The Sabarmati Report : बूढ़े बच्चे महिला किसी को नहीं छोड़ा, जो मिला उसे वहीं मार डाला, पढ़िए गोधरा कांड की दर्दनाक कहानी
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

The Sabarmati Report : बूढ़े बच्चे महिला किसी को नहीं छोड़ा, जो मिला उसे वहीं मार डाला, पढ़िए गोधरा कांड की दर्दनाक कहानी

'जब चारों ओर आग की लपटें और चीख-पुकार थी' पीड़ित कारसेवकों की आँखों में आज भी उस दिन का खौफ और दर्द झलकता है। यह रिपोर्ट इन पीड़ितों की आवाज और उनकी अनसुनी कहानियों को दुनिया के सामने लाने का एक प्रयास है।

by SHIVAM DIXIT
Nov 17, 2024, 06:44 pm IST
in भारत, विश्लेषण, गुजरात
godhra kand victims painful stories
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात लौट रही साबरमती एक्सप्रेस को इस्लामिक चरमपंथियों की उन्मादी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। इस ट्रेन के एस-6 और एस-7 कोच में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पित कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या में अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाकर लौट रहे थे। कट्टरपंथियों के इस भीषण हमले में 59 निर्दोष कारसेवकों की दर्दनाक मौत हो गई।

गोधरा कांड न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश के इतिहास में एक गहरे जख्म के रूप में दर्ज है। यह हमला इस्लामिक नफरत और उन्माद का प्रतीक बनकर उभरा, जिसने न केवल 59 लोगों की जान ली बल्कि उनके परिवारों को भी असहनीय पीड़ा दी। इस रिपोर्ट में साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड से बचे 9 पीड़ित कारसेवकों और उनके परिवारों की दिल दहला देने वाली आपबीती को संकलित किया गया है।

वे लोग जिन्होंने इस कांड में अपने परिजनों को खोया या किसी तरह बचकर निकले, आज भी उस खौफनाक मंजर को भूल नहीं पाए हैं। उनकी आँखों में आज भी उस दिन का खौफ और दर्द झलकता है, जब चारों ओर आग की लपटें और चीख-पुकार थी। यह रिपोर्ट इन पीड़ितों की आवाज और उनकी अनसुनी कहानियों को दुनिया के सामने लाने का एक प्रयास है। गोधरा कांड के बाद बचने वाले, अपने परिजनों को खोने वाले और चश्मदीदों ने दिल दहला देने वाले अनुभव साझा किए।

यहाँ उन 9 व्यक्तियों की आपबीती विस्तार से प्रस्तुत है, जो इस विभत्स घटना का हिस्सा बने।

1. 100 साल बाद भी मेरे पिता की आहुति को याद रखा जाएगा
(अशोक प्रजापति, मृतक झवेरभाई जादवभाई प्रजापति के बेटे)
अशोक प्रजापति के पिता झवेरभाई उन 59 निर्दोष लोगों में शामिल थे, जो गोधरा स्टेशन पर इस घटना के शिकार हुए। अशोक कहते हैं, “दुनिया चाहे जो सोचे, लेकिन मैं यह मानना चाहता हूँ कि मेरे पिता का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। सौ साल बाद भी दुनिया मेरे पिता की आहुति को याद रखेगी। उनके जैसे लाखों लोगों के बलिदान के परिणामस्वरूप, राम मंदिर का निर्माण और उद्घाटन आखिरकार हो रहा है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि यह हमारे लिए क्या मायने रखता है।” मृतक झवेरभाई जादवभाई प्रजापति के बेटे अशोक प्रजापति की इस बात पर उनके परिवार ने सहमति में सिर हिलाया।

अशोक के परिवार ने भी इस भावना को दोहराया। राम मंदिर के उद्घाटन के साथ, वे इस बलिदान को मंदिर के पवित्र उद्देश्य के साथ जोड़कर देखते हैं। उनके लिए, यह घटना न केवल व्यक्तिगत त्रासदी है बल्कि उनके पिता के योगदान की एक अटल स्मृति है।

2. मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
(सरदार मगन वाघेला, मृतक राजेश वाघेला के पिता)
77 वर्षीय सरदार मगन वाघेला, जिन्होंने अपने बेटे राजेश वाघेला को इस कांड में खो दिया, अपने बेटे के बलिदान को उद्देश्यपूर्ण मानते हैं। उन्होंने अपने मृतक बेटे राजेश की फोटो को हाथ में लेकर बताया वे कहते हैं, “मेरा बेटा राम जी के मंदिर के खातिर उस ट्रेन से अयोध्या गया था। देर से ही सही, मंदिर तो बनेगा ही। उसने अपना बलिदान एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए दिया है। उसका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मैं जगह-जगह जाकर अपने बेटे के बलिदान की कहानियाँ सुनाता हूँ, लोगों को बताता हूँ कि वो राम मंदिर के उद्देश्य के लिए बलिदान हुआ है।”

सरदार मगन वाघेला अपने बेटे की यादों को जिंदा रखने के लिए जगह-जगह जाकर उसकी कहानी सुनाते हैं। उनके लिए यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज को अपने बेटे की आहुति से प्रेरणा लेने का संदेश भी है।

3. बूढ़ी महिलाएँ गिड़गिड़ा रही थीं, ‘हमें मत मारो’, लेकिन उन्होंने कोई दया नहीं दिखाई
(गायत्री पंचाल, अपने परिवार के चार सदस्यों को खो चुकी पीड़िता)
गायत्री पंचाल ने इस घटना में अपने माता-पिता और दो बहनों को खो दिया। वह कहती हैं, “ट्रेन पर पत्थरबाजी करने के बाद उन्होंने हमारे डिब्बों में मिट्टी का तेल डालना शुरू कर दिया, फिर आग लगा दी। हम में से कुछ ही लोग टूटी खिड़कियों से बाहर निकलने में कामयाब रहे। वयस्क और बूढ़े लोग अंदर फंस गए थे। बूढ़ी महिलाएं विनती कर रही थीं, ‘हमें मत मारो’ लेकिन उन्होंने एक न सुनी।” साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड में अपने परिवार के चार सदस्यों – माता-पिता (नीता और हर्षद) और 2 बहनों (प्रतीक्षा और छाया) को खोने वाली गायत्री पंचाल ने बताया।”

गायत्री खुद किसी तरह खिड़की तोड़कर बाहर निकलने में सफल हुईं, लेकिन अपने परिवार को नहीं बचा पाईं। उनका यह दर्दनाक अनुभव इस घटना की क्रूरता को बयां करता है।

4. आग के कारण मेरी माँ की मौत हुई, इसलिए मैं अग्निशमनकर्मी बना
(हर्ष चोंडगर, मृतक अमीबेन के बेटे)
हर्ष चोंडगर ने इस घटना में अपनी माँ अमीबेन को खो दिया। उनकी माँ उन 59 लोगों में शामिल थीं, जो ट्रेन की आग में जलकर मारे गए। हर्ष कहते हैं, “मेरी माँ अमीबेन उस ट्रेन में थीं, जिसमें आग लगाए जाने से उनके साथ-साथ 59 लोगों की जान गई। उनके पार्थिव शरीर को जनतानगर के हमारे इसी घर में लाया गया था। आग के कारण मेरी माताजी की मौत हुई थी, इसलिए मैंने अग्निशमण प्रशिक्षण संस्थान में खुद को भर्ती किया और आज मैं एक सफल अग्निशमणकर्मी हूँ। अगर उस समय ज्यादा अग्निशमण गाड़ियाँ और अग्निशमणकर्मी होते तो आज मेंरी माँ मेरे साथ होतीं।”

इस घटना से प्रेरित होकर हर्ष ने खुद को अग्निशमन प्रशिक्षण संस्थान में भर्ती कराया और आज वे एक कुशल अग्निशमनकर्मी हैं।

5. उन्होंने मेरे जैसे बुजुर्गों को भी नहीं छोड़ा
(देविका लुहाना, हमले की चश्मदीद)
देविका लुहाना उन बुजुर्गों में से एक थीं, जिन्होंने गोधरा कांड की विभत्सता का सामना किया। वह कहती हैं, “यह बर्बरता का सबसे बुरा रूप था। उन्होंने मेरे जैसे बुज़ुर्गों को भी नहीं बख्शा और अंधाधुंध पत्थरबाजी की। वे सभी इस द्वेषपूर्ण कृत्य के लिए नरक में जाएंगे।“ – चश्मदीद देविका लुहाना ने बताया कि जान बचाने के लिए उन्होंने अपने बैग और पैसे वाले पर्स को भी छोड़ दिया था।”

देविका के लिए यह घटना आज भी एक भयावह स्मृति है, जिसे वे कभी भुला नहीं सकतीं।

6. महिलाओं की बोगी को आग के हवाले कर दिया
(हेतल पटेल, चश्मदीद)
हेतल पटेल ने बताया कि कैसे दंगाइयों ने महिलाओं की बोगी में घुसकर आग लगा दी। “वे महिलाओं की बोगी में घुस आए और इससे पहले कि हम कुछ कर पाते, उन्होंने पूरी बोगी में आग लगा दी। हममें से कुछ लोग भागने में सफल रहे, लेकिन हमारी कई बहनें फंस गईं… यह भयानक था।“

हेतल के अनुसार, यह घटना उनके जीवन की सबसे भयानक स्मृति है, जिसे वे कभी भूल नहीं पाएँगी।

7. मैं अपने सामने जलते हुए लोगों का दृश्य नहीं भूल सकता
(ज्ञानप्रकाश, प्रत्यक्षदर्शी)
ज्ञानप्रकाश ने गोधरा कांड में अपने पिता को खो दिया। वह बताते हैं, “ट्रेन गोधरा से अभी-अभी निकली थी, लेकिन स्टेशन से थोड़ी दूर पर रुकी थी। अचानक, ट्रेन पर पत्थर फेंके जाने लगे। लगभग एक घंटे तक पत्थरबाजी जारी रही। फिर हमारे कोच में कुछ फेंका गया और हर जगह धुआँ फैल गया। इससे इतना दम घुट रहा था कि मैं मुश्किल से साँस ले पा रहा था। मैंने अपने पिताजी को मुझे ट्रेन से उतरने के लिए कहते हुए सुना। मैं दरवाजे पर गया, वहाँ देखा कि उतरने की कोशिश कर रहे लोगों पर चाकूओं से हमला किया जा रहा था। फिर मैं दूसरी तरफ गया और कूद गया।“

ज्ञानप्रकाश खुद भी मुश्किल से जान बचाकर बाहर निकले, लेकिन इस दृश्य ने उनके मन को गहरे तक झकझोर दिया।

8. मुझे शैतान और गहरे समुद्र के बीच चुनाव करना था
(डी. भट्टाचार्य, चश्मदीद)
डी. भट्टाचार्य ने उस भयावह रात को याद करते हुए कहा, ““मैंने एक टूटी हुई खिड़की देखी। इसकी सलाखें भी मुड़ी हुई थीं। ट्रेन पर हमले के कारण ही ऐसा हुआ था। उस पल, मुझे शैतान और गहरे समुद्र के बीच चुनाव करना था। आग की लपटें मेरे करीब आ रही थीं। अगर मैं पीछे रहता तो मैं उनमें समा जाता या दम घुट जाता। दूसरा विकल्प खिड़की से बाहर निकल कर उग्र भीड़ का सामना करना था। मैंने दूसरा विकल्प चुना।“

उनकी यह आपबीती उस घटना की भयावहता को उजागर करती है।

9. दोषियों को आजीवन कारावास की सजा निराशाजनक है
(बिपिन ठक्कर, मृतक रिश्तेदारों का परिवार)
बिपिन ठक्कर, जिन्होंने अपने ससुर और साले को इस घटना में खो दिया, उच्च न्यायालय के फैसले से निराश हैं। वह कहते हैं, “मेरे ससुर जी और साले-साहब की मौत साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड में हुई थी। हाई कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास की जो सजा दी है, उससे मैं निराश हूँ। निचली अदालत ने मृत्युदंड दिया था, वो सही फैसला था। उचित न्याय के लिए अगर अकेले भी सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े तो जाऊँगा। मेरी पत्नी को हाई कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं है, वो निश्चित ही दुखी होगी।“”

बिपिन ने उचित न्याय के लिए अकेले सुप्रीम कोर्ट जाने का संकल्प लिया।

घटनाओं का महत्व और समाज के लिए संदेश

गोधरा कांड न केवल निर्दोष कारसेवकों की हत्या का प्रतीक है, बल्कि समाज के उस अंधेरे पक्ष को भी उजागर करता है, जहाँ नफरत और असहिष्णुता ने मानवता को शर्मसार किया। पीड़ितों की ये आपबीतियाँ न केवल उनके दर्द को बयान करती हैं, बल्कि यह भी याद दिलाती हैं कि किस तरह समाज को ऐसी घटनाओं से सबक लेकर सहिष्णुता और आपसी सम्मान के साथ जीना चाहिए। राम मंदिर के उद्घाटन से जुड़े इस कांड के पीड़ितों और उनके बलिदानों को इतिहास कभी नहीं भुला पाएगा।

गोधरा का यह हादसा केवल हिंसा और त्रासदी नहीं था, बल्कि यह मानवता और सहिष्णुता पर एक गहरी चोट थी। आज भी पीड़ितों के परिवार न्याय और अपनी खोई हुई शांति की तलाश में हैं।

SHIVAM DIXIT

शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।

उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।

वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।

शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।

उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

  • SHIVAM DIXIT
    https://panchjanya.com/author/shivam-dixit/
    May 11, 2025, 05:53 pm IST
    तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट
  • SHIVAM DIXIT
    https://panchjanya.com/author/shivam-dixit/
    May 11, 2025, 12:16 am IST
    india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’
  • SHIVAM DIXIT
    https://panchjanya.com/author/shivam-dixit/
    May 10, 2025, 11:54 pm IST
    Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश
  • SHIVAM DIXIT
    https://panchjanya.com/author/shivam-dixit/
    Donald trump want to promote Christian nationalism
    May 10, 2025, 06:28 pm IST
    भारत-पाकिस्तान में Cease Fire : जानिए क्या बोले राष्ट्रपति Donald Trump..?
Topics: Godhra KandSabarmati Express AttackSabarmati Express VictimsGodhra Train BurningJustice for Sabarmati VictimsGujarat Riots 2002Godhra High Court VerdictThe Sabarmati Report27 February 2002 Tragedyगोधरा अग्निकांडGodhra Agnikand Victimsसाबरमती ट्रेन हमला27 फरवरी 2002गोधरा पीड़ितउच्च न्यायालय गोधरा फैसलागोधरा कांडसाबरमती एक्सप्रेस अग्निकांडRam temple movement
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गोधरा के जिहादी!

मुस्लिम आतताइयों द्वारा जला दिया गया रेल का डिब्बा

‘साबरमती’ की करुण गाथा : तस्वीरों में गोधरा

‘आज भी सिहर उठता हूं’

Sabarmati report tax free in Uttarakhand

उत्तराखंड: द साबरमती रिपोर्ट फिल्म देखने के बाद सीएम धामी ने की टैक्सफ्री करने की घोषणा

सामने आया सच

CM Yogi saw The Sabarmati Report

सीएम योगी ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, यूपी में टैक्स फ्री हुई फिल्म

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Jammu kashmir terrorist attack

जम्मू-कश्मीर में 20 से अधिक स्थानों पर छापा, स्लीपर सेल का भंडाफोड़

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

India Pakistan Ceasefire News Live: ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों का सफाया करना था, DGMO राजीव घई

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थरूर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies