कनाडा की जमीन पर भारत विरोधी खालिस्तान समर्थकों को सरकारी स्तर पर पर्याप्त खाद पानी मिलता रहा है और यह अभी तक पूरे विश्व ने देखा कि कैसे खालिस्तान समर्थकों को लेकर कनाडा सरकार भारत सरकार के विरोध मे उतर आई है। कनाडा में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की भी झांकी निकाली जाती रही और यहाँ तक कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी लगातार विष वमन होता रहा।
मगर यह सच है कि जब कोई भी व्यक्ति या देश आतंक या हिंसक विचार को अपने लाभ के लिए और किसी दूसरे के विनाश के लिए पोसता है, समर्थन करता है, उसकी आंच उस तक जरूर ही आती है। पिछले दिनों कनाडा में हिंदुओं पर भी खालिस्तान समर्थकों ने हमले किए थे। और पुलिस द्वारा की गई पक्षपाती कार्यवाही भी सभी ने देखी थी। खालिस्तान समर्थक सिखों के वोट के लिए जस्टिन ट्रूडो इन आतंकी तत्वों पर लगाम लगाने के स्थान पर उन्हें बढ़ावा ही दे रहे हैं।
मगर ऐसा लग रहा है जैसे हिंसा की आंच या कहें विचारों की आंच अब कनाडा तक पहुँच गई है। कनाडा से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जो कीर्तन का लग रहा है और कनाडा का ही है और जिसमें कहा जा रहा है कि कनाडा के नागरिक अंग्रेज हैं और उन्हें यूरोप वापस जाना चाहिए। सिख ही कनाडा के मालिक हैं। इसमें कहा गया है कि श्वेत लोग हमलावर हैं और श्वेत लोगों को इंग्लैंड चले जाना चाहिए। श्वेत लोगों, इंग्लैंड वापस जाओ!
Khalistanis march around Surrey BC and claim “we are the owners of Canada” and “white people should go back to Europe and Israel”.
How are we allowing these r*tards to shape our foreign policy? pic.twitter.com/9VmEnrVlGP— Daniel Bordman (@DanielBordmanOG) November 13, 2024
इस वीडियो पर कनाडा के लोगों की कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बहुत से लोग हैं, जो यह कह रहे हैं कि वे इसके विषय में लगातार लोगों को जागरूक करते आ रहे थे। कुछ ने कहा कि उन्हें पहले से ही इसकी आशंका थी।
journalist v नामक यूजर ने उस आदमी का चेहरा साझा करते हुए लिखा, जो श्वेत लोगों को वापस जाने के लिए कह रहा था। उसके अनुसार “9 नवंबर को सरे नगर कीर्तन के दौरान वायरल वीडियो रिकॉर्ड करने वाले व्यक्ति ने चिल्लाते हुए कहा कि “हम कनाडा के मालिक हैं” और “गोरे लोगों को यूरोप और इज़राइल वापस जाना चाहिए” की पहचान खालिस्तान समुदाय के आयोजक इंडी जसवाल के रूप में की गई है”
Man recording the viral video during Surrey Nagar Kirtan on Nov 9th yelling “we are the owners of Canada” and “white people should go back to Europe and Israel” has been identified as Khalistan community organizer Indi Jaswal https://t.co/5e2UhRev30 pic.twitter.com/Woqxi15pof
— Journalist V (@OnTheNewsBeat) November 14, 2024
लोगों ने कहा कि यह सच है कि खालिस्तान के समर्थक भारत में खालिस्तान नहीं बना सकते हैं, मगर कनाडा में ट्रूडो की नीतियों के कारण जरूर ही खालिस्तान बन जाएगा। वे संख्या में और राजनीतिक स्थिति में ताकतवर हो रहे हैं, कनाडा में नहीं!
सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि भारत पहले से ही कनाडा को इसकी चेतावनी देता आया था।
एक प्रश्न उठता है कि कनाडा के मूल निवासी कौन हैं? जो वर्तमान में कनाडा में नागरिक हैं, वे यूरोपीय मूल के हैं। गोरे हैं। कनाडा के मूल निवासी यूरोपीय औपनिवेशवाद का शिकार हुए थे। यूरोपीय औपनिवेशक शक्तियों ने कनाडा के मूल निवासियों के बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया था और जिसके निशान अभी तक मिलते हैं। वर्ष 2021 में एक स्कूल से 215 बच्चों के कंकाल सामने आए थे, जिनके विषय में यह माना गया था कि वे सारे कंकाल उन बच्चों के थे, जिन्हें ईसाई रिलीजन अपनाने के लिए मजबूर करने के लिए लाया जाता था। उनकी ग्रूमिंग की जाती थी।
देशज और स्थानीय समुदाय, भाषा और परंपराओं का दमन किया गया। यूरोप से गई हुई कई संक्रामक बीमारियाँ, जैसे चेचक आदि भी वहाँ पर फैलीं और उन्होनें स्थानीय आबादी को काफी संख्या में मारा। कनाडा में अपनी बस्तियां थीं, अपने लोग थे। और अंग्रेज वहाँ पर बहुत बाद में पहुंचे। यह अंग्रेज ही थे, जिनके कारण सिख कनाडा पहुंचे थे। कहा जाता है कि सरदार केसूर सिंह जो ब्रिटिश भारतीय सेना में मेजर थे, वे वह हांगकांग रेजिमेंट के हिस्से के रूप में वैंकूवर पहुंचे सिख सैनिकों के पहले समूह में शामिल थे और वे फिर वहीं रुक गए थे। और इस प्रकार सिख कनाडा की धरती पर पहुंचे थे।
कनाडा में अंग्रेजों से पहले की स्थानीय आबादी का दमन हुआ था, इसलिए यह जरूर कहा जा सकता है कि कथित गोरे लोगों को इंग्लैंड या यूरोप जाना चाहिए, मगर खालिस्तानी समर्थकों का यह कहना कहाँ तक उचित है कि वे लोग कनाडा के असली मालिक हैं, जो उन्हीं अंग्रेजों की सेना में भर्ती होकर उस कनाडा में आए थे, जहां पर अंग्रेजों ने स्थानीय आबादी का दमन किया था।
यदि अंग्रेज कनाडा के मालिक नहीं हो सकते हैं तो उनकी सेना में शामिल रहे सिख कैसे कनाडा की धरती के मालिक हो सकते हैं? वहीं लोग खालिस्तान समर्थकों की इस हरकत का विरोध लगातार सोशल मीडिया पर कर रहे है। भारत आतंकी सोच के भस्मासुर को जानता है, मगर दुर्भाग्य से कनाडा आदि देश, जो अभी तक औपनिवेशिक दृष्टि से भारत को देखते हैं, वे भारत को नीच दिखाने के लिए आतंकी सोच को पोषित कर रहे हैं, जिसका खामियाजा उन्हें आज नहीं तो कल भुगतना ही होगा, जैसा कि इस वीडियो से दिखाई देता है।
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