पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर बड़ा विवाद सामने आ सकता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा वक्फ से संबंधित एक नया विधेयक राज्य विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की जानकारी निकालकर आ रही है। जानकारी के अनुसार यह विधेयक केंद्र सरकार के प्रस्तावित वक्फ संशोधन कानून 2024 का विरोध करता है, जिसे तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला और संघीय ढांचे के खिलाफ बताती रही है। ममता बनर्जी की पार्टी का मानना है कि केंद्र सरकार इस कानून के माध्यम से वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण बढ़ाकर राज्यों के अधिकारों को कमजोर करना चाहती है।
राज्य सरकार के इस प्रस्तावित विधेयक की जानकारी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय तक पहुंचाई गई है। जिसके बाद गृह मंत्रालय ने तुरंत इस बिल के मसौदे की मांग करते हुए इसके प्रावधानों को जानने की कोशिश की है। मंत्रालय यह जांच कर रहा है कि क्या यह विधेयक केंद्र के प्रस्तावित वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ है और इसमें वक्फ संपत्तियों को लेकर किन प्रावधानों को शामिल किया गया है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि इस विधेयक में अल्पसंख्यकों के लिए कोई विशेष प्रावधान या घोषणाएं तो नहीं हैं।
वक्फ बोर्ड और विवादों का इतिहास
भारत में वक्फ बोर्डों का गठन धार्मिक संपत्तियों के संरक्षण और उनके प्रबंधन के लिए किया गया था। लेकिन समय के साथ इन बोर्डों पर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और संपत्ति हड़पने जैसे आरोप लगते रहे हैं। वक्फ संपत्तियों को लेकर अक्सर विवाद सामने आते हैं, जहां कई बार सरकारी या निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित कर दिया जाता है। यह न केवल संपत्ति के मालिकों के अधिकारों का हनन करता है, बल्कि पारदर्शिता की कमी के चलते कानूनी पचड़ों का कारण भी बनता है।
ममता बनर्जी और मुस्लिम तुष्टिकरण
ममता बनर्जी की सरकार पर लंबे समय से मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। इमामों और मुअज्जिनों को भत्ता देने का निर्णय हो, या अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष योजनाओं का लाभ पहुंचाने की बात, ममता बनर्जी पर यह आरोप है कि वह अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इन कदमों का सहारा लेती हैं। उनके हालिया वक्फ विधेयक को भी इन्हीं आरोपों के चश्मे से देखा जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक राज्य की मुस्लिम आबादी को संतुष्ट करने का एक प्रयास है, जो चुनावों में ममता सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
केंद्र बनाम राज्य : वक्फ कानून पर टकराव
वहीं केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने के लिए वक्फ संशोधन कानून 2024 को 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। जिनका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित करना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है, जिससे संपत्ति विवादों को रोका जा सके। लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है। उनका दावा है कि वक्फ बोर्ड राज्यों का विषय है और केंद्र सरकार का इसमें हस्तक्षेप करना संविधान के खिलाफ है।
विधानसभा में टकराव की संभावना
पश्चिम बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है, जहां ममता सरकार वक्फ विधेयक को पेश करने की योजना बना रही है। उम्मीद है कि इसे पेश करने के लिए किसी मुस्लिम विधायक को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। दूसरी ओर, भाजपा इस विधेयक पर पैनी नजर बनाए हुए है। भाजपा विधायकों का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का एक और उदाहरण है और वे इसे विधानसभा में कड़े विरोध के साथ चुनौती देंगे। इससे सत्ताधारी तृणमूल और विपक्षी भाजपा के बीच तीखा टकराव देखने को मिल सकता है।
ममता बनर्जी का प्रस्तावित वक्फ विधेयक एक बार फिर उनकी राजनीति के केंद्र में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोपों को खड़ा करता है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर पहले से ही विवाद और दुष्प्रभाव चर्चा में रहे हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विधेयक कितना प्रभावी साबित होता है और क्या यह वास्तव में राज्य की मुस्लिम आबादी की जरूरतों को पूरा करता है या फिर केवल राजनीतिक ध्रुवीकरण का एक साधन बनता है।
Shivam Dixit started his career in journalism from 2015. He first worked as Special Correspondent in Mansukh Times (Weekly Newspaper) and later came to Delhi and worked as Digital Editor in Sanchar Times Media Group.
After this he joined the News Network of India (NNI) and held the post of Reporter Coordinator in India's paper here. After successfully launching India's Paper Project, Shivam Dixit started his new innings as Social Media In-charge at News1India, Dainik Hint and Niwan Times.
After working in various media organizations for many years, Shivam Dixit is currently working in the national weekly 'Panchjanya' continuously since 1948.
Talking about his achievements, he managed 500 websites of various newspapers of "India's Papers" as manager in NNI. Talking about the output of this project, this project was registered in Limca Book of Records.
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