लखनऊ । काफी समय से लंबित मांग और नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ विभागों के पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव किए गए हैं। पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ छात्र— छात्राओं को अपनी मातृ भाषा में अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था को लार्ड मैकाले की लाइब्रेरी से बाहर लाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
जानकारी के अनुसार, लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के परास्नातक पाठ्यक्रमों में बदलाव किया गया है। यहां पर गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। इसी के साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगोल में 6 नए प्रश्नपत्र शुरू किए गए है। इसमें सैन्य भूगोल के साथ ही सीमाओं की जानकारी दी गई है। अर्थशास्त्र विभाग ने देश में उर्जा, आधारभूत संरचना और स्वास्थ्य से जुड़े अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम में शामिल किया है। एंथ्रोपोलॉजी विभाग में भी परिवर्तन किया गया है। दर्शनशास्त्र विभाग ने भी अपने पाठ्यक्रम में भारतीय शिक्षा और योग को शामिल किया है। स
नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण की छूट दी गई है। इसके अनुसार, अब स्थानीय भाषाओं में भी शिक्षण हो सकता है। अगर कोई छात्र या छात्रा विज्ञान जैसे विषय को अपनी मातृ भाषा पढ़ना चाहता है तो ऐसे छात्रों को मातृ भाषा में पढ़ने की सुविधा दी गई है। नई शिक्षा नीति और राष्ट्रीय आवश्यक्ताओं के अनुसार पाठ्यक्रमों में अन्य बदलाव भी किए गए हैं। इन पाठ्यक्रमों में बदलाव की मांग काफी समय से की जा रही थी। लखनऊ विश्वविद्यालय ने यह व्यवस्था भी बनाई है कि विदेशी लेखकों और वैश्विक जानकारी के साथ स्वेदशी लेखकों और भारतीय परिस्थितियों, आंकड़ों और जानकारियों को भी समान रूप से महत्व दिया जायेगा।
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