गत अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के प्रांगण में पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। राष्ट्र सेविका समिति, मेधाविनी सिंधु सर्जन (दिल्ली प्रांत) और ‘शरण्या’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में देश भर से आए लगभग 150 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
इन प्रस्तुतियों में अहिल्याबाई के सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण, मंदिर निर्माण, धार्मिक सहिष्णुता और प्रशासनिक कुशलता जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य अहिल्याबाई होलकर के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके युगांतकारी कार्यों की समकालीन प्रासंगिकता को उजागर करना था।
मुख्य वक्ता प्रो. सुषमा यादव (कुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने अहिल्याबाई होल्कर के प्रशासनिक कौशल और उनकी न्यायप्रियता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका शासन भारतीय इतिहास में सुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण है। प्रदीप अग्रवाल (संस्थापक अध्यक्ष, ग्लोबल सिग्नेचर) ने कहा की अहिल्याबाई का शासन इसलिए विशिष्ट था, क्योंकि वह ‘सबका साथ, सबका विकास की नीति’ पर चलता था।
संगोष्ठी की अध्यक्ष और सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा राष्ट्रीय चेतना का जीवित प्रतिबिंब है अहिल्याबाई होल्कर का जीवन। राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत प्रचारिका विजया शर्मा, प्रांत कार्यवाहिका सुनीता भाटिया, आशा शर्मा, राधा मेहता, प्रांत संयोजिका चारु कालरा आदि का भी मार्गदर्शन मिला।
इस दौरान अहिल्याबाई के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को चित्रों के माध्यम से देखना एक सुखद अनुभव रहा।
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