सोशल मीडिया पर एक बच्ची का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर हर किसी के होश उड़ गए हैं। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मासूम बच्ची शादीशुदा है और प्रेग्नेंट है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो इराक के बगदाद की रहने वाली जाहिरा हामिला नाम की बच्ची का है। वह शादीशुदा है और गर्भवती है। इस वीडियो को एक्स पर ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर कर कह रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्ची रंग-बिरंगे पटाखे फोड़कर मां बनने की खुशी मना रही है। इस दौरान वह बेबी बंप को बार-बार हाथों से पकड़ते हुए दिखाई दे रही है। इराक की तमाम लड़कियों की तरह इस लड़की का भी जश्न मनाने का यही तरीका है, लेकिन जैसे ही वीडियो वायरल हुआ कई यूजर्स और संगठनों ने इसके खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया।
मनोज शर्मा नाम के यूजर ने एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि 9 साल की ये मुस्लिम बच्ची इराक की है, जिसकी खेलने-कूदने की उम्र में शादी कर दी गई और वह प्रेग्नेंट है।
नाजनीन अख्तर नाम की यूजर ने एक्स पर लिखा, ”ये 9 साल की जाहिरा हामिला है। जाहिरा इराक के बगदाद के नजदीक एक गांव में एक मजदूर के घर पैदा हुई थी। परिवार में हुए एक निकाह के दौरान जाहिरा के फुफ्फु के दोस्त खुशमुद्दीन की नजर उस पर पड़ी। उस वक्त वह मात्र 6 साल की थी। खुशमुद्दीन ने जाहिरा से निकाह के लिए उसके अब्बू से कहा। पहले तो उसके अब्बू ने मना किया, लेकिन कुछ पैसों और एक तोला सोने के बदले जाहिरा का सौदा 51 साल के खुशमुद्दीन के साथ कर दिया गया। जाहिरा को बाकायदा सजाधजा कर, मेहंदी लगाकर खुशमुद्दीन की बेगम बनाकर उसके घर भेज दिया गया। अब जाहिरा 9 साल की है और उसके पेट में 54 साल के खुशमुद्दीन का बच्चा है।”
उन्होंने आगे लिखा कि ये मजहब में न तो हराम है न ही इस्लाम के मुताबिक गलत बल्कि ये जायज है और सुन्नत भी है। जब से इस खबर को देखा है मेरा दिमाग सुन्न पड़ा हुआ है। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं इस पर अवाम ए मजहब को।
बता दें कि पिछले दिनों इराक में विवाह कानून में बदलाव कर लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 9 साल करने का नया कानून प्रस्तावित किया गया है। इस संशोधन के बाद पुरुषों को बच्चियों से निकाह करने की अनुमति मिल जाएगी। मुस्लिम देश के इस अजीबोगरीब फैसले का लोग जमकर विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज में असमानता और बच्चों के शोषण को बढ़ावा देने वाला फैसला है।
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