दिल्ली के जिस मोहल्ला क्लीनिक का दंभ अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार के दौरान भरते हैं, असल में वो सभी खोखले दावे हैं। ये बात विपक्षी पार्टियां कई बार कह चुकी हैं। जमीनी हालात भी इनसे अलग नहीं है। आतिशी मार्लेना की अगुवाई में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा जैसे सड़क पर आ गई है। इसी कारण अब दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने तो दिल्ली सरकार को दिवालिया तक करार दे दिया।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि केंद्र सरकार के साथ मतभेदों के चलते केंद्र के द्वारा लाई गई आयुष्मान योजना को दिल्ली सरकार, पहले केजरीवाल और अब आतिशी मार्लेना ने अब तक लागू ही नहीं किया है। आम आदमी पार्टी की इस सियासत का शिकार हो रही है दिल्ली की जनता। उसे केंद्र की आयुष्मान योजना का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है। बात यहीं तक होती तो भी ठीक था, लेकिन खुद दिल्ली सरकार के पास स्वास्थ्य सुविधाओं को मेंटेन करने के लिए पैसे भी नहीं है। लेकिन, फिर भी राजनीतिक द्वेष के चलते वो केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं कर रहे हैं।
अब इसी मामले को लेकर सात भाजपा सांसदों आयुष्मान योजना लागू करवाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया। भाजपा सांसदों की याचिका पर सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने की। इसी दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में मशीनें बंद पड़ी हैं। हालात ये है कि आपके (दिल्ली सरकार) पास खुद की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को संचालित करने के लिए पैसे नहीं हैं। आपके स्वास्थ्य मंत्री और आपके स्वास्थ्य सचिव आपस में बात तक नहीं कर रहे हैं।
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हाई कोर्ट ने कहा कि ये बहुत ही हैरानी की बात है कि आपकी हालत खराब है फिर भी आप केंद्र की सहायता को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। चीफ जस्टिस मनमोहन ने तल्ख टिप्पणी की कि मैं अदालत में खुलेआम कह रहा हूं कि आप दिवालिया हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि राजनीतिक वैमनस्य के चलते दिल्ली सरकार ने अब तक राज्य को केंद्र की योजनाओं के लाभ से वंचित रखा हुआ है।
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