गीता जयंती पर विशेष : पलायन से पुरुषार्थ का प्रेरणा गीत है 'श्रीमद्भगवद्गीता'
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

गीता जयंती पर विशेष : पलायन से पुरुषार्थ का प्रेरणा गीत है ‘श्रीमद्भगवद्गीता’

श्रीमद्भगवद्गीता, मानवता के लिए ज्ञान और प्रेरणा का दिव्य ग्रंथ, न केवल भारत बल्कि विश्वभर में जीवन दर्शन का स्रोत है। जानें गीता की शिक्षा, महत्व और इसकी वैश्विक स्वीकृति।

by पूनम नेगी
Dec 11, 2024, 07:00 am IST
in संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वर्तमान से पांच हजार वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में युद्ध से पलायन को तत्पर अर्जुन को पुरुषार्थ के पथ पर प्रेरित करने के लिए विश्वगुरु योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा किये गये प्रबोधन को ‘’श्रीमद्भगवद्गीता’’ के रूप में जाना जाता है।   मानव जीवन की इस उत्कृष्टतम आचार संहिता की विशिष्टता यह है कि अमरत्व का यह दिव्य संदेश युद्ध की रणभूमि से दिया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता वस्तुतः  द्वापर युग में हुए महाभारत युद्ध के छठे खंड “भीष्म पर्व” का वह हिस्सा है, जो वार्तालाप मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी की पावन तिथि को कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में हुआ था। इसीलिए इस तिथि को मोक्षदा एकादशी व गीता जयंती के रूप में   जाना जाता है। किंकर्तव्यविमूढ़ मनुष्य को आत्मकल्याण का पथ सुझाकर भटकाव से बचाने वाले इस शास्त्र के प्रत्येक श्लोक में ज्ञान का अनूठा प्रकाश है। इसकी शिक्षाएं किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए बहुमूल्य हैं। 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में प्रवाहित इस अद्भुत ज्ञान गंगा का कोई सानी नहीं है; देश दुनिया के सभी आध्यात्मिक मनीषी इस विषय पर एकमत हैं। इस अनुपम ग्रन्थ की वैश्विक लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने अनूठे विषय वैशिष्ट्य के कारण दुनियाभर की 78  भाषाओं में इस ग्रन्थ के 250 से ज्यादा अनुवाद हो चुके हैं।

ज्ञान,भक्ति व कर्म की अनूठी त्रिवेणी

ज्ञान,भक्ति व कर्म की इस अनूठी त्रिवेणी को जितनी बार पढ़ा जाता है, इसके ज्ञान के नित नये रहस्य खुलते जाते हैं। उपादेयता की दृष्टि से विचार करें तो गीता साधारण कर्मवाद को कर्मयोग में परिवर्तित करने के लिए तीन साधनों पर बल देती है-1. फल की आकांक्षा का त्याग 2. कर्त्तापन के अहंकार से मुक्ति 3. ईश्वरार्पण। गीता कहती है-“योग: कर्मसु कौशलम्।” गीता के इन सूत्रों पर पूरी निष्ठा से अमल करने से लक्ष्यसिद्धि सहज ही की सकती है। गीता के अनुसार किसी कार्य में समग्र रूप से निमग्न हो जाना ही योग है; मन, क्रम, विचार, भाव के साथ कार्य करते हुए भी उस कार्य के परिणाम से सदा मुक्त रहना; क्योंकि आसक्ति ही कर्म का बंधन बनती है। इन अनमोल सूत्रों के कारण वर्तमान की घोर स्पर्धापूर्ण परिस्थितियों में श्रीमद्भगवद्गीता मानवीय प्रबंधन की कारगर कुंजी साबित हो रही है। गीता सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान नहीं बल्कि समग्र जीवन दर्शन है जो समूची विश्व वसुधा को “सर्वे भवन्तु सुखिन:” का पाठ पढ़ाता है। गीता में प्रतिपादित प्रबंधन सूत्रों का अनुसरण कर कोई भी व्यक्ति सहज ही अपनी उन्नति और विकास कर सकता है।

स्वतन्त्रता सेनानियों की प्रेरणास्रोत

काबिलेगौर हो कि भारत की गुलामी के दौरान जब देशवासी विदेशी  आक्रमणकारियों व अंग्रेजों के अत्याचारों से आक्रांत हो कराह रहे थे, 1857 की क्रान्ति विफल विफल चुकी थी। सम्पूर्ण भारत छोटे-छोटे वर्गो, टुकड़ों में बिखरा हुआ था। आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। उन्हीं दिनों भगवान कृष्ण का गीता का संदेश महर्षि अरविन्द, महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक व विनोबा भावे जैसे अनेक मनीषियों के अन्त:करण में प्रस्फुटित हुआ था और वे भारत की स्वतन्त्रता के लिए कठोर साधनात्मक पुरुषार्थ में जुट गये थे।

श्रीमद्भगवतगीता से प्रभावित विदेशी विभूतियाँ    

महान पाश्चात्य वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को एकेश्वरवाद पर आधारित श्रीमद्भागवद्गीता ने भीतर तक गहराई से प्रभावित किया था। आइंस्टीन गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि “ जब मैंने भगवद गीता को पढ़ा तो मुझे पता चला कि ईश्वर ने कैसे दुनिया को बनाया है और मुझे यह अनुभव हुआ कि प्रकृति ने हर वस्तु कितनी प्रचुरता में प्रदान की है।” हम इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि भगवद गीता ने मुझे कठिन परिश्रम करने के लिए कितना प्रेरित किया है। मैं आप सब से कहना चाहता हूं कि गीता को जरूर पढ़ें और आप खुद देखेंगे कि उसने आपके जीवन को कितना प्रभावित किया है। इसी तरह अमेरिका के सुप्रसिद्ध प्रकृतिवादी, दार्शनिक व कवि हेनरी डेविड थोरो भारतीय दर्शन और अध्यात्म से बहुत प्रभावित थे। उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता अपनी किताब ‘’वाल्डेन’’ के लिए मिली जो एक ऐसे राज्य के विरुद्ध अवज्ञा की बात करता है, जो अपने नागरिकों के साथ अन्याय करता है। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध किताब “वाल्डेन” में भगवद गीता का कई बार उल्लेख किया है। वह किताब के पहले अध्याय में लिखते हैं “ पूरब के देशों के दर्शन की तुलना की जाय तो वह सबसे ज्यादा ‘’श्रीमद्भागवद्गीता’’ से प्रभावित हैं।” अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक कहा जाता है। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में हिरोशिमा और नागासकी पर किए गए परमाणु हमले में शामिल थे। परमाणु हमले के बाद उन्होंने ‘’श्रीमद्भागवद्गीता’’ का उल्लेख करते हुए कहा था कि उन्हें उस वक्त भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश याद आया। जब वह अर्जुन से कहते हैं कि तुम केवल अपना कर्त्तव्य निभाओ। “मैं अब मृत्यु हूं और दुनिया को खत्म करने वाला बन गया हूं” बाद में ओपेनहाइमर ने कहा था कि ‘’श्रीमद्भागवद्गीता’’ ने उनके जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है। उन्होंने परमाणु परीक्षण के विषय में बाद में गीता का उल्लेख करते हुए कहा, “हम जानते हैं कि दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी, कुछ लोग खुश होंगे, कुछ रोएंगे, ज्यादातर लोग चुप रहेंगे। मुझे गीता की पंक्तियां याद आ रही हैं कि भगवान विष्णु राजकुमार को उसका कर्तव्य समझाते रहे हैं और वह उसे अपना बहुभुजी रूप दिखा रहे हैं।” यह महान गीता का ही असर था कि ईसाई धर्म मानने वाले केनेडा के प्रधानमन्त्री मिस्टर पीअर टुडो गीता पढ़कर भारत आये। उन्होंने कहा कि जीवन की शाम हो जाए और देह को दफनाया जाए उससे पहले अज्ञानता को दफनाना जरूरी है और वे प्रधानमन्त्री पद से इस्तीफा देकर गाय और गीता-उपनिषद लेकर एकांतवासी हो गये थे। इसी तरह सुप्रसिद्ध अमरीकी संत महात्मा थोरो का कहना था कि प्राचीन भारत की सभी स्मरणीय वस्तुओं में श्रीमद् भगवदगीता से श्रेष्ठ कोई भी दूसरी वस्तु नहीं है। गीता में वर्णित ज्ञान ऐसा उत्तम व सर्वकालिक है कि जिसकी उपयोगिता कभी भी कम नहीं हो सकती। इस तरह श्री एफ एच होलेम (इंग्लॅण्ड) का कहना था कि गीता भारत का ऐसा अमूल्य व दिव्य खजाना है जिसे विश्व के समस्त धन से भी नहीं खरीदा जा सकता।

सर्वोत्कृष्ट आहार संहिता

कम ही लोग जानते होंगे कि निष्काम कर्म की प्रेरणा देने वाली मानवीय जीवन की यह सर्वोत्तम आचार संहिता स्वस्थ व सुदीर्घ जीवन की सर्वोत्कृष्ट आहार संहिता भी है। श्रीमद्भगवद्गीता में योगिराज श्रीकृष्ण स्पष्ट रूप से कहते हैं कि आहार शुद्ध होने पर ही अंत:करण शुद्ध होता है और शुद्ध अंत:करण में ही ईश्वर में स्मृति सुदृढ़ होती है तथा स्मृति सुदृढ़ होने से ही हृदय की अविद्या जनित सभी गांठे खुलती जाती हैं।

अनेक देशों के शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल है श्रीमद्भगवदगीता    

गीता के दिव्य सूत्रों के नतीजों से उत्साहित होकर भारत ही नहीं अमेरिका, जर्मनी व नीदरलैंड जैसे कई विकसित देशों ने अपने देश के शैक्षिक पाठ्यक्रम में गीता को शामिल कर रखा है, जहां गीता का प्रशासकीय प्रबंधन के ज्ञान भंडार के रूप में अध्ययन-मनन किया जा रहा है। अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित सैटान हॉल विश्वविद्यालय में तो हरेक छात्र को गीता का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ना अनिवार्य है।  गौरतलब हो कि देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डा. होमी जहांगीर भाभा ने सालों पहले ही “गीता” को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करने की मांग की थी। श्रीमद्भगवदगीता उनकी प्रिय पुस्तक और उनकी प्रेरणा का मूल स्रोत थी। वस्तुतः श्रीमद्भगवद्गीता एक धर्मग्रंथ मात्र नहीं है, अपितु जीवन-मृत्यु के दुर्लभ सत्य को अपने में समेटे हुए सनातन धर्म की ऐसी अनमोल निधि है जो निराश, हताश, थके, भयभीत व दुखी मनुष्य के हृदय में आशा, प्रेम, शक्ति व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यह हमें जीवन के शत्रुओं से लड़ने और सर्वशक्तिमान परमात्मा से एक गहरा नाता जोड़ने में मदद करती है। देश दुनिया के मनीषियों की मान्यता है कि गीता सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान नहीं बल्कि समग्र जीवन दर्शन है। हर्ष का विषय है कि श्रीमद्भगवद्गीता की इन्हीं लोकहितकारी शिक्षाओं से प्रेरित होकर आज देश-दुनिया के विभिन्न शिक्षण-प्रबंधन संस्थान इस अनमोल ज्ञान को अपने पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना रहे हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि श्रीमद्भगवद्गीता के शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल होने से नई पीढ़ी को न सिर्फ जीवन मूल्यों की शिक्षा मिलेगी वरन उनके व्यक्तित्व का भी संतुलित विकास होगा।

यूजीसी के नेट परीक्षा के सिलेबस में श्रीमद भगवद्गीता

जानना दिलचस्प हो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने श्रीमद भगवद्गीता को नेट परीक्षा के सिलेबस में शामिल किया है। यूजीसी का मानना है कि इससे दुनिया भर में गीता को पढ़ने वाले और समझने वालों को बढ़ावा दिया जा सकेगा। ज्ञात हो कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा व गुजरात आदि कुछ राज्यों ने भी गीता के सूत्रों के बहुआयामी लाभों को समझकर अपने राज्य के शैक्षिक पाठ्यक्रम में गीता के साथ ही रामायण के प्रबंधन सूत्रों को शामिल कर सराहनीय कार्य किया है। भारत की सबसे धनी मुम्बई नगरपालिका ने भी अपने विद्यालयों में गीता की पढ़ाई शुरू कर एक प्रशंसनीय कदम उठाया है। जानना दिलचस्प हो कि मूल्यपरक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित करने वाले उत्तराखण्ड के देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व जाने माने आध्यात्मिक चिंतक डा. प्रणव पण्ड्या तो स्वयं गीता की कक्षाएं लेते हैं। बताते चलें कि हरियाणा व मध्यप्रदेश सरकार के मुताबिक स्कूली पुस्तकों को समावेशी बनाने की दृष्टि से पाठ्यक्रम में गीता के कुछ अंश विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए शामिल किये गये हैं। शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाने वाले संकुचित मानसिकता वाले मुट्ठी भर लोग भले ही केन्द्र सरकार के इस कदम का लाख विरोध करें, मगर देश के सनातन जीवन मूल्यों का हिमायती बुद्धिजीवी वर्ग इस पहल का खुले दिल से स्वागत कर रहा है। बताते चलें कि इन कक्षाओं में श्रीमदभगवदगीता के उन श्लोकों के बारे में बताया जाता है जो बच्चों के भीतर संस्कार, कर्म और नैतिक शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं। शिक्षिका अरुणा त्यागी के अनुसार कि श्रीमदभगवद गीता को नैतिक शिक्षा के तौर पर पढ़ने से बच्चों का झुकाव अपनी संस्कृति की ओर हुआ है। अब वे अपने से बड़ों का आदर करने लगे हैं।

 

Topics: Gita Jayanti Specialश्रीमद्भगवद्गीताImportance of GitaSrimad Bhagavad GitaBhagavad Gita and Managementगीता जयंती विशेषEducation of Gitaगीता का महत्वShlokas of Gitaभगवद्गीता और प्रबंधनGita and Clean Dietगीता की शिक्षाInternational Gita Impactगीता के श्लोकRelevance of Gitaगीता और स्वच्छ आहारअंतरराष्ट्रीय गीता प्रभावगीता की प्रासंगिकता
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

श्रीमद्भगवद्गीता

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित

हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी, जहां संस्कृति की ‘गंगा’ निरंतर बहती है

संस्कृति के सनातन संस्कार

चुनाव जीतकर ब्रिटेन की संसद में पहुंचीं शिवानी राजा

हिंदू बने खेवनहार

जनमानस में बढ़ा मानस-प्रेम

गीता जयंती : ज्ञान, कर्म, भक्ति की सरिता

Geeta Jayanti Special : गीता एक, रूप अनेक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies