नई दिल्ली/पटना । वक्फ बोर्ड को आखिर इतनी जमीनें कैसे मिलीं..? यह सवाल अब देशभर में गूंजने लगा है। बिहार में वक्फ बोर्ड के पास 29 हजार बीघा जमीन है, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 9 लाख एकड़ तक पहुंच चुका है। इस संपत्ति को लेकर वक्फ एक्ट में बदलाव की मांग भी तेज हो रही है।
राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसका विपक्ष ने विरोध किया। लेकिन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कहा कि रिपोर्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है और विपक्ष बेवजह हंगामा कर रहा है। इस रिपोर्ट में वक्फ की बेइंतहा जमीनों का भी खुलासा हुआ है। वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी बन चुका है, जिसके पास पूरे देश में 9 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है।
JPC रिपोर्ट में बिहार का जिक्र खास तौर पर किया गया है। बिहार में वक्फ बोर्ड के पास 29 हजार बीघा से ज्यादा जमीन है। इनमें शिया वक्फ बोर्ड के पास 5 हजार बीघा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 24 हजार बीघा जमीन है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 1672 संपत्तियां शिया वक्फ बोर्ड और 6480 संपत्तियां सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधीन हैं। बिहार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अनुसार, राज्य में 9273 कब्रिस्तानों की घेराबंदी की जा चुकी है।
देशभर में वक्फ बोर्ड की स्थिति और भी चौंकाने वाली है। उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं। यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 2,10,239 और शिया वक्फ बोर्ड के पास 15,386 संपत्तियां दर्ज हैं। इतना ही नहीं, यूपी में मथुरा की शाही ईदगाह, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह और लखनऊ का राजभवन भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में गिना जाता है।
वक्फ की संपत्तियां पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी बड़े पैमाने पर फैली हुई हैं। बंगाल में 80,480 और तमिलनाडु में 60,223 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 7,85,934 संपत्तियां वक्फ बोर्ड के पास हैं।
अब सवाल यह उठता है कि वक्फ बोर्ड को इतनी बड़ी मात्रा में संपत्ति कैसे मिली..? दरअसल, 1954 में नेहरू सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की जमीन को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया गया। इसी कानून के बाद वक्फ बोर्ड का पूरे देश में अरबों की जमीन पर कब्जा हो गया।
वक्फ बोर्ड : भारत की जमीन पर कब्जे की साजिश..?
वक्फ बोर्ड को लेकर पूरे देश में विवाद बढ़ता जा रहा है। वक्फ संपत्तियों पर किए जा रहे दावों से आम जनता में आक्रोश है। हाल ही में असम के जमीयत उलेमा प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने यहां तक कह दिया कि नई संसद, वसंत विहार और दिल्ली एयरपोर्ट तक वक्फ की जमीन पर बने हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इस्लाम भारत में अरब से जमीन लेकर आया था? क्या वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से देश की संपत्तियों पर दावा ठोक सकता है?
समझी वक्फ बोर्ड का खेल-
भारत में रेलवे और रक्षा विभाग के बाद तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी बन चुका है। लेकिन इसके बावजूद देशभर में नए-नए क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिशें जारी हैं। आइए जानते है वक्फ द्वारा किए गए कुछ दावे-
- दिल्ली : वक्फ बोर्ड ने छह प्रमुख मंदिरों, डीडीए ऑफिस, डीटीसी बस अड्डे और एमसीडी कूड़ाघर तक को अपनी संपत्ति बताया।
- केरल : मछुआरों के 100 साल पुराने चेराई गांव पर वक्फ ने दावा ठोक दिया, लोग 2022 से अपनी जमीन बेच भी नहीं पा रहे।
- बिहार : पटना के पास गोविंदपुर गांव को वक्फ संपत्ति बताकर खाली करने का नोटिस जारी किया।
- मध्य प्रदेश : भोपाल में सरकारी भूमि पर कब्जे की कोशिश, हाई कोर्ट ने बुरहानपुर किले पर वक्फ के दावे को खारिज किया।
- महाराष्ट्र : सोलापुर में अनुसूचित जाति के 250 से अधिक लोगों को जमीन खाली करने का फरमान जारी किया।
- कर्नाटक : ईदगाह मैदान विवाद में वक्फ ने बेंगलुरु की सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक जताया।
वक्फ अधिनियम 1995 : मनमानी का कानून..?
वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 40 वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार देती है, जिससे लाखों लोगों की निजी और सरकारी संपत्तियां खतरे में पड़ जाती हैं। इस धारा के कारण कोई भी जमीन कभी भी वक्फ घोषित की जा सकती है। अब जब केंद्र सरकार इस अधिनियम में संशोधन कर इसे न्यायसंगत बनाने की कोशिश कर रही है, तो विपक्ष और इस्लामिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगे।
वहीं JPC की रिपोर्ट के पटल पर सामने आने के बाद सवाल यह उठ रहा है कि क्या वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति होना जायज है..? क्या इन संपत्तियों की समीक्षा नहीं होनी चाहिए..? और क्यों ना इन संपत्तियों का इस्तेमाल जनहित में किया जाना चाहिए चाहिए..?
सरकार अब वक्फ बोर्ड के विशेषाधिकारों की समीक्षा कर रही है और रिपोर्ट को संसद में चर्चा के लिए पेश किया गया है। वक्फ बोर्ड से जुड़े कई विवाद पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन पहली बार सरकार इसके खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार वक्फ बोर्ड के ‘जमीन के साम्राज्य’ पर क्या ठोस कदम उठाएगी..?
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