नई दिल्ली । कासगंज में 2018 के गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के दौरान हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड में लखनऊ की एनआईए अदालत ने शुक्रवार (3 जनवरी 2025) को सख्त रुख अपनाते हुए 28 मुस्लिम आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस हत्या को सुनियोजित और सांप्रदायिक साजिश करार दिया। बता दें कि तिरंगा यात्रा से आहत होकर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदू युवकों पर हमला किया और चंदन गुप्ता की हत्या कर दी।
तिरंगा यात्रा और कट्टरपंथियों की साजिश
26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर कासगंज के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के पास तिरंगा यात्रा पर मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथी तत्वों ने हमला किया। पत्थरबाजी और गोलीबारी के बीच, चंदन गुप्ता को निशाना बनाकर गोली मारी गई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह हमला तिरंगा यात्रा को रोकने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश का हिस्सा था।
दोषियों के नाम
एनआईए अदालत ने जिन 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, उनमें सलीम जावेद, आसिफ कुरैशी उर्फ हिटलर, असलम, असीम, शबाब, साकिब, मुनाजिर रफी, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू, अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ जिम वाला, निशु, वासिफ, इमरान, शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, जाहिद उर्फ जग्गा शामिल हैं।
इतेफ्फक नहीं साजिश थी हत्या
यह स्पष्ट है कि कासगंज में युवाओं द्वारा निकाली जा रही तिरंगा यात्रा इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए असहनीय थी। उन्होंने न केवल हिंसा की साजिश रची, बल्कि एक निर्दोष युवक की हत्या कर समाज में जहर फैलाने की कोशिश की। चंदन गुप्ता की हत्या धार्मिक असहिष्णुता का परिणाम थी, जो भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है।
साक्ष्य और गवाही ने किया मामला मजबूत
अभियोजन पक्ष ने अदालत में ठोस साक्ष्य और गवाहियां पेश कीं। घटनास्थल की वीडियोग्राफी, फॉरेंसिक रिपोर्ट, और चश्मदीद गवाहों की गवाही ने साबित किया कि सलीम जावेद और उसके अन्य सहयोगियों ने इस हत्या को साजिश के तहत अंजाम दिया। कॉल रिकॉर्ड्स और हथियारों की बरामदगी ने भी इस मामले को मजबूत किया।
न्याय की मांग में परिवार ने झेली कठिनाइयां
चंदन गुप्ता का परिवार पिछले 7 वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ रहा था। उन्हें बार-बार समझौते के लिए धमकाया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। चंदन के पिता ने कहा, “हमें खुशी है कि न्याय हुआ। यह हमारे बेटे की आत्मा के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।”
तिरंगा यात्रा के प्रति नफरत का नतीजा
इस घटना ने दिखाया कि कैसे कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी तिरंगा यात्रा जैसी देशभक्ति से जुड़ी गतिविधियों को भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह हमला हिंदू समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को कुचलने का प्रयास था। वहीं इस कांड के बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों की भूमिका पर भी कई सवाल उठे। कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इसे सीधे हिंदू समाज पर हमला करार दिया। साथ ही समाज की शांति और एकता को तोड़ने की साजिश कहा।
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