'लिव इन रिलेशनशिप' के चलन से चिंतित इलाहाबाद हाई कोर्ट, कहा-नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए सोचने की जरूरत
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‘लिव इन रिलेशनशिप’ के चलन से चिंतित इलाहाबाद हाई कोर्ट, कहा-नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए सोचने की जरूरत

जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने टिप्पणी की कि इस वक्त हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां पर लोगों के सामान्य आचरण, युवाओं के परिवार और नैतिक मूल्यों में बदलाव आ रहा है। ऐसे में समाज को नैतिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए एक व्यवस्थागत ढांचे की आवश्यकता है।

by Kuldeep singh
Jan 25, 2025, 12:46 pm IST
in उत्तर प्रदेश
Allahabad high court

इलाहाबाद हाई कोर्ट

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समाज में आधुनिकता के नाम पर नया ट्रेंड चलने लगा है। इसके तहत युवा शादी विवाह से बचने और कथित आजादी के नाम पर ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहना पसंद कर रहे हैं। लेकिन, इससे अपराध में वृद्धि हुई है औऱ नैतिकता के मूल्यों का भी ह्वास हो रहा है। इस चलन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि ये वो समय है, जब हमें इस पर सोचना चाहिए और समाज में नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए समाधान को ढूंढने की आवश्यकता है।

हाई कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी

इलाहाबाद हाई कोर्ट की ये टिप्पणी वाराणसी के एक मामले से जुड़ी है, जिसमें आकाश केसरी नाम के एक युवक को इंडियन पीनल कोड और एससी/एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया था। उस पर आरोप था कि उसने एक महिला से शादी का झूठा वादा किया और उसके साथ उसने शारीरिक संबंध बनाए। जब महिला गर्भवती हो गई तो युवक ने उसे गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया और शादी से इंकार कर दिया। आरोपी पर महिला के साथ मारपीट करने और गाली देने का भी आरोप है।

मामला वाराणसी की एससी/एसटी अदालत गया, जहां कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया। इसके बाद उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां आरोपी के वकील ने दलील दी कि आकाश और महिला के बीच जो शारीरिक संबंध बने थे वो आपसी सहमति से बने थे। दोनों ही लंबे वक्त तक लिव इन रिलेशनशिप में थे। ऐसे में जब भी दोनों के बीच संबंध बने तो वो आपसी सहमति से ही बने। इस दरमियान दोनों 6 साल तक लिव इन में रहे। बाद में हाई कोर्ट ने इसी को आधार बनाकर अभियुक्त को जमानत दे दी।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने टिप्पणी की कि इस वक्त हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां पर लोगों के सामान्य आचरण, युवाओं के परिवार और नैतिक मूल्यों में बदलाव आ रहा है। ऐसे में समाज को नैतिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए एक व्यवस्थागत ढांचे की आवश्यकता है। लिव इन रिलेशनशिप को समाज स्वीकार नहीं करता है, लेकिन, इन सब के बाद भी युवा वर्ग इसकी ओर तेजी से आकर्षित हो रहा है, ताकि वो अपने पार्टनर के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बच सके। जिम्मेदारी से बचने की इसी भावना के कारण लिव इन रिलेशनशिप का क्रेज बढ़ता जा रहा है।

Topics: live in relationshipलिव इनलिव-इन रिलेशनशिप पर हाई कोर्टlive inhc worried about Live inAllahabad High Courtइलाहाबाद हाई कोर्टलिव इन रिलेशनशिप
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