अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान की महिलाओं की ज़िंदगी को जिस प्रकार से कैद किया है, उसकी कहानियाँ लगातार सामने आती रही हैं। यह भी सामने आया था कि कैसे उनका जीवन दीवारों के भीतर कैद हो गया है, तो वहीं उसी अंधेरे से कुछ सकारात्मक खबरें भी महिलाओं को लेकर आ रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे महिलाओं ने अपना रास्ता तय करना आरंभ कर दिया है।
मीडिया के अनुसार अफगानिस्तान में उन महिलाओं ने घरेलू रोजगार आरंभ किया है, जो पहले या तो नौकरी करती थीं, या फिर उनका अपना कुछ काम था। france24.com ने फेरोजी नामक महिला की कहानी सहित कई महिलाओं की कहानियों को साझा किया है। फेरोजी ने सिलाई सिखाने का काम शुरू किया था और अब वह कालीन बुनने का काम कर रही हैं और इसके साथ कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। हेरात के पश्चिमी प्रान्त में उनके इस कारोबार से छ लोगों के उनके परिवार का ही पालन पोषण नहीं होता है, बल्कि साथ ही कई और महिलाओं के घरों में भी चूल्हा जलता है। फेरोजी के शौहर जो एक मजदूर थे, उन्हें काम नहीं मिला था।
यह उल्लेखनीय है कि जब से तालिबान ने सत्ता सम्हाली है, तब से अफगानिस्तान में महिलाओं का लगातार दमन जारी है। उन्हें सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह से गायब कर दिया है। उनकी पढ़ाई और रोजगार सभी कुछ उनके हाथों से छिन गया। महिलाओं ने बहुत विरोध प्रदर्शन किये थे, मगर सभी कुछ बेकार रहे थे। मगर महिलाओं ने हार नहीं मानी और अब तौबा ज़ाहिद जैसी महिलाएं गृह उद्योग चला रही हैं। 28 वर्षीय तौबा ज़ाहिद ने काबुल में अपने घर में एक छोटे से बेसमेंट में जैम और अचार बनाने का काम शुरू किया। उन्हें तालिबान ने उनकी यूनिवर्सिटी की तालीम पूरी करने से रोक दिया था। ज़ाहिद का कहना है कि वे कारोबार की दुनिया में महिलाओं को रोजगार देने के अवसर देने आई हैं, जिससे उन्हें कम से कम उनकी बुनियादी जरूरतों के लिए पैसा मिल पाए।“
तालिबानी अत्याचारों से लड़कर आगे बढ़ रही महिलाएं
अफगानिस्तान में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने इस तरह के गृह उद्योग का रास्ता पकड़ लिया है। मगर यह भी सच है कि वे अपना सामान बाजार में बेच नहीं सकती हैं, वे अपने सामान की मार्केटिंग करने के लिए बाजार में नहीं जा सकती हैं। चूंकि बाजार में दुकान चलाना आदमियों के ही हाथ में हैं, इसलिए उनके लिए अपना सामान वहाँ पर रखवाना एक कठिन कार्य है। और इसके साथ ही अपने उत्पादों के लिए कच्चा माल खरीदने के लिए दूसरे शहर जाने के लिए एक “मेहरम” अर्थात घर के ही एक आदमी सदस्य की जरूरत होगी।
अफगानिस्तान वुमन’स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की अध्यक्ष फ़ारिबा नूरी ने महिला कारोबारियों की इन परेशानियों के विषय में बताया। यह स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए राह बहुत कठिन है। उन्हें हर तरफ से लड़ाई लड़नी है और वे लगातार अपने साथ हो रहे तमाम अत्याचारों से लड़ भी रही है। मीडिया के अनुसार इन तमाम चुनौतियों के बाद भी अफगानिस्तान वुमन’स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ रजिस्टर होने वाले कारोबारों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
नूरी के अनुसार यह संख्या 600 बड़ी कंपनियों से लेकर 10,000 छोटी कंपनियों तक है। नूरी खुद भी पिछले बारह वर्षों से कारोबारी महिला रही हैं। हालांकि, जो महिलाएं इन कारोबारों मे नौकरी करती हैं, उन्हें बहुत अधिक पैसा नहीं मिल पा रहा है। मगर जो भी मिल रहा है, उससे वह संतुष्ट हैं। ज़ोहरा गोनिश नामक महिला ने उत्तरपूर्वी बदख्शां प्रांत में एक ऐसा रेस्टोरेंट खोला, जहां पर केवल महिलाएं ही आएं।
महज 20 वर्ष की ज़ोहरा का कहना है कि उनके इस रेस्टोरेंट में महिलाएं आती हैं और रीलैक्स करती हैं। कई किशोरियाँ जो पढ़ाई नहीं कर पा रही थीं और उन्हें काफी मानसिक समस्याएं हो रही थीं, और अब वे इन महिला कारोबारों में काम करने लगी हैं तो उन्हें ऐसी समस्याएं नहीं हैं।
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