क्या सीआईए करने जा रही है म्यांमार में बड़ी फौजी हलचल? वाशिंगटन गए हैं बांग्लादेश के इंटेलिजेंस अधिकारी!
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

क्या सीआईए करने जा रही है म्यांमार में बड़ी फौजी हलचल? वाशिंगटन गए हैं बांग्लादेश के इंटेलिजेंस अधिकारी!

बांग्लादेश के मेजर जनरल जहांगीर आलम की वाशिंगटन की गुपचुप हो रही यात्रा अभी तक वैश्विक सुर्खियों में भले ही नहीं आई है, लेकिन यह दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में व्यापक फेरबदल का हिस्सा हो सकती है

by Alok Goswami
Apr 22, 2025, 07:00 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
Representational Image

Representational Image

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अमेरिका से एक चौंकाने वाली खबर आई है जो अभी पक रही है। लेकिन इस खबर के ‘कंटेंट’ संकेत करते हैं कि म्यांमार में जल्द ही कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई देखने में आ सकती है, जिसकी डोर सीआईए के हाथ में होगी और म्यांमार से सटा बांग्लादेश उसका मुख्य सहयोगी होगा। संभवत: इसी विषय पर एक बड़ा खाका तैयार करने के लिए बांग्लादेश के सैन्य खुफिया डीजीएफआई प्रमुख मेजर जनरल जहांगीर आलम कल वाशिंगटन पहुंचे हैं। मामला विशेष रूप से म्यांमार के राखाइन क्षेत्र को लेकर पक रहा है। वहां सीआईए कोई गुप्त सैन्य योजना पर विचार कर रहा है। राखाइन क्षेत्र ईसाई और रोहिंग्या बहुल माना जाता है। इसलिए चर्चा यह भी सुनने में आ रही है कि वहां अमेरिका कोई नया ईसाई देश गठित करने की लंबी योजना पर काम रह रहा है। बांग्लादेश के इंटेलिजेंस अधिकारियों ने कल देर शाम वाशिंगटन में इस मुद्दे पर अमेरिकी इंटेलिजेंस अधिकारियों से विस्तृत बात की ​है।

मीडिया के कोलाहल से दूर हुई इस बैठक को एक शांत लेकिन भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश के शीर्ष सैन्य खुफिया अधिकारी मेजर जनरल जहांगीर आलम, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस (डीजीएफआई) के महानिदेशक, यूनाइटेड स्टेट्स सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के अधिकारियों के साथ उच्च-स्तरीय चर्चा करने के लिए वाशिंगटन डीसी में हैं। सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह इस असाधारण अंतरमहाद्वीपीय यात्रा का मुख्य एजेंडा म्यांमार के अस्थिर राखाइन राज्य में संभावित सैन्य अभियान पर एक ‘क्लासीफाइड ब्रीफिंग’ थी, जो पहले से ही संघर्ष में घिरा है और वहां लोग बेहद कष्टमय जीवन जीने को विवश हैं।

बांग्लादेश के शीर्ष सैन्य खुफिया अधिकारी मेजर जनरल जहांगीर आलम

पूर्वोत्तर के प्रमुख मीडिय हाउस ‘नॉर्थईस्ट न्यूज’ का दावा है कि उसके पास इस बैठक की विस्तृत जानकारी है। उन दस्तावेजों से पता चलता है कि हालांकि कुछ राजनयिक स्रोतों द्वारा इस ब्रीफिंग को ‘नियमित’ बताया गया है, लेकिन यह क्षेत्रीय सुरक्षा, दक्षिण-पूर्व एशिया में अमेरिकी हितों और बंगाल की खाड़ी की भू-राजनीति में बांग्लादेश की उभरती भूमिका के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।

मेजर जनरल आलम के साथ आतंकवाद निरोधी खुफिया ब्यूरो (सीटीआईबी) के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल सैयद अनवर महमूद और सेना के आयुध प्रभाग के कोई एक लेफ्टिनेंट भी थे। सीटीआईबी प्रमुख की मौजूदगी राखाइन में आतंकवाद विरोधी आयाम को रेखांकित करती है, खासकर अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) की भागीदारी के बारे में रिपोर्टों पर विचार करते हुए।

दिलचस्प बात यह है कि प्रतिनिधिमंडल के अधिकारी अपनी पत्नियों को भी यात्रा पर ले गए हैं। ये सभी दोहा के रास्ते वाशिंगटन पहुंचीं। इससे कूटनीतिक पर्यवेक्षकों में खलबली मची है, जो मानते हैं कि इससे तो यह एक नियमित तकनीकी जानकारी बैठक के बजाय एक पूर्व-नियोजित, विस्तारित मेल की ओर इशारा करती है। वाशिंगटन डी.सी. में बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय और दूतावास, दोनों को पहले से सूचित किया गया था, जो अमेरिकी अधिकारियों के साथ औपचारिक राज्य की भागीदारी और द्विपक्षीय पारदर्शिता का संकेत देता है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, आलम की ब्रीफिंग का केंद्रबिंदु म्यांमार के राखाइन राज्य में नियोजित सैन्य अभियानों के इर्द-गिर्द रहा, जो सित्तवे, क्यौकफ्यू और मनौंग जैसे जुंटा-नियंत्रित क्षेत्रों को शामिल किए है। ये शहर म्यांमार के सैन्य जुंटा के गढ़ बने हुए हैं, जिसने 2021 के तख्तापलट के बाद से क्रूरता के साथ सत्ता पर कब्जा कर रखा है।

राखाइन उत्पीड़ित रोहिंग्या अल्पसंख्यक और कई जातीय सशस्त्र समूहों का गढ़ है, जो लंबे समय से हिंसा का केंद्र रहा है। अब जिस उभरते सैन्य गठबंधन के गठन की बात है उसमें अराकान आर्मी (एए), चिन नेशनल फ्रंट (सीएनएफ) और शायद वह एआरएसए शामिल है, जो कभी एक खूंखार विद्रोही समूह के नाते कट्टरपंथी इस्लामवादियों से जुड़ा बताया जाता था।

बांग्लादेशी खुफिया सूत्रों को लगता है कि म्यांमार जुंटा के तटीय ठिकानों के खिलाफ एक बहुआयामी हमले पर पूरी तत्परता से विचार किया जा रहा है, जिसमें बांग्लादेश की सेना के एक महत्वपूर्ण रसद और समर्थन की भूमिका निभाने की बात है।

बांग्लादेश के खुफिया अधिकारियों की यह अमेरिका यात्रा बांग्लादेशी धरती पर, विशेष रूप से सिल्कहाली मौजा क्षेत्र में उठाए गए कुछ रणनीतिक कदमों के बाद हो रही है, जो टेकनाफ के उत्तर में लगभग 30 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। फरवरी 2025 में, बांग्लादेशी सेना ने इस स्थान को आपूर्ति और रसद आधार के लिए चिह्नित किया था, जिसे व्यापक रूप से सीमा पार चलने वाले उस सैन्य ऑपरेशन से जुड़ा माना जाता है।

सिल्काली क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, यह कॉक्स बाजार और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स के निकट है। इस कारण यह एक आदर्श लॉन्चिंग पैड की तरह देखा जा सकता है। दूसरे, यह इलाका राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है, क्योंकि इसके पास के शिविरों में दस लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं।

यह अग्रिम स्थान हाल ही में अमेरिकी राजनयिकों की यात्राओं की कड़ी के साथ मेल खाता है, जिसमें नेपीडॉ में अमेरिकी प्रभारी सुसान स्टीवेन्सन और राज्य विभाग के दक्षिण और मध्य एशियाई तथा पूर्वी एशियाई और प्रशांत ब्यूरो का प्रतिनिधित्व करने वाले उप सहायक सचिव निकोल एन चुलिक और एंड्रयू आर. हेरुप शामिल हैं। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने जहांगीर आलम के बांग्लादेश से रवाना होने से कुछ दिन पहले ही चटगांव हिल ट्रैक्ट्स और कॉक्स बाजार, दोनों स्थानों का दौरा किया था।

उनकी इस टाइमिंग से संकेत मिलता है कि अमेरिकी खुफिया विभाग आगामी सैन्य योजनाओं को आकार देने या कम से कम उस इलाके पर नजर रखने में रुचि रखता है, खासकर म्यांमार के सैन्य शासन के साथ अमेरिका के बिगड़ते संबंधों और हिन्दू—प्रशांत में चीनी प्रभाव को रोकने में बढ़ती उसकी रुचि को देखते हुए।

मेजर जनरल आलम के जाने के कुछ ही घंटे बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) खलीलुर रहमान ने शीर्ष सैन्य और खुफिया नेताओं के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। उस बैठक में मुख्य रूप से लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन, प्रमुख स्टाफ अधिकारी, सशस्त्र बल प्रभाग; मेजर जनरल सरवर फरीद, राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया प्रमुख
(एनएसआई); मेजर जनरल अशरफज्जमां सिद्दीकी, बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के महानिदेशक; रियर एडमिरल जियाउल हक, तटरक्षक बल के महानिदेशक शामिल थे।

इस बैठक के पीछे एजेंडा था बांग्लादेश की सीमा पर बढ़ती गतिविधियों, हाल ही में अराकान सेना की गतिविधियों और भूमि और समुद्री सीमाओं के पार रोहिंग्या की गतिविधियों का आकलन करना। इसके ठीक दो दिन बाद, एनएसए ने उस मेजर जनरल मोहम्मद असदुल्लाह मिनहाजुल आलम के साथ एक बैठक की, जो 10वीं इन्फैंट्री डिवीजन का कमांडिंग ऑफिसर है।

रणनीतिक समन्वय में आई यह तेजी संकेत करती है कि बांग्लादेश खुद को एक निष्क्रिय पड़ोसी के रूप में नहीं बल्कि पश्चिमी म्यांमार के भविष्य को आकार देने में एक सक्रिय हितधारक के रूप में स्थापित करना चाहता है।

सिल्काली क्षेत्र राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, क्योंकि इसके पास के शिविरों में दस लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं।

हालांकि मेजर जनरल आलम की सीआईए ब्रीफिंग का ब्योरा गोपनीय रखा गया है, लेकिन इलाके के विश्लेषकों का मानना ​​है कि अमेरिकी इस स्थिति को बहुत गहराई से देख रहे हैं। उनकी नजर में राखाइन तट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह न केवल यह बंगाल की खाड़ी तक सीधी समुद्री पहुंच प्रदान करता है, बल्कि यह चीनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का ठिकाना भी है, जिसमें क्यौकफ्यू में एक बंदरगाह भी शामिल है।

म्यांमार के जुंटा से पश्चिमी शक्तियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले जातीय गठबंधन के नियंत्रण में बदलाव से क्षेत्रीय गतिशीलता में बदलाव आ सकता है। यह परिदृश्य यू.एस. हिन्द—प्रशांत रणनीतिकारों के लिए ज्यादा सहज होगा, जो लंबे समय से म्यांमार में बीजिंग के बढ़ते पैर जमाने को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

खुफिया समन्वय और छुपे माध्यमों से समर्थन की पेशकश करके, हो सकता है, सीआईए की सैनिकों की जमीनी तैनाती के बिना राखाइन आक्रमण की प्रकृति और परिणाम को प्रभावित करने की मंशा हो। बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर मई-अगस्त का मानसून मौसम जंगल में ऑपरेशन को लगभग असंभव बना देता है, जिससे सेना की आवाजाही और हवाई रसद में देरी होती है। इसलिए बांग्लादेशी विश्लेषक मानते हैं कि आगामी सितंबर माह में पूरे जोश के साथ आक्रमण किया जा सकता है। लेकिन इसमें बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि एए, सीएनएफ और एआरएसए के गठबंधन में अभी भी वैचारिक और परिचालन मतभेद हैं, ऐसे में सवाल है कि यह एक तालमेल वाला लड़ाकू बल के तौर पर एकजुट हो सकता है या नहीं।

लेकिन इतना तो साफ है कि बांग्लादेश के मेजर जनरल जहांगीर आलम की वाशिंगटन की गुपचुप हो रही यात्रा अभी तक वैश्विक सुर्खियों में भले ही नहीं आई है, लेकिन यह दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में व्यापक फेरबदल का हिस्सा हो सकती है। जहां म्यांमार की सेना सत्ता से चिपकी हुई है और उसके पड़ोसी अपने रणनीतिक विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, वहीं बांग्लादेश एक नई भूमिका में आता दिखाई देता है। इस बार के जाड़े इस क्षेत्र में कुछ अलग परिदृश्य प्रस्तुत कर सकते हैं जिसका असर वाशिंगटन, बीजिंग और ब्रुसेल्स तक हो सकता है।

Topics: अमेरिकाamericabangladeshciamyanmarबांग्लादेशChinaindo-pacificintelligence
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

भारत के एनएसए अजीत डोवल

Operation Sindoor: NSA Doval ने जिन्ना के देश के एनएसए से कहा-भारत तनाव नहीं चाहता, लेकिन हिमाकत की तो कड़ा जवाब मिलेगा

वीडियो में कुर्ता—लुंगी और गोल टोपी पहने मुस्लिम लोग खुशी खुशी बरगद के पेड़ पर आरी चलाते दिखते हैं

Bangladesh : मजहबी उन्मादियों का दिमागी दिवालियापन हुआ साबित, फतवा देकर काटा बरगद का पुराना पेड़, हिन्दुओं में आक्रोश

तस्लीमा नसरीन

जब तक इस्लाम रहेगा तब तक आतंकवाद रहेगा, 1400 वर्षो में नहीं बदला- तस्लीमा नसरीन

रोबोट ने मचाया तांडव

चीन की फैक्ट्री में रोबोट ने मचाया तांडव, बेकाबू मशीन ने किए हमले, कई मजदूर घायल

धर्म की जय, अधर्म का नाश

Bangladesh Islsamist looted books

बांग्लादेश में इस्लामिस्टों की पुस्तक लूट: नालंदा से टँगाइल तक, एक ही कट्टरपंथी सोच

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies