ईरान में अनिवार्य हिजाब को लेकर महिलाओं का विद्रोह जारी है। इसे दबाने के लिए ईरान की सरकार पूरी कोशिश कर रही है। वह अब उन महिलाओं के लिए क्लीनिक का विचार लेकर आई है, जो महिलाएं सिर ढकने के अनिवार्य कानून का पालन करने से इंकार करती हैं।
ईरान में पिछले कई वर्षों से महिलाओं का इस मुद्दे को लेकर विद्रोह बढ़ता जा रहा है। पुरुष भी इस विद्रोह का हिस्सा बन रहे हैं। ईरान में ऐसे लोगों को फांसी देने की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, मगर फिर भी दमन उस क्रांति को दबा नहीं पा रहा है जो अपनी स्वाभाविक आजादी के लिए वहां की लड़कियां कर रही हैं। यही कारण है कि अब उनकी इस स्वाभाविक इच्छा को रोग बताने की तैयारी शुरू हो गई है। अब ईरान की उन सभी महिलाओं का इलाज किया जाएगा, जो इस अनिवार्य हिजाब का विरोध करती हैं। guardian के अनुसार प्रमोशन ऑफ वर्च्यु एण्ड प्रीवेन्शन ऑफ वाइस के लिए तेहरान मुख्यालय की प्रमुख मेहरी तालेबी दारस्तानी ने “हिजाब हटाने के इलाज क्लीनिक” के उद्घाटन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि क्लिनिक “हिजाब हटाने के लिए वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक इलाज” प्रदान करेगा।
वहीं इस घोषणा के बाद महिलाओं में गुस्से की लहर दौड़ गई है। ईरान की महिलाओं और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले समूहों ने इस घोषणा का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह विचार ही डराने वाला है। दरअसल यह घोषणा उस लड़की की घटना के बाद हुई है, जब वह अनिवार्य हिजाब का विरोध करने के लिए अपने अंत: वस्त्रों में ही बाहर आ गई थी। यह घटना बहुत वायरल हुई थी और वह तस्वीर भी अभी तक कई कैप्शन के साथ साझा की जा रही है। ईरान की मोरलिटी पुलिस की भी काफी जगह छाई हुई थी। यह कहा गया था कि जिस प्रकार से लड़कियों को दबाया जा रहा है उसकी वजह से उनका स्वाभाविक विद्रोह उभरकर आ रहा है।
उस समय ईरान की सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां तक कहा था कि वह लड़की एक ‘मुसीबत में पड़ी हुई महिला है’ जिसे देखभाल और इलाज के लिए एक ऐसे ही सेंटर में भर्ती किया गया है। रायटर्स के अनुसार उस समय ईरान की सरकार ने कहा था कि इस मामले को वह एक मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देख रही है और ऐसे हर विद्यार्थी की मनोवैज्ञानिक समस्या हल करना चाहती है। यह भी कहा गया था कि उस लड़की के शौहर के अनुसार उसकी बीवी को इलाज की जरूरत थी। इस घटना की जड़ में उस लड़की के प्रति हो रहा मजहबी दुर्व्यवहार जिम्मेदार रहा होगा, जिसमें उसे यह लगता होगा कि वह अपनी मर्जी से अपना सिर भी खोलकर नहीं चल सकती है और कहीं न कहीं सभी लड़कियों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए वह विद्रोह का ऐसा रास्ता चुन बैठी होगी। वहीं इस घटना को आधार बनाते हुए ईरान की सरकार को बहाना मिल गया कि वह ऐसी महिलाओं के दमन का नया रास्ता बनाए, जो लगातार खुद पर हो रहे अत्याचारों का विरोध कर रही थीं। अब इस विरोध को उनकी मानसिक बीमारी बनाकर उनका इलाज किया जाएगा। जेल के स्थान पर उन्हें अब अस्पताल लेकर जाया जाएगा, जो विशेष रूप से केवल ऐसी महिलाओं के लिए होगा, जो हिजाब नहीं पहनना चाहती हैं।
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guardian से बात करते हुए एक लड़की नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि “यह कोई क्लिनिक नहीं होगा, यह एक जेल होगी। हम अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बिजली की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन इस सरकार को कपड़े के एक टुकड़े की चिंता है। अगर हम सभी के लिए सड़कों पर वापस आने का समय है, तो वह समय अभी है, नहीं तो वे हम सभी को जेल में बंद कर देंगे।”
यही बात सही है कि यह क्लीनिक नहीं होगा, बल्कि जेल होगी, जहां पर इन लड़कियों का इलाज होगा। अब यह इलाज कैसा होगा, यह समझा जा सकता है। ईरान की मानवाधिकार वकील हुसैन रईसी ने कहा कि हिजाब कानून का पालन न करने वाली महिलाओं के इलाज के लिए क्लिनिक का विचार “न तो इस्लामी है और न ही यह ईरानी कानून के अनुरूप है”। महिला अधिकारों के लिए काम कर रहे संगठन और वे महिलाएं इस क्लीनिक की कल्पना को लेकर सशंकित हैं और उनका डर जायज भी है कि वह क्लीनिक नहीं जेल होगी और वहाँ इलाज क्या होगा, यह भी सभी को पता है।
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