इन दिनों इस्लामिस्ट, कम्युनिस्ट और वोक समुदाय पर एक्स के मालिक एलन मस्क लगातार निशाना साध रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने अब जॉर्ज सोरोस पर निशाना साधा है। एलन मस्क ने जॉर् सोरोस को मानवता से घृणा करने वाला बताया है। उन्होंने पिछले वर्ष भी यही बात कही थी। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर उनका एक वीडियो 1 नवंबर 2023 का भी मिलता है, जिसमें वे कहते नजर आ रहे हैं, “मेरे विचार से वह मूल रूप से मानवता से घृणा करने वाले व्यक्ति हैं। वह सभ्यता के तानेबाने को छिन्न-भिन्न करने के लिए चीजें कर रहे हैं।”
जॉर्ज सोरोस आज किसी से छिपा हुआ नाम नहीं है। यह भी बात सच है कि सोरोस की राजनीतिक दखलंदाजी ने न जाने कितने देशों में अस्थिरता का माहौल तो पैदा किया, साथ ही नागरिकों के बीच पारस्परिक द्वेष की भावना का भी विस्तार किया। भारत को लेकर भी जॉर्ज सोरोस के इरादों पर लगातार तथ्य सामने आते रहे हैं।
एलन मस्क ने जॉर्ज सोरोस को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा फ़्रीडम के प्रेसीडेंशियल मेडल देने को लेकर निशाना साधा था। उन्होंने एक पोस्ट साझा की थी।
George Soros looking quite good here. Must be the lighting. pic.twitter.com/gNHhKyd2GQ
— Elon Musk (@elonmusk) January 5, 2025
इसके साथ ही एलन मस्क ने सबसे महत्वपूर्ण बात पर जोर दिया। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि सोरोस ने एक नकली शरण चाहने वाला पूरा दृष्टिकोण तैयार किया और इसके लिए बिलियन डॉलर खर्च किये और आज यह परिदृश्य अमेरिका और यूरोप दोनों को बर्बाद कर रहा है।
यह बात एक नहीं बल्कि कई नेताओं ने उठाई कि अचानक से ही शरणार्थियों की बाढ़ कैसे आ सकती है? वर्ष 2015 में जॉर्ज सोरोस ने शरणार्थी प्रणाली को दोबारा बनाने को लेकर लेख लिखा था। उसमें लिखा था कि कैसे चरण-दर-चरण यूरोप को शरणार्थी नीति पर काम करना है और कैसे शरणार्थियों को पैसे देने हैं। वित्तीय सहायता का बोझ देशों पर डाला गया था।
यह भी लोगों को ध्यान में होगा ही कि कैसे एक सीरिया के बच्चे के शव को लेकर शरणार्थी समस्या के प्रति ध्यान आकर्षित किया गया था। अयलान कुर्दी नामक बच्चे की देह पर विमर्श पैदा किया गया। बच्चे की मौत बेहद दुखद थी, परंतु बच्चे की मौत पर जिस प्रकार से विमर्श पैदा करके उसकी मौत के लिए उसके देश के अतिरिक्त हर किसी को जिम्मेदार ठहराया गया, वह हैरान करने वाला था। यह बच्चे के पिता ने ही मीडिया में कहा था कि बच्चे की तस्वीर देखकर पूरे यूरोप ने शरणार्थियों के लिए द्वार खोले थे।
इसके बाद यूरोप में सीरिया आदि अशांत देशों से जो शरणार्थियों की बाढ़ आई, उसके चलते वहां के नागरिकों के ही अधिकारों पर प्रश्नचिह्न लग गए। दूसरे स्थान और दूसरी तहजीब के लोग उनके यहां के नागरिकों की जीवनशैली के प्रति क्या धारणा रखते थे, इन सब पर ध्यान नहीं दिया गया और अंतत: नागरिकों के बीच ही संघर्ष होने लगे। वहां की स्वतंत्र लड़कियां प्रताड़ित होने लगीं। हाल ही की कई रिपोर्ट्स हैं, जो यह बताती हैं कि यूरोप के कई देशों में शरण लेने के लिए शरणार्थी अपने देशों के बारे में झूठे दावे भी करते हैं।
rnz.co.nz नामक पोर्टल पर न्यूजीलैंड में शरण लेने को लेकर यह रिपोर्ट थी कि बहुत सारे शरणार्थी झूठे दावे करते हैं। 21 मार्च 2024 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में यह लिखा था कि प्रवासी मंत्री एरिका स्टैनफोर्ड ने कहा था कि कई शरणार्थी ऐसे हैं, जो ऐसे दावे करते हैं, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
17 नवंबर 2024 को डेलीमेल में भी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें लिखा था कि यूके में शरण लेने के लिए कैसे इथियोपिया के नागरिक युद्धग्रस्त पड़ोसी इरीट्रिया के नागरिक बनकर न केवल झूठ बोल रहे हैं, बल्कि उसके बाद वे टिक टॉक पर दूसरे लोगों को बता भी रहे हैं कि कैसे वे अधिकारियों को बेवकूफ बनाकर यूके में आ सकते हैं।
हमास का समर्थन
इसके साथ ही एलन मस्क ने एक और घटना को लेकर जॉर्ज सोरोस पर निशाना साधा और वह था हमास समर्थक गैर सरकारी संगठनों को वित्त पोषण देना। 4 दिसंबर 2023 के एक समाचार को साझा करते हुए एलन मस्क ने लिखा कि जॉर्ज सोरोस की मानवता के प्रति घृणा में इजरायल शामिल है। यूएन में इजरायल के प्रतिनिधि ने जॉर्ज सोरोस की आलोचना इस बात को लेकर की थी कि वह हमास का समर्थन करने वाले गैर सरकारी संगठनों का वित्त पोषण कर रहा है।
George Soros’s hatred of humanity includes Israel btw pic.twitter.com/LY6UPblsh9
— Elon Musk (@elonmusk) January 8, 2025
कम्युनिस्ट मीडिया का प्रलाप
इस बात को लेकर अब कम्युनिस्ट मीडिया के कुछ वर्ग यह आलोचना कर रहे हैं कि एलन मस्क कैसे दूसरे देशों की राजनीति में दखल दे सकता है? मगर यह वही कम्युनिस्ट मीडिया है, जिसका प्रिय शगल भारत जैसे देशों की राजनीति में केवल दखल देना ही नहीं रहा है, बल्कि देश की उस सरकार के विरुद्ध पूरा नैरेटिव बनाने में रहा है, जो कम्युनिस्ट विचारों की नहीं हैं या फिर कम्युनिस्ट विचारों का समर्थन करने वाली नहीं हैं।
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