उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के स्वामित्व को लेकर चल रहे विवादों की सूची में एक और मामला जुड़ गया है। जौनपुर की ऐतिहासिक अटाला मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। स्वराज वाहिनी संगठन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि यह मस्जिद मूल रूप से अटाला देवी का मंदिर थी, जिसे फिरोज शाह तुगलक ने मंदिर तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया था।
इस मामले की शुरुआत जौनपुर जिला न्यायालय में स्वराज वाहिनी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा द्वारा दायर एक याचिका से हुई थी। याचिका में कहा गया कि अटाला मस्जिद के स्थान पर पहले एक मंदिर था, जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने करवाया था। मिश्रा का कहना है कि ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर इस स्थल को हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए और हिंदू समुदाय को यहां पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
जिला न्यायालय ने 29 मई 2024 को याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था। इसके बाद 12 अगस्त 2024 को जौनपुर के जिला जज ने पुनरीक्षण याचिका पर दिए आदेश में इस मामले की स्थिरता को भी मंजूरी दी। इसके विरोध में अटाला मस्जिद की वक्फ कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दोनों आदेशों को चुनौती दी।
मस्जिद के पक्ष की प्रतिक्रिया
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए दावा किया है कि यह मामला इतिहास और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए उठाया गया है। वक्फ कमेटी के मुताबिक, मस्जिद का निर्माण 1408 में हुआ था।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह विवाद केवल एक समुदाय को निशाना बनाने और समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का प्रयास है। ओवैसी का कहना है कि इस तरह के विवाद ऐतिहासिक धरोहरों और सामाजिक सौहार्द के लिए नुकसानदेह हैं।
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