जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद जब पूरा देश शोक में डूबा था, उसी समय झारखंड के बोकारो में बैठा मजहबी आतंक की मानसिकता में डूबा नौशाद पहलगाम में हुए नरसंहार का जश्न मना रहा था। वह सोशल मीडिया पर इस हमले के लिए पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा को शुक्रिया कर अपने अल्लाह से उन्हें खुशियाँ देने की दुआ दे रहा था।
जहरीली मजहबी सोच रखने वाला मोहम्मद नौशाद ने सोशल मीडिया के अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा- शुक्रिया पाकिस्तान, शुक्रिया लश्कर-ए-तैयबा… अल्लाह तुम्हें हमेशा खुश रखे। हमें और खुशी होगी अगर आरएसएस, भाजपा, बजरंग दल और मीडिया को निशाना बनाया जाए।” इसके साथ नौशाद ने हँसती इमोजी भी पोस्ट की।
नौशाद की पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने झारखंड पुलिस को टैग कर इस मजहबी गद्दार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इसके बाद झारखंड पुलिस की एसआईटी टीम ने टेक्निकल सेल की मदद से इस जहरीले मजहबी तत्व को बुधवार सुबह मखदुमपुर, बोकारो से दबोच लिया।
जानकारी के अनुसार इंस्पेक्टर नवीन कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने रातभर कार्रवाई कर नौशाद को गिरफ्तार किया। अब उससे पूछताछ जारी है कि उसने ऐसा पोस्ट किस मंशा के तहत किया था, जिसके बाद जल्द ही उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार 35 वर्षीय नौशाद की इस जहरीली मजहबी मानसिकता के पीछे उसकी पढ़ाई-लिखाई से भी झलकती है—बिहार के एक मदरसे से कुरान की डिग्री लेने के बाद से वह लगातार सोशल मीडिया पर नफरत और आतंकवाद का एजेंडा फैलाने में जुटा था। उसका एक भाई दुबई में है और जिस के नाम पर लिए गए सिम से नौशाद एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नफरत उगलता रहा।
अब सवाल यह है—क्या यह महज एक व्यक्ति की हरकत है, या आतंकी मानसिकता का एक नया चेहरा।? क्या ऐसे कट्टर सोच रखने वालों को केवल गिरफ्तार करना काफी है या इनके नेटवर्क की भी जड़ तक जांच होनी चाहिए।।?
वहीं सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को यह तय करना होगा कि इंटरनेट पर छिपे ऐसे डिजिटल जिहादियों को केवल “यूज़र” ना समझकर उन्हें “देशद्रोही दुश्मन” माना जाए और उनके साथ वैसा ही बर्ताब किया जाए जैसा एक आतंकी या देशद्रोही के साथ किया जाता है।
क्योंकि देश लहूलुहान हो और कोई जश्न मनाए, तो वह नागरिक नहीं, देश का शत्रु है– और उसका स्थान समाज नहीं, बल्कि जेल होनी चाहिए और सजा के तौर पर फांसी होनी चाहिए।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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