एलन मस्क ने फिर एक बार कट्टरपंथी इस्लामवादियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक खबर साझा की। उन्होनें डॉ. मालूफ की एक पोस्ट शेयर की। यह समाचार है एक आतंकी संगठन द्वारा एक ऐसी कॉन्फ्रेंस कराने का, जिसमें यह योजना बनाई जाएगी कि कैसे गैर-मुस्लिम मुल्कों को हराकर एक खलीफा शासन स्थापित किया जाए। यह सम्मेलन पहले कनाडा में मिसिसॉगा में होने जा रहा था।
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— Elon Musk (@elonmusk) January 5, 2025
बाद में मिसिसॉगा की मेयर ने इस बात का खंडन करते हुए लिखा कि कट्टरपंथी इस्लामिक कॉन्फ्रेंस स्वीकार नहीं है। मेयर कैरोलीन पारिश ने शहर की सुविधाओं के प्रयोग की शर्तों के विषय में लिखा कि वे किसी भी ऐसे समूह या संगठन को शहर का स्थान प्रयोग नहीं करने देंगी, जो या तो घृणा फैलाता है या फिर घृणा फैलाने का प्रयास करता है। ऐसा कोई भी व्यवहार पाए जाने पर कार्यक्रम निरस्त कर दिया जाएगा।
The City of Mississauga strictly adheres to the following CONDITIONS OF USE when renting City facilities to any group or organization. The City will refuse access to groups exhibiting “contempt or hatred” in any form and can remove permits should such behaviour be reported. pic.twitter.com/uI6nrfQtxU
— Mayor Carolyn Parrish (@carolynhparrish) January 3, 2025
इससे पहले मिसिसॉगा में इस आयोजन के होने की घोषणा थी। एक यूजर ने उस कॉन्फ्रेंस का वीडियो साझा करते हुए लिखा था कि ऐसा लगता है कि हिज़्ब-उत-तहरीर (HuT)कनाडा ने अपने फ़ेसबुक पेज से या तो यह वीडियो डिलीट कर दिया है या फिर छिपा दिया है। इस वीडियो में यह साफ दिख रहा है कि कैसे कथित औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ यह सम्मेलन है। यह कहा जा रहा है कि एक समय था जब इस्लाम का शासन तीन महाद्वीपों तक था, मगर यह औपनिवेशिक ताकते हैं, जिनके कारण इस्लाम आज सिमट गया है। खिलाफत की स्थापना करके ही इस्लाम के सुनहरे दिनों को वापस लाया जा सकता है। इसलिए वे सभी इकट्ठे हों।
इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है। मगर यह बहुत हैरानी की बात है कि वह कम्युनिस्ट मीडिया जो हिन्दुत्व को समाप्त करने वाली कॉन्फ्रेंस को लेकर बहुत उत्साहित रहा था, वह इस कॉन्फ्रेंस के विषय में कुछ भी नहीं कह रही है, जिसमें खुलकर इस्लामी सत्ता की स्थापना की घोषणा की जा रही है।
हिज़्ब उत तहरीर कनाडा, जोकि आतंकी संगठन हिज्ब उत-तहरीर की कनाडा की इकाई है, वह इस कॉन्फ्रेंस के लिए फ्री में टिकट बांट रहा है। नेशनल पोस्ट के अनुसार यह कॉन्फ्रेंस अब हैमिल्टन में होने जा रहा है। पिछले वर्ष भी यह आतंकी संगठन यह कॉन्फ्रेंस करवाने जा रहा था, मगर यह इसलिए निरस्त करना पड़ा था क्योंकि इसके सहयोगी संगठन को ब्रिटेन में आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था।
इस पोर्टल के अनुसार 18 जनवरी को यह आयोजन एक गुप्त स्थान पर किया जा रहा है और यह आयोजन आतंकवाद, यहूदी विरोध और चरमपंथ को लेकर खतरा पैदा कर रहा है।
इजरायल के समर्थन में एक वेबसाइट https://iron-swords.co.il में इस आयोजन के विषयों की बात की गई है और यह भी बताया गया है कि कैसे हिज़्ब उत-तहरीर जो कई देशों में प्रतिबंधित है, वह खुलकर आतंकवादी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है, जिसमें लोकतंत्र की अस्वीकृति, जिहादवाद को अपनाना और वैश्विक इस्लामी खिलाफत की स्थापना शामिल है।
इसके एजेंडे में मजहबी विमर्श के अंतर्गत कई अकादमिक विषय में भी शामिल हैं, जैसे –
- “राष्ट्रवाद और शासन-प्रणाली – इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन”
- “उपनिवेशवादी शक्तियाँ: मिथकों को तोड़ना और हमारे डर को मिटाना”
- “केवल खलीफा ही फिलिस्तीन को आज़ाद कर सकता है”
- “अल्लाह (SWT) की जीत में निराश होना मना है – उस पर भरोसा करना एक दायित्व है”
ये सभी विषय न केवल उकसाने वाले हैं, बल्कि ये सभी विषय देशों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हैं। ये कट्टरपंथ को बढ़ावा देंगे और साथ ही लोगों के भीतर अलगाववाद की भावना का विस्तार करेंगे। इसके वक्ताओं में अबू उमर, मलिक अबू लुकमान, बिलाल खान और डॉ. गिलानी शामिल हैं, जो आतंकवादी विचारधाराओं के पैरोकार हैं। उनकी बयानबाजी लगातार धर्मनिरपेक्ष शासन को खारिज करती है, सत्तावादी मजहबी सत्ता की बात करती है और मजहबी जिम्मेदारियों के बहाने हिंसक टकराव को बढ़ावा देती है।
इस्लामी शासन मकसद
हिज्ब उत-तहरीर के जो मजहबी ख्याल हैं, वे आईएसआईएस या फिर कहा जाए कि अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों के जैसे ही हैं, जिनका मकसद केवल और केवल इस्लामी शासन की स्थापना करना है और इसके लिए उन्हें हिंसा से भी गुरेज नहीं है। वे अपने खिलाफत के वीडियो में हिंसा को प्रदर्शित करते हुए आ रहे हैं। हालांकि यह संगठन कई देशों जैसे जर्मनी, बांग्लादेश, मिस्र, जॉर्डन, कजाकिस्तान, लेबनान, चीन, तुर्की और सऊदी अरब और यूके में प्रतिबंधित है।
सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल
मगर कनाडा में इस प्रकार की कट्टरवादी कॉन्फ्रेंस का बिना किसी बाधा के आयोजित होना बहुत ही चिंताजनक है। आखिर ऐसा क्या कारण है कि एक कथित लोकतान्त्रिक देश में ऐसी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाने वाला है, जो लोकतंत्र, दूसरे धर्म का पालन करने वाले निर्दोष लोगों और उदार मूल्यों का नाश करेगी? जो कॉन्फ्रेंस उस घृणा को जन्म देगी जिसका शिकार हर देश के आम नागरिक होंगे। क्या कनाडा में किसी गुप्त स्थान पर वास्तव में यह कॉन्फ्रेंस होगा या कनाडा की सरकार कुछ कदम उठाएगी? यह प्रश्न सोशल मीडिया पर आम लोग पूछ रहे हैं।
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