यूरोपीय देश स्विजरलैंड में बुर्का बैन कानून पूरी तरह से प्रभावी हो गया है। अब से वहां सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर आरोपी पर 1000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना ठोंका जाएगा। लेकिन, बुर्का बैन का असर भारत में भी देखा जा रहा है। यहां खुद को सेक्युलर बताने वाले मुस्लिम मौलाना तिलमिला उठे हैं। ये हिजाब और बुर्का बैन का विरोध कर रहे हैं। साथ ही इस्लाम और शरिया की दुहाई दे रहे हैं।
स्विटजरलैंड के बुर्का बैन का विरोध करने वाले मौलानाओं में से एक देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि प्रत्येक को अपने मजहब में जीने की आजादी है। स्विटजरलैंड में रहने वाले मुस्लिमों को दीन और शरियत का पालन करने की आजादी देनी होगी। मौलाना कासमी ने इस कानून का विरोध करते हुए सरकार से इस कानून को तुरंत वापस लेने की मांग की।
इसी तरह से एक और मुस्लिम मौलाना हैं अमीर हमजा। हमजा भी स्विटजरलैंड के बुर्का बैन कानून का विरोध करते हुए तिलमिला उठे। मौलाना ने बुर्का बैन को पूरी तरह से नाजायज और इस्लाम के खिलाफ बताया और कहा कि बुर्का इस्लामिक संस्कृति का हिस्सा है। हर धर्म उसके अनुयायियों को उसके हिसाब से जिंदगी जीने की आजादी देता है। स्विटजरलैंड में बुर्का बैन की खबर बुरी है। ऐसा कानून मत बनाओ कि किसी को परेशानी हो।
वहीं शिया धर्म गुरु मौलाना यासूब अब्बास ने स्विटजरलैंड के बुर्का बैन कानून के बहाने भारतीय महिलाओं पर भी टिप्पणी कर दी। यासूब ने कहा कि हर धर्म में औरतों को पर्दे में ही रहने को कहा गया है। आप उन हिन्दू औरतों को ही देख लो जो घूंघट काढ़े रहती हैं। मजहब ए इस्लाम ने बुर्के का हुक्म दिया है। मैं स्विटजरलैंड के लोगों से उसकी सरकार के इस कानून का विरोध करने की मांग करता हूं।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि बुर्के में छिपकर अपराध किए जाने की घटनाओं और इस्लामी कट्टरपंथ को देखते हुए स्विटजरलैंड की सरकार ने वर्ष 2021 में एक जनमत संग्रह किया था। मार्च 2021 में हुए जनमत संग्रह के दौरान 51.21 फीसदी मतदाताओं ने ‘बुर्का बैन’ के पक्ष में वोटिंग की थी। इसके बाद ये तय हुआ था कि 1 जनवरी 2025 से यह कानून देश में प्रभावी हो जाएगा और एक तारीख से यह देश में प्रभावी हो गया है। अब से सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं या किसी और पर 1000 स्विस फ्रैंक (1144 डॉलर) यानी कि भारतीय रुपए में 98,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है।
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