गत 10 दिसंबर को हिंदू समाज के लिए एक और शुभ समाचार आया। यह समाचार महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित ऐतिहासिक दुर्गाडी किले से जुड़ा है। इस किले में स्थित एक स्थल को कल्याण सत्र न्यायालय ने मस्जिद नहीं, मंदिर माना। जैसे ही न्यायालय का निर्णय आया, वैसे ही हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। हालांकि, न्यायालय ने यह भी कहा कि किला सरकारी संपत्ति के रूप में ही बना रहेगा।
बता दें कि यह विवाद 48 वर्ष पुराना था। यह मामला 1971 में तब बढ़ा था, जब ठाणे के जिलाधिकारी ने दुर्गाडी किले में स्थित स्थल को मंदिर बताया था। वहीं दूसरी तरफ मुसलमानों के एक वर्ग ने इसे मस्जिद बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। तभी से यह मामला न्यायालय में चल रहा था। हिंदू मंच के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता दिनेश देशमुख ने अदालत में दलील दी कि किले की संरचना और विशेषताएं एक मंदिर की ओर इशारा करती हैं। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने 1971 के जिलाधिकारी के निर्णय को सही ठहराया। इसके साथ ही न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष द्वारा इसे वक्फ बोर्ड को स्थानांतरित करने की मांग को भी खारिज कर दिया।
हिंदू पक्ष ने दुर्गाडी किले के मंदिर होने का दावा यह कहते हुए किया था कि यहां मंदिर की खिड़कियां और मूर्तियों को रखने के लिए चबूतरा मौजूद है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे मस्जिद बताते हुए दलील दी कि यह स्थल उनके मजहबी महत्व का है। मुस्लिम पक्ष ने जिलाधिकारी के निर्णय को 1975-76 में ठाणे जिला न्यायालय में एक याचिका दायर कर चुनौती दी थी। बाद में उस याचिका को कल्याण सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
शिवसेना का आंदोलन
इस स्थल के लिए शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने 1976 में ‘घंटानाद आंदोलन’ चलाया था। इस आंदोलन को आनंद दिघे, पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जैसे शिवसैनिकों ने समय-समय पर गति दी। इस आंदोलन का उद्देश्य था किले को हिंदुओं का धार्मिक स्थल घोषित कराना। यही कारण है कि जब न्यायालय ने इसे हिंदू स्थल बताया, तब शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने वहां आरती कर खुशी मनाई।
न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए शिवसेना ने कहा है कि यह फैसला देवी दुर्गा के आशीर्वाद और हिंदू समुदाय की एकजुटता का परिणाम है। शिवसेना ने एक्स पर लिखा, ‘‘दुर्गा माते की जय, शिवसेना जिंदाबाद। कल्याण का दुर्गाडी किला अब आधिकारिक रूप से देवी दुर्गा का मंदिर है। न्याय की जीत हुई है। जय हिंदुत्व!’’
सरकारी वकील सचिन कुलकर्णी ने बताया कि दुर्गाडी किले की मरम्मत और प्राचीन वास्तुकला को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है। किले के कुछ हिस्से जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं, जिन्हें संरक्षित करने के प्रयास जारी रहेंगे।
यह निर्णय न केवल एक लंबी कानूनी लड़ाई का अंत है, बल्कि यह ऐतिहासिक किले के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी स्थापित करता है। इस किले में दुर्गा माता का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। दुर्गाडी किला ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह वह स्थान है जहां छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य के पहले नौसैनिक अभियान का श्रीगणेश किया था। यह किला हमेशा से हिंदू समुदाय के लिए आस्था का केंद्र रहा है।
न्यायालय के निर्णय से यह भी सिद्ध हुआ कि सत्य को कभी पराजित नहीं किया जा सकता। अब यह किला न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि मराठा इतिहास का एक जीवंत स्मारक भी बनेगा।
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