नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, जिनके अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre – I4C) प्रमुख भूमिका निभा रहा है। गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने मंगलवार को लोकसभा में इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि देश में साइबर अपराधों की रोकथाम और नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल अनुभव प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं।
साइबर अपराधों की रोकथाम के आंकडे
साइबर धोखाधड़ी से जुड़े खातों पर कार्रवाई : अब तक 1,700 साइबर आईडी और 59,000 व्हाट्सएप अकाउंट ब्लॉक किए गए हैं। 6.69 लाख सिम कार्ड और 1.32 लाख आईएमईआई मोबाइल आईडी भी अवरुद्ध किए जा चुके हैं।
आर्थिक धोखाधड़ी पर नियंत्रण : ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन तंत्र’ (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) के माध्यम से 9.94 लाख शिकायतकर्ताओं के 3,431 करोड़ रुपये बचाए गए हैं।
साइबर अपराधों के लिए विशेष तंत्र और टोल-फ्री हेल्पलाइन
राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal) : यह पोर्टल आम नागरिकों को साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करता है। यह एक ऐसा मंच है जो साइबर अपराध से संबंधित सभी जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित।
टोल-फ्री हेल्पलाइन 1930 : यह हेल्पलाइन नागरिकों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने और आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय है।
साइबर फ्रॉड मिशन सेंटर : यह केंद्र बड़े बैंकों, वित्तीय संस्थानों, पेमेंट एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ त्वरित कार्रवाई और समन्वय सुनिश्चित करता है।
अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल्स पर कार्रवाई
गृह मंत्रालय ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को निर्देश दिए हैं कि वे उन अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल्स को रोकें, जिनमें भारतीय मोबाइल नंबर का उपयोग किया जाता है। यह कदम नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता अभियान
सरकार ने साइबर अपराधों के प्रति नागरिकों को जागरूक करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है।
- डिजिटल सुरक्षा के महत्व और साइबर अपराधों से बचाव के तरीकों पर जोर दिया जा रहा है।
- यह अभियान लोगों को साइबर खतरों और उनसे बचने के उपायों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की भूमिका
‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) की स्थापना विशेष रूप से साइबर अपराधों की निगरानी और उन पर कार्रवाई के लिए की गई है।
- यह केंद्र साइबर अपराधों के समन्वय और राष्ट्रीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करता है।
- इसका कार्यक्षेत्र बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी, डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा, और अन्य साइबर अपराधों से जुड़ी गतिविधियों को कवर करता है।
नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय
1. सुरक्षित डिजिटल लेन-देन
- साइबर अपराधों से निपटने के लिए भुगतान एग्रीगेटर्स और वित्तीय मध्यस्थों के साथ समन्वय।
- बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ ठगी के मामलों पर त्वरित कार्रवाई।
2. आईटी और दूरसंचार क्षेत्र में समन्वय
- आईटी मध्यस्थों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर साइबर अपराधों को रोकने के प्रयास।
- धोखाधड़ी की घटनाओं में शामिल मोबाइल नंबर और सिम कार्ड को अवरुद्ध करना।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए ये कदम साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए अत्यंत प्रभावी साबित हो रहे हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग तंत्र’ जैसे पहल ने न केवल साइबर अपराधों को नियंत्रित किया है, बल्कि नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है।
साइबर अपराधों के प्रति सरकार की सक्रियता और डिजिटल सुरक्षा के प्रति समर्पण, भारत को एक सुरक्षित डिजिटल समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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