महावीर हनुमान का जन्मोत्सव और अध्यात्मिक ऊर्जा का पर्व
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

महावीर हनुमान के व्यक्तित्व में समाहित मानवीय प्रबंधन के अनूठे गुण

चिरतारुण्य के देवता महावीर हनुमान के धरा पर अमरत्व का वरदान पाने वाली दिव्य विभूतियों में होती है। रु

by पूनम नेगी
Apr 11, 2025, 02:03 pm IST
in संस्कृति
हनुमान जन्मोत्सव

हनुमान जन्मोत्सव

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

चिरतारुण्य के देवता महावीर हनुमान के धरा पर अमरत्व का वरदान पाने वाली दिव्य विभूतियों में होती है। रुद्रांश श्री हनुमान ने इस धरती पर भगवान राम की सहायता के लिये अवतार लिया था। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार महावीर हनुमान का जन्म अब से लगभग एक करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सूर्योदय काल में माता अंजना के गर्भ से हुआ था। तब से प्रति वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा को महावीर हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

भारतीय जीवन दर्शन में सेवाभाव को सर्वोच्च मान्यता दी गयी है जो हमें निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करती है। इस सेवाभाव का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं केसरीनंदन पवनपुत्र महाबली हनुमान। वाल्मीकि रामायण के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी को प्रभु श्रीराम के प्राकट्योत्सव के ठीक छह दिन बाद चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की पावन तिथि को अमरत्व के वरदान से विभूषित रुद्रांश हनुमान ने अवतार लिया था। देवाधिदेव शिव के अंशावतार माने जाने वाले पवनपुत्र हनुमान का जन्म आज से तकरीबन एक करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सूर्योदय काल में माता अंजना के गर्भ से हुआ था। इसीलिए हिन्दू धर्मावलम्बी प्रति वर्ष चैत्र पूर्णिमा को महावीर हनुमान का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं।

भारतीय मनीषियों के अनुसार महावीर हनुमान का जीवन हमें यह शिक्षण देता है कि बिना किसी अपेक्षा के निष्काम सेवा करने से व्यक्ति भक्त ही नहीं, वरन भगवान भी बन सकता है। हनुमान जन्मोत्सव के पुनीत अवसर पर आइए चर्चा करते हैं महावीर हनुमान के उन विशिष्ट चारित्रिक गुणों की, जिनको अपने जीवन में उतार कर देश की युवा पीढ़ी एक सशक्त, संस्कारवान व सबल राष्ट्र का निर्माण कर सकती है।

विलक्षण संवाद कौशल

हनुमान जी का संवाद कौशल विलक्षण है। अशोक वाटिका में जब वे पहली बार माता सीता से रूबरू होते हैं तो अपनी बातचीत के हुनर से न सिर्फ उन्हें भयमुक्त करते हैं वरन उन्हें यह भी भरोसा दिलाते हैं कि वे श्रीराम के ही दूत हैं- “कपि के वचन सप्रेम सुनि, उपजा मन बिस्वास। जाना मन क्रम बचन यह, कृपासिंधु कर दास ।।” (सुंदरकांड) । यह कौशल आज के युवा उनसे सीख सकते हैं।

अतिशय विनम्रता

इसी तरह समुद्र लांघते वक्त देवताओं ने कहने पर जब सुरसा ने उनकी परीक्षा लेनी चाही तो उन्होंने अतिशय विनम्रता का परिचय देते हुए उस राक्षसी का भी दिल जीत लिया। कथा है कि जब श्री राम की मुद्रिका लेकर महावीर हनुमान जब सीता माता की खोज में लंका की ओर जाने के लिए समुद्र के ऊपर से उड़ रहे थे तभी सर्पों की माता सुरसा उनके मार्ग में आकर कहा, आज कई दिन बाद मुझे इच्छित भोजन प्राप्त हुआ है। इस पर हनुमान जी बोले “मां, अभी मैं रामकाज के लिए जा रहा हूं, मुझे समय नहीं है। जब मैं अपना कार्य पूरा कर लूं तब तुम मुझे खा लेना। पर सुरसा नहीं मानी और उन्होंने हनुमान जी को खाने के लिए अपना बड़ा सा मुंह फैलाया। यह देख हनुमान ने भी अपने शरीर को दोगुना कर लिया। सुरसा ने भी तुरंत सौ योजन का मुख कर लिया। यह देख हनुमान जी लघु रूप धरकर सुरसा के मुख के अंदर जाकर बाहर लौट आये। हनुमान जी बोले,” मां आप तो खाती ही नहीं है, अब इसमें मेरा क्या दोष ?” सुरसा हनुमान का बुद्धि कौशल व विनम्रता देख दंग रह गयी और उसने उन्हें कार्य में सफल होने का आशीर्वाद देकर विदा कर दिया। यह प्रसंग सीख देता है कि केवल सामर्थ्य से ही जीत नहीं मिलती है, “विनम्रता” से समस्त कार्य सुगमतापूर्वक पूर्ण किए जा सकते हैं।

आदर्शों पर अडिगता

महावीर हनुमान ने अपने जीवन में आदर्शों से कोई समझौता नहीं किया। लंका में रावण के उपवन में हनुमान जी और मेघनाथ के मध्य हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते तो वे इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह उसका महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का तीव्र आघात सह लिया। मानसकार ने हनुमानजी की इस मानसिकता का सूक्ष्म चित्रण करते हुए लिखा है – “ब्रह्मा अस्त्र तेंहि साँधा, कपि मन कीन्ह विचार। जौ न ब्रहासर मानऊँ, महिमा मिटाई अपार।।

अद्भुत व्युत्पन्नमति का गुण

हनुमान के जीवन से हम अवसर के अनुकूल शक्ति व सामर्थ्य के उचित प्रदर्शन का गुण व्युत्पन्नमति कहलाता है। यह गुण हम हनुमान जी से सीख सकते हैं। तुलसीदास जी हनुमान चालीसा में लिखते हैं- “सूक्ष्म रूप धरी सियंहि दिखावा, विकट रूप धरी लंक जरावा ।” सीता माता के सामने उन्होंने खुद को लघु रूप में रखा, क्योंकि यहां वह पुत्र की भूमिका में थे, परन्तु संहारक के रूप में वे राक्षसों के लिए काल बन गए। इसी तरह व्युत्पन्नमति का गुण हनुमान जी के चरित्र की अद्भुत विशेषता है। जिस वक़्त लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए, उनके प्राणों की रक्षा के लिए वे पूरे पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वे संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे। अपने इस गुण के माध्यम से वे हमें तात्कालिक विषम स्थिति में विवेकानुसार निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं। हनुमान जी हमें भावनाओं का संतुलन भी सिखाते हैं। लंका के दहन के पश्चात् जब वह दोबारा सीता जी का आशीष लेने पहुंचे, तो उन्होंने सीता जी से कहा कि वे उन्हें अभी वहां से ले जा सकते हैं किंतु वे ऐसा करना नहीं चाहते। रावण का वध करने के पश्चात ही यहां से प्रभु श्रीराम आदर सहित आपको ले जाएंगे। इसलिए उन्होंने सीता माता को उचित समय पर आकर ससम्मान वापिस ले जाने को आश्वस्त किया।

आत्ममुग्धता से विमुख

महावीर हनुमान का महान व्यक्तित्व आत्ममुग्धता से कोसों दूर है। सीता जी का समाचार लेकर सकुशल वापस पहुंचे श्री हनुमान की हर तरफ प्रशंसा हुई, लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम का कोई किस्सा प्रभु राम को नहीं सुनाया। जब श्रीराम ने उनसे पूछा- ‘‘हनुमान ! त्रिभुवन विजयी रावण की लंका को तुमने कैसे जला दिया? तब प्रत्युत्तर में हनुमानजी ने जो कहा उससे भगवान राम भी हनुमान जी के आत्ममुग्धता विहीन व्यक्तित्व के कायल हो गए- “सो सब तव प्रताप रघुराई । नाथ न कछू मोरि प्रभुताई ।।

महिमा नवसंवत्सर की प्रथम पूर्णिमा की

भारत की सनातन संस्कृति में पूर्णिमा तिथि को सर्वाधिक पुण्य फलदायी यूँ ही नहीं माना जाता। हमारे वैदिक मनीषियों ने सैकड़ों वर्षों के गहन चिंतन मनन के बाद यह तथ्य प्रतिपादित किया था कि पूर्णिमा तिथि की शक्तिशाली ब्रह्मांडीय ऊर्जा व्यक्ति के मन और चित्त को बेहद गहराई से प्रभावित करती है। वर्षभर में आने वाली 12 पूर्णिमाओं में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की विशिष्ट आध्यात्मिक महत्ता हमारे मनीषियों ने बतायी है। विभिन्न पौराणिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सन्दर्भ नवसंवत्सर (हिंदू नववर्ष) की प्रथम पूर्णिमा की महिमा का बखान करते हैं। कहा जाता है कि भगवान राम ने चैत्र पूर्णिमा की शुभ तिथि को ही वन गमन किया था। महीने भर चलने वाला वैशाख का स्नान पर्व चैत्र पूर्णिमा से शुरू होता है।

चैत्र पूर्णिमा के दिन जहाँ एक ओर उत्तर भारत, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में गंगा स्नान, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन, सत्यनारायण व्रत कथा, हवन-पूजन, सुन्दरकाण्ड व रामचरितमानस के अखंड पाठ, भजन-कीर्तन व भंडारों की धूम दिखायी देती है; वहीं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में चैत्र पूर्णिमा पर ‘पठला व्रतम’ के रूप में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है और उड़ीसा में पूर्णिमा पर्व भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य रास उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

उड़ीसा में देवी मंगला को समर्पित महीने भर की विशेष पूजा भी चैत्र पूर्णिमा से शुरू होती है। इसी तरह दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु व केरल में चैत्र पूर्णिमा का पर्व नववर्ष के उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे ‘चितिरा पूर्णिमा’ कहा जाता है। इस अवसर पर भगवान मुरुगन ( शिव पुत्र कार्तिकेय ) की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यही नहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई के निकट कांचीपुरम के चित्रगुप्त मंदिर में चैत्र पूर्णिमा का पर्व भारी श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है। इस दिन यहाँ मृत्यु के देवता यमराज के प्रमुख पार्षद चित्रगुप्त के पूजन की पुरातन परंपरा है।

श्रद्धालुजन अपने बुरे कर्मों के प्रायश्चित के रूप में इस दिन मंदिर के निकट बहने वाली पवित्र चित्रा नदी में डुबकी लगाकर उपवास रखकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा आराधना कर गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं व दान देते हैं। इस अवसर पर मंदिर से भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा का जुलूस भी निकाला जाता है। ज्ञात हो कि सनातन हिन्दू धर्म में ही नहीं; बौद्ध व जैन धर्म में भी चैत्र पूर्णिमा की पावन तिथि की विशिष्ट महत्ता है। बौद्ध व जैन साहित्य के उद्धरणों के अनुसार को निर्वाण प्राप्त करने से पूर्व देवी सुजाता ने चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध को खीर खिलायी थी और उसी दिन राजकुमार सिद्धार्थ ने संकल्प लिया गया था कि वह अब बुद्धत्व प्राप्ति के बाद ही अपने आसन से उठेंगे। इसी तरह जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु ने चैत्र पूर्णिमा के दिन मोक्ष प्राप्त किया था।

चैत्र पूर्णिमा से जुड़ी स्कन्द पुराण की कथा के अनुसार एक बार देव गुरु बृहस्पति की अवज्ञा करने पर स्वर्गाधिपति इंद्र को दंड स्वरूप राजगद्दी का त्याग कर धरतीलोक में आना पड़ा। अपनी धरतीलोक की यात्रा के दौरान देवराज इंद्र जब दक्षिण भारत पहुंचे तो मदुरै नामक स्थान पर एक सरोवर के निकट उन्हें एक दिव्य शिवलिंग प्राप्त हुआ। उस शिवलिंग का स्पर्श करते ही इंद्र को एक दिव्य अनुभूति हुई। उन्हें लगा कि उनके मन से सारे पापों का बोझ सहज ही उतर गया। तब उन्होंने उस सरोवर के निकट एक मंदिर का निर्माण कराकर उसमें उस शिवलिंग को स्थापित कर दिया। कहा जाता है कि जिस शुभ दिन देवराज इंद्र शिवलिंग की स्थापना कर देवाधिदेव महादेव की आराधना की थी, वह तिथि चैत्र पूर्णिमा की थी। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल गंगा स्न्नान या तीर्थ सरोवर में स्नान-दान कर भगवान लक्ष्मी नारायण के पूजन से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘’ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, ‘’ॐ महालक्ष्मी नमः’’ और ‘’ॐ आंजनेय नमः’’ मंत्र का जप विशेष फलदायी माना गया है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य तथा संध्या काल चन्द्रमा को अर्घ्य देने की भारी महिमा स्कन्द पुराण में बतायी गयी है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र अर्घ्य के बिना चैत्र पूर्णिमा का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है।

Topics: पवनपुत्र हनुमानचैत्र पूर्णिमा 2025हनुमान जन्मोत्सवमहावीर हनुमानहिंदू त्योहारचैत्र पूर्णिमाहनुमान जयंती 2025
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

हनुमान जी की शोभायात्रा पर किया गया पथराव

नेपाल: मुस्लिम बहुल इलाके में पहले मस्जिद और फिर घरों से हनुमान जी की शोभा यात्रा पर पथराव, स्थिति तनावपूर्ण

अयोध्या में आस्था से सराबोर भक्त

रामलला का छठी उत्सव, हनुमान जन्मोत्सव और चैत्र पूर्णिमा: अद्भुत संयोग पर अयोध्या में आस्था का सैलाब

रंग पंचमी

‘गेर यात्रा’ से ‘धुलिवंदन’ तक, रंगों का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम, जब देवता भी धरती पर खेलते हैं रंगों की होली

“जिसे रंगों से आपत्ति हो, वह घर बैठे” : केतकी सिंह

भुवनेश्वर : हनुमान जन्मोत्सव की बाइक रैली पर विधर्मियों ने किया पथराव, स्थिति तनावपूर्ण, धारा 144 लागू

रामनवमी पर पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कट्टरपंथी मुसलमानों ने जमकर उत्पात मचाया था

हिंदू त्योहारों पर जिहादी उपद्रव

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

India Pakistan Ceasefire News Live: ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों का सफाया करना था, DGMO राजीव घई

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थरूर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies