि शायद महिलाएं इसे कभी भर नहीं पाएं। इसके तहत हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं पर ईरानी सरकार 150 मिलियन ईरानी रियाल का जुर्माना ठोंकेगी। गंभीर मामलों में इस जुर्माने को बढ़ाकर 1.65 बिलियन रियाल तक करने का प्रावधान है। अगर कोई इस रकम को नहीं चुकाता है तो उसे सभी तरह की सरकारी पहुंच से बाहर कर दिया जाएगा।
इतना ही नहीं अगर किसी वाहन का इस्तेमाल हिजाब नियमों के उल्लंघन के लिए किया जाता है तो उसे भी एक सप्ताह के लिए जब्त कर लिया जाएगा। अब देश में एक बार फिर से इस कानून को लागू करने की मांग तेज हो गई है। वहीं दूसरी ओर महिलाएं भी लगातार इसका विरोध कर रही हैं। इसीलिए अब तक सरकार भी व्यापक विरोध प्रदर्शन से बचने की कोशिशें कर रही थी।
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