अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की रूस के साथ कूटनीति संबंधों की बहाली को लेकर दिखाई जा रही सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। उनका संकेत में कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि युद्ध जल्दी ही समाप्त होगा। रूस के लिए इस संबंध में समझौता करना फायदेमंद ही साबित होगा। ट्रंप ने ऐलान किया कि राष्ट्रपति जेलेंस्की अगले दो हफ्तों में व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे ताकि वाशिंगटन को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों तक पहुंच देने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकें। हालांकि इसे लेकर यूरोपीय संघ में बहस छिड़ी है।
वाशिंगटन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ‘यूक्रेन युद्ध और आगे की राह’ पर कल विस्तार से वार्ता हुई है। विश्व के सामरिक, रणनीतिक और कूटनीतिक विशेषज्ञों की इस वार्ता पर पैनी नजर रही। मैक्रों ने अमेरिका दौरे से पहले अपने देश में इस पर चर्चा करते हुए आक्रामक तेवर दिखाए थे। उन्होंने साफ कहा था कि यूक्रेन युद्ध के बारे में रूस से वार्ता एकपक्षीय नहीं हो सकती, उसमें यूरोप का भी एक पक्ष है। इस संदर्भ में ट्रंप के साथ मैक्रों की वार्ता महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चर्चा में अनेक बिन्दु ऐसे आए जिनका यूक्रेन पर आने वाले दिनों में गहरा असर पड़ सकता है। जैसे, मैक्रों ने ट्रंप से चर्चा के दौरान इस बात पर बल दिया कि यूक्रेन और रूस के मध्य होने वाले किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी पर बात शामिल होनी जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शांति का अर्थ यूक्रेन का आत्मसमर्पण नहीं हो सकता है।
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इसके अलावा मैक्रों ने शांति सैनिकों की तैनाती पर भी बल दिया। दोनों नेताओं ने यूक्रेन में शांति सैनिकों को भेजने के विचार पर बात आगे बढ़ना स्वीकारा है। इस विषय में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर भी अत्यधिक सक्रिय हैं। मैक्रों ने बताया कि स्टारमर के साथ इस संबंध में एक प्रस्ताव पर काम चल रहा है। उसके अनुसार, शांति समझौते की स्थिति में यूक्रेन में शांति सैनिकों को भेजने का उल्लेख होना चाहिए। यहां बता दें कि कीर स्टारमर की आगामी गुरुवार यानी 27 फरवरी को वाशिंगटन की यात्रा प्रस्तावित है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की रूस के साथ कूटनीति संबंधों की बहाली को लेकर दिखाई जा रही सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। उनका संकेत में कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि युद्ध जल्दी ही समाप्त होगा। रूस के लिए इस संबंध में समझौता करना फायदेमंद ही साबित होगा। ट्रंप ने ऐलान किया कि राष्ट्रपति जेलेंस्की अगले दो हफ्तों में व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे ताकि वाशिंगटन को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों तक पहुंच देने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकें। हालांकि इसे लेकर यूरोपीय संघ में बहस छिड़ी है।
मैक्रों ने यूरोपीय देशों के अपने सहयोगियों के साथ कई दौर की बैठकें करने के बाद वाशिंगटन गए थे। उनका मानना है कि इसमें संदेह नहीं है कि शांति लाना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। उसकी सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए।
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इस वार्ता के बाद माना जा रहा है कि ट्रंप मैक्रों के सुझावों पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भी विश्वास में लेने का प्रयास करेंगे। लेकिन रूस मैक्रों के शांति सैनिकों के सुझाव को लेकर क्या रुख दिखाएंगे, यह जानना दिलचस्प होगा। यह बात सच है कि अमेरिका के रूस के साथ कूटनीतिक संबंध फिर से शुरू करने का यूक्रेन और साथ ही यूरोप के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। यदि रूस और अमेरिका के बीच समझौता होता है, तो यह यूक्रेन में शांति स्थापित करने में मदद कर सकता है।
ट्रंप को लगता है कि यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों पर समझौते से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे यूक्रेन की आर्थिक सहायता होगी। उसके विकास में मदद मिलेगी। और तर्क है कि यूक्रेन में शांति स्थापित होने से वहां की राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। यूक्रेन में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार होगा।
लेकिन इस सबके बावजूद, यूरोप सशंकित है। रूस की यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर नजर है जहां उसके अनुसार आबादी में रूसियों का प्रतिशत ज्यादा है। जेलेंस्की इसे लेकर अपनी शंकाएं जाहिर कर चुके हैं और तीखे तेवर भी दिखा चुके हैं।
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