जम्मू-कश्मीर की शांत वादियों को मजहबी आतंकियों द्वारा लहूलुहान की घटना ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। वहीं अब पहलगाम में हुए इस कायराना आतंकी हमले के बाद अब केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ निर्णायक मोर्चा खोल दिया है। इस हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आतंक का चेहरा चाहे जितना बदल जाए, उसकी सोच मजहबी नफरत पर ही टिकी होती है— जो भारत की एकता को चीरने पर आमादा है।
1500 से अधिक कट्टरपंथी हिरासत में
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुरक्षा बलों ने घाटी में आतंकवाद के नेटवर्क को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 1500 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है—इनमें वे भी शामिल हैं जो वर्षों से ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ (OGW) बनकर आतंक का समर्थन कर रहे थे। अब उन्हें न सिर्फ हिरासत में लिया गया है, बल्कि उनके सम्पर्कों की भी जाँच की जा रही है। बता दें कि सेना द्वारा यह कोई साधारण प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि कट्टर मजहबी सोच के खिलाफ छेड़ा गया ऑपरेशन क्लीन-अप है।
राजधानी सहित बॉर्डर स्टेट्स भी अलर्ट पर
यह हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं है। इस हमले के बाद से देश की राजधानी दिल्ली सहित पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी हाई अलर्ट कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान प्रायोजित मजहबी आतंकवाद की इस कायरतापूर्ण घटना पर भारत अब चुप नहीं बैठने वाला।
घटनास्थल पर पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह
वहीं पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैसरन मैदान का दौरा किया और बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि देश आतंकवाद के आगे कभी नहीं झुकेगा और हमले के दोषियों को छोड़ा नहीं जाएग
राजनाथ सिंह की ललकार – “जवाब ऐसा होगा कि दुनिया देखेगी”
गृह मंत्री अमित शाह स्वयं घटनास्थल बैसरन पहुंचे। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज दिल्ली में NSA सहित तीनों सेना प्रमुखों के साथ हाईलेवल मीटिंग की है। इसके बाद एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत किसी मजहबी आतंक के आगे झुकने वाला नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया कि जो नापाक साजिशें रचते हैं, उन्हें भारत ऐसा जवाब देगा कि पूरी दुनिया देखेगी।
प्रधानमंत्री के दौरे स्थगित
इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में छोड़ भारत वापस आ गए और उन्होंने एयरपोर्ट से ही पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेना शुरू कर दी। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय ने कानपुर दौरा भी स्थगित कर दिया जो इस बात का संकेत है कि अब भारत के लिए यह आतंकी हमला केवल “घटना” नहीं, बल्कि “घोषणा” है कि भारत अब निर्णायक मोड में है।
विश्वभर से मिल रहा भारत को समर्थन
इस आतंकी हमले के बाद से भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। सऊदी अरब ने आतंकवाद को “सीमा पार हथियार बनाए जाने” की निंदा करते हुए भारत के रुख का समर्थन किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को नैतिक समर्थन दिया है। पुतिन ने कहा—“इस क्रूर अपराध का कोई औचित्य नहीं है, और दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए।”
अब सवाल नहीं, एक्शन होगा — मजहबी आतंकवाद को मिलेगा जवाब
इस मजहबी आतंकवाद के चेहरे ने भारत के धैर्य को चुनौती दी है। भारत अब निंदा नहीं, प्रतिशोध लेगा। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दिल्ली से लेकर कश्मीर तक होने वाले घटनाक्रम से अब उन मजहबी ठेकेदारों और कट्टरपंथियों को यह समझना होगा कि भारत केवल एक सहनशील राष्ट्र नहीं, बल्कि प्रचंड प्रतिशोध लेने और मजहबी आतंक को जबाव देने में भी सक्षम है।
भारत अब मजहब की आड़ में आतंक फैलाने वालों को इज़राइली शैली में खोज-खोजकर मिटाने की निति पर काम करने में जुट गया है। भारत की नीति अब स्पष्ट है- “जो भारत में खून बहाएगा, उसे अब मिटा दिया जाएगा।”
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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