कनाडा के तीनों विपक्षी दलों ने कहा है कि वे 24 मार्च को संसद सत्र शुरू होने पर अविश्वास मत लाकर लिबरल पार्टी की अल्पमत सरकार को गिरा देंगे। कई सर्वेक्षण बताते हैं कि लिबरल पार्टी के अगला चुनाव जीतने की संभावना बहुत कम है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, कनाडा के नागरिकों ने लिबरल पार्टी को 23 प्रतिशत तो विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को 45 प्रतिशत समर्थन दिया है।
खालिस्तानी तत्वों पर किसी तरह अपनी बहुमत की सरकार बचाते आ रहे प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो को आखिरकार कुर्सी से हटना पड़ा। अब उनके स्थान पर नया नेता और अगला लिबरल प्रधानमंत्री को चुने जाने की कवायद जोर पकड़ती जा रही है। लिबरल पार्टी ने घोषणा की है कि आगामी 9 मार्च को पार्टी चुनाव करके नया नेता चुन लेगी जो देश का अगला प्रधानमंत्री बनेगा।
लिबरल पार्टी की इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में राजनीतिक दावपेंच तेज हो गए हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी के अलावा पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के नाम प्रमुखता से उभर रहे हैं। लिबरल पार्टी के अध्यक्ष सचित मेहरा का बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि एक मजबूत तथा सुरक्षित राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया के जरिए लिबरल पार्टी 9 मार्च को अपना नया नेता चुन लेगी। इसके साथ ही पार्टी 2025 में होने वाले आम चुनावों को जीतने की तैयारी में जुट जाएगी।
क्रिस्टिया फ्रीलैंड देश की वित्त मंत्री रह चुकी हैं। अमेरिका, कनाडा तथा मैक्सिको के बीच पूर्व ट्रम्प सरकार के वक्त हुई मुक्त व्यापार संधि में पूर्व पत्रकार फ्रीलैंड ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। वे एक उदारवादी नेता मानी जाती हैं। यूक्रेनी मूल के होने की वजह से फ्रीलैंड रूस-यूक्रेन संघर्ष में यूक्रेन के समर्थन में खड़ी रही हैं।
उनके सामने हैं कॉर्नी, जो बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं। इस नामी बैंक के वे पहले गवर्नर थे जो किसी दूसरे देश से आए थे। कॉर्नी कनाडा के केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। साल 2008 में जब देश वित्तीय संकट झेल रहा था उस समय दूसरे कई देशों के मुकाबले कनाडा तेजी से उस संकट से उबरा था, जिसमें कॉर्नी की विशेष भूमिका मानी जाती है। कॉर्नी ऐसे अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने इस बात की तैयार कर ली थी कि यूके के ब्रेक्सिट से बाहर होने पर देश को कैसे संभाला जाएगा।
लिबरल पार्टी की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री पद की रेस शामिल होने का शुल्क रखा गया है जो है 350,000 कनाडाई डॉलर। उम्मीदवारों को 23 जनवरी तक अपने नामांकन के बारे में तय कर लेना होगा। प्रधानमंत्री पद के इस चुनाव में पार्टी को नेतृत्व उसे ही सौंपा जाएगा जो कनाडा का नागरिक अथवा देश का स्थायी निवासी होगा।
कनाडा के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में दो भारतवंशी भी शामिल होंगे। भारतीय मूल के
जुझाारू सांसद चंद्र आर्य ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है। चंद्र आर्य अपने बयानों और तर्कों के लिए जाने जाते हैं। खालिस्तानी तत्वों और हिन्दू मंदिरों पर हमलों के विरुद्ध वे सदा मुखर रहे हैं। उनके अलावा देश की परिवहन मंत्री अनीता आनंद का नाम भी इस पद की दौड़ में है।
उधर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा है कि कनाडा को अमेरिका में मिला लेना उचित रहेगा। इसे कनाडा के लोगों का भी समर्थन मिलेगा। ट्रंप ने कहा है कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाया जा सकता है। कुछ दिन पहले ट्रंप ने कनाडा और चीन के सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात भी की थी।
इधर कनाडा के तीनों विपक्षी दलों ने कहा है कि वे 24 मार्च को संसद सत्र शुरू होने पर अविश्वास मत लाकर लिबरल पार्टी की अल्पमत सरकार को गिरा देंगे। कई सर्वेक्षण बताते हैं कि लिबरल पार्टी के अगला चुनाव जीतने की संभावना बहुत कम है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, कनाडा के नागरिकों ने लिबरल पार्टी को 23 प्रतिशत तो विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को 45 प्रतिशत समर्थन दिया है।
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