चंडीगढ़ (हि.स.) । दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है। शुरूआती रूझानाें में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बढ़त बनाए हुए हैं और आम आदमी पार्टी (आआपा) सत्ता से बाहर होती दिख रही है। इस बदले चुनाव परिणाम का सीधा असर पंजाब की राजनीति पर भी पड़ेगा। दिल्ली व हरियाणा के बाद भाजपा का अगला लक्ष्य अब पंजाब है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव परिणाम का ऐलान होने से पूर्व शनिवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह चंडीगढ़ पहुंचे और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की। यह मुलाकात सीएम आवास में करीब आधा घंटा चली। दाेनाें के बीच दिल्ली में बदले नतीजाें के साथ पंजाब के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की गई। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी भी पिछले दिनों पंजाब भाजपा कार्यालय का दौरा करके पंजाब में चल रहे सदस्यता अभियान का रिव्यू कर चुके हैं।
पंजाब में वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां पार्टी पहले से ही अंदरूनी विद्रोह झेल रही है। अकाली दल के साथ गठबंधन करके भारतीय जनता पार्टी कई बार सत्ता सुख भोग चुकी है, लेकिन कृषि कानूनों के मुद्दे पर अकाली दल से अगल होने के बाद भाजपा पंजाब की राजनीति में पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। वहीं पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी को देश की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था।
इस समय पंजाब में भाजपा का नेतृत्व सुनील जाखड़ कर रहे हैं। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की जालंधर तथा लुधियाना लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके अलावा तीन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे थे।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को किसी भी सीट से जीत नहीं मिली, लेकिन विधानसभा वार अगर आंकलन किया जाए तो भाजपा को लोकसभा में 22 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा ने पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई, जो 2019 में 6.6 प्रतिशत से बढ़कर इस हालिया चुनावी मुकाबले में 19 प्रतिशत हो गई। लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को केवल तीन, कांग्रेस को सात, अकाली दल को एक तथा निर्दलीयों को दो सीट पर जीत मिली।
अब दिल्ली में शनिवार को आने जा रहे चुनाव परिणाम के बाद पंजाब सरकार पर दबाव बढ़ेगा। महज तीन साल के कार्यकाल के दौरान पार्टी यहां आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों को बदल चुकी है। जिस वीआईपी कल्चर को पंजाब में मुद्दा बनाया गया था आज उसी मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को सौंप चुके हैं। राज्य में महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह देने जैसे कई वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। इसके अलावा प्रदेश में कानून-व्यवस्था बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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