भारत सरकार ने खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फार जस्टिस पर लगे प्रतिबंध को पांच सालों के लिए बढ़ा दिया है। यूएपीए ट्रिब्यूनल ने को केंद्रीय सरकार के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें सिख्स फॉर जस्टिस पर आतंकवादी गतिविधियों के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में सिख्स फार जस्टिस को एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था और उस पर अतिरिक्त पांच साल का प्रतिबंध लगाया था।
संविधानिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत कोई भी प्रतिबंध तब तक लागू नहीं हो सकता जब तक उसे यूएपीए न्यायाधिकरण द्वारा अधिनियम की धारा 4 के तहत आदेश पारित कर पुष्टि नहीं की जाती। न्यायाधिकरण, जिसकी अध्यक्षता दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनुप कुमार मेंदीरत्ता कर रहे थे।
सबूतों ने सिख्स फार जस्टिस के बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तानी टाइगर फोर्स जैसे खालिस्तानी आतंकवादी समूहों से संबंधों की बात सामने लाई है। इसके अलावा सिख्स फार जस्टिस ने पाकिस्तान की अंतर-सेवाएं खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर पंजाब में उग्रवाद को फिर से बढ़ावा देने के प्रयासों का भी समर्थन किया है। मिले सबूतों से सामने आया है कि ये सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को भडक़ाने का काम करता है। इसके अलावा वो संगठन में युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने पर जोर दिया करते हैं। एसएफजे हथियारों और विस्फोटकों को खरीदा भी करते थे। हथियारों की खरीदने के लिए वो तस्करी नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं, साथ ही आतंकवादियों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया कराया करते हैं।
एसएफजे संगठन बड़ी राजनीतिक हस्तियों को जान से मारने की धमकी भी दिया करता है। एसएफजे संगठन के बब्बर खालसा इंटरनेशनल सहित अंतर्राष्ट्रीय खालिस्तानी आतंकवादी और अलगाववादी समूहों के साथ संबंध होने के सबूत मिले हैं। सबूतों के जरिए सामने आया है कि ये पंजाब में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहा है। इस आतंकी संगठन का मुखिया आए दिन भारत में भारत विरोधी नारे लिखवाता रहता है और बड़े लोगों को धमकाता रहता है।
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