प्रयागराज के महाकुंभ मेले के सेक्टर-19 में रविवार को भीषण आग लगने से हड़कंप मच गया। यह आग अखिल भारतीय धर्म संघ और गीता प्रेस गोरखपुर के कैंप में लगी, जो धीरे-धीरे फैलकर आसपास के क्षेत्रों में भी पहुंच गई। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन आग ने करोड़ों के सामान को खाक कर दिया। गीता प्रेस के ट्रस्टी ने इस आगजनी को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या है गीता प्रेस के ट्रस्टी का दावा?
गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमकर ने कहा कि इस घटना के पीछे बाहरी साजिश हो सकती है। उनका दावा है किआग की कोई वस्तु कैंप के भीतर फेंकी गई, जिसने धीरे-धीरे विकराल रूप ले लिया। उन्होंने कहा, “हमने शिविरों में आग से संबंधित सभी प्रकार के कार्यों पर रोक लगा रखी थी। रसोई भी टिन शेड में थी, जहां पूरी सावधानी बरती गई थी। इसके बावजूद आग इतनी भयानक हो गई कि हमारे सारे कैंप नष्ट हो गए। भगवान की कृपा से कोई जनहानि नहीं हुई।”
स्थानीय सूत्रों और अधिकारियों के मुताबिक, आग लगने की शुरुआत एक सिलेंडर में विस्फोट से हुई। इसके बाद सिलेंडर में लगी आग ने तेजी से आसपास के टेंटों को अपनी चपेट में ले लिया। इस दौरान एक के बाद एक करीब आठ से नौ सिलेंडर फटे, जिससे आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीमों ने कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पाया।
एनडीआरएफ के डीआईजी एमके शर्मा ने बताया कि मौके पर एनडीआरएफ की चार टीमें तैनात थीं, जिन्होंने आग को काबू में लाने के लिए अथक प्रयास किया। वहीं, मेला क्षेत्र में मौजूद एक चश्मदीद के अनुसार, आग ने करीब 250 टेंटों को अपनी चपेट में ले लिया। आग की लपटें इतनी ऊंची थीं कि दूर-दूर तक इसे देखा जा सकता था।
इस हादसे में न केवल लाखों रुपए का नुकसान हुआ, बल्कि महाकुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। कैंप में रखे धार्मिक साहित्य, दैनिक उपयोग के सामान, और अन्य चीजें जलकर खाक हो गईं। ट्रस्टी खेमकर ने बताया कि कैंप में करोड़ों का सामान था, जो पूरी तरह खत्म हो गया।
फिलहाल, आग लगने के सही कारणों का पता नहीं चल सका है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, सिलेंडर में विस्फोट को आग की मुख्य वजह माना जा रहा है लेकिन गीता प्रेस के ट्रस्टी के आरोपों ने मामले को और गंभीर बना दिया है। प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
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