नई दिल्ली । वक्फ संशोधन बिल पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद और वक्फ संशोधन पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्य कल्याण बनर्जी के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। वायरल वीडियो में कल्याण बनर्जी को यह कहते सुना गया कि “जहां भी मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, वह स्थान वक्फ संपत्ति माना जाएगा।” उनके इस बयान पर BJP IT सेल प्रमुख अमित मालवीय और JPC के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
BJP की प्रतिक्रिया
जगदंबिका पाल ने स्पष्ट कहा कि कल्याण बनर्जी को समिति के बाहर बयान देने से बचना चाहिए और जो भी मुद्दा है, उसे समिति के अंदर ही उठाना चाहिए। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की इस नीति को “संविधान के सिद्धांतों पर हमला” करार दिया।
अमित मालवीय ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया कि यह बयान वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार देने की कोशिश का हिस्सा है, जिससे सार्वजनिक भूमि, जैसे सड़कें, रेलवे ट्रैक, पार्क और अन्य क्षेत्रों पर दावे किए जा सकते हैं।
These remarks were made by TMC MP Kalyan Banerjee, who is also a member of the Standing Committee on WAQF. According to him, any location where Muslims offer Namaz would automatically be considered a WAQF property. This suggests that public spaces, such as roads, railway tracks,… pic.twitter.com/hrzFgvfsYp
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 1, 2024
वक्फ संपत्ति के विवाद और दुष्परिणाम
वक्फ बोर्डों को भारत में विशेषाधिकार प्राप्त संस्थान माना जाता है, जो कई बार विवादों में घिरे रहे हैं। वक्फ संपत्तियों के बढ़ते दावे न केवल कानूनी विवादों का कारण बनते हैं, बल्कि कई बार सार्वजनिक हित में बाधा भी उत्पन्न करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संपत्ति के अधिकारों का दुरुपयोग क्षेत्रीय तनाव और असंतोष को बढ़ावा दे सकता है।
वक्फ बोर्ड के बेतुके दावों की कुछ प्रमुख घटनाएं
दिल्ली का करोल बाग मार्केट विवाद : वक्फ बोर्ड ने दिल्ली के व्यस्त करोल बाग क्षेत्र में कई दुकानों और आवासीय परिसरों पर दावा किया। दावा था कि यह भूमि वक्फ संपत्ति है, हालांकि यह इलाका दशकों से व्यवसायियों और निवासियों द्वारा उपयोग में था। यह विवाद कोर्ट तक पहुंचा और सालों तक लंबित रहा।
बेंगलुरु का रेलवे स्टेशन और ट्रैक विवाद : कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बेंगलुरु रेलवे स्टेशन और उसके आसपास के रेलवे ट्रैक पर दावा ठोका। यह दावा न केवल बेतुका था, बल्कि यह रेल परियोजनाओं के विस्तार और यात्रियों की सुविधा में बाधा उत्पन्न करता था।
महाराष्ट्र में सरकारी स्कूल पर दावा : महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड ने एक सरकारी स्कूल की जमीन पर दावा किया। स्कूल दशकों से राज्य सरकार के अधीन चल रहा था, और यहां हजारों बच्चे पढ़ाई करते थे। वक्फ बोर्ड के दावे से स्थानीय प्रशासन और स्कूल प्रबंधन में भारी असंतोष फैल गया।
उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक किला विवाद : उत्तर प्रदेश में एक ऐतिहासिक किले की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया। इस दावे ने पुरातात्विक विभाग और वक्फ बोर्ड के बीच तनाव उत्पन्न किया। पुरातत्वविदों का कहना था कि किला राष्ट्रीय धरोहर है और इसका वक्फ संपत्ति से कोई संबंध नहीं।
तमिलनाडु का बस डिपो विवाद : तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने एक बस डिपो पर दावा किया। यह स्थान वर्षों से सार्वजनिक उपयोग में था, और वक्फ बोर्ड के दावे से राज्य परिवहन विभाग और आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ा।
दिल्ली मेट्रो की जमीन पर दावा : दिल्ली मेट्रो की एक प्रमुख परियोजना में वक्फ बोर्ड ने जमीन पर दावा करते हुए काम रोकने की धमकी दी। यह दावा परियोजना के बीच में किया गया, जिससे काम में देरी हुई और लागत बढ़ी।
भोपाल का अस्पताल विवाद : भोपाल में एक सरकारी अस्पताल की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया। यह अस्पताल स्थानीय जनता के लिए जीवनरेखा के रूप में काम कर रहा था। इस दावे के कारण अस्पताल प्रबंधन को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
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