देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज हो रही है, मुस्लिम आबादी के साथ साथ वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। जो इस बात का सबूत है कि राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी भविष्य में राजनीतिक सामाजिक समस्या पैदा करने जा रही है। अभी ये वक्फ बोर्ड के आंकड़े हैं, इनके अलावा भी सैकड़ो संपत्तियां ऐसी भी है जो कि सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बनाई हुई है और उनका जिक्र वक्फ बोर्ड में नहीं हैं, जिनमें मस्जिद मदरसे मजारें शामिल है।
देवभूमि उत्तराखंड के सनातन क्षेत्र में 5 हजार से अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का जिक्र सामने आया है। जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने केंद्रीय वक्फ बोर्ड के सम्मुख राज्य में 5183 संपत्तियों का ब्यौरा प्रेषित किया है, इसके अलावा 205 संपत्तियों के मामले स्थानीय न्यायालय में विचाराधीन होने की बात भी कही जा रही है।
21 साल में हो गई दो गुनी संपत्तियां
मिली जानकारी के अनुसार, जब 2003 में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था तब 2078 संपत्तियों की जानकारी आई थी। ये संपत्तियां यूपी वक्फ बोर्ड से उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को विरासत में मिली थी। इनमें से 450 फाइल्स यूपी से उत्तराखंड में नहीं पहुंची।
देवभूमि में कहां-कहां है वक्फ बोर्ड की संपत्तियां
जानकारी ये है कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति सूची में मस्जिद से अधिक कब्रिस्तानों की संख्या है। पहाड़ी जिलों में चमोली में 1, रुद्रप्रयाग में 1 टिहरी में 4, पौड़ी में 10, उत्तरकाशी में 1 बागेश्वर में 3, चंपावत में 6, अल्मोड़ा में 6 पिथौरागढ़ में 3 मस्जिदें और इनसे ज्यादा कब्रिस्तान होने की जानकारी सामने आई है। नैनीताल जिले में 48 मस्जिदें, उधम सिंह नगर में 144, हरिद्वार जिले में 322, देहरादून जिले में 155 मस्जिदें है जो कि वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हुई है। सुदूर पहाड़ी जिलों में भी वक्फ बोर्ड की औकाफ (दान में दी गई) संपत्तियों की जानकारी सामने आ रही है।
जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में 2105 औकाफ़ संपत्तियां हैं, जिनमें अल्मोड़ा जिले में 46 पिथौरागढ़ जिले में 11 पौड़ी में 26 सबसे अधिक हरिद्वार में 865 उधम सिंह नगर में 499 देहरादून में 435 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का अपना दावा है। पूरे देवभूमि उत्तराखंड में 773 स्थानों पर कब्रिस्तान बना दिए गए हैं जबकि 704 मस्जिदों को वक्फ बोर्ड के अधीन बताया गया है। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की सूची से बाहर अभी इतनी ही और मस्जिदों के और होने की सूचनाएं है।
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वक्फ बोर्ड में 100 मदरसे होने की सूचना सामने लाई जा रही है, जबकि मदरसा बोर्ड में सूची में चार सौ से ज्यादा मदरसे दर्ज हैं। राज्य के भीतर 201 से अधिक मजारे वक्फ बोर्ड में सूची बद्ध होने की जानकारी सामने लाई गई है। बताया जाता है कि यहां अब नमाज भी पढ़ाई जा रही है। जिन्होंने धीरे-धीरे मदरसे फिर मस्जिद का रूप ले लिया है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में पूरे राज्य में 12 स्कूल और इतने ही मुसाफिरखाने है, सूची में 1024 मकान और 1711 दुकानें भी हैं। 70 ईद गाह, 32 इमामबाड़े, 112 कृषि भूमि प्लाट और अन्य 253 संपत्तियां है।
ऐसा भी माना जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर प्रभावशाली और भू माफिया तत्वों के कब्जे हैं। ऐसी खबरें भी हैं कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की स्थापना 2003 में हुई थी, तब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या 2078 के आसपास बताई गई थी। इनमें से 450 संपत्तियों की फाइलें यूपी से अभी तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को नहीं दी गई है और ये विषय, एक विवाद के रूप में केंद्रीय सरकार तक पहुंचा हुआ है।
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ऐसा माना जा रहा है कि देवभूमि उत्तराखंड में पिछले 20 सालो में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या दो गुना से अधिक हो गई है। जो इस बात को प्रमाणित करता है कि देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अभी ये आंकड़े ऐसे है जो कि वक्फ बोर्ड में दर्ज हैं। दरअसल, बड़ी संख्या में मुस्लिम धार्मिक स्थल, मदरसे अभी ऐसे भी हैं जोकि वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है और वे सरकारी जमीनों को घेर या अवैध कब्जे कर बनाए गए हैं। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर भी संशय है कि क्या वो वास्तव में वक्फ बोर्ड की संपत्ति है अथवा उत्तराखंड सरकार की संपत्ति है ?
बहरहाल देवभूमि उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों का तेजी से बढ़ना भी चिंता का विषय है, राज्य में डेमोग्राफी चेंज को लेकर बहस छिड़ी हुई है। वक्फ संपत्तियों के बढ़ रहे आंकड़े भी इसी और संकेत देते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक देव स्वरूप के इस्लामीकरण की साजिश तो नहीं हो रही है ?
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